मध्य प्रदेश में सियासी ड्रामे पर सुप्रीम कोर्ट- राज्य की नहीं यह एक राष्ट्रीय समस्या

By: Mar 19th, 2020 2:11 pm

पिछले कुछ दिनों से मध्य प्रदेश में जारी है सियासी संकट (फाइल-pti) मध्य प्रदेश की सियासी संकट का मामला सुप्रीम कोर्ट में है जहां देश की शीर्ष अदालत ने कहा कि हम नहीं चाहते कि हॉर्स ट्रेडिंग हो इसलिए जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराया जाना चाहिए. फ्लोर टेस्ट कराए जाने के मामले पर सुनवाई के दौरान एक समय वह भी आया जब कोर्ट ने कहा कि यह किसी राज्य की नहीं बल्कि देश की समस्या है.मध्य प्रदेश में जारी सियासी घमासान पर आज गुरुवार को सुनवाई शुरू हुई तो स्पीकर की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह स्पीकर का अपना अधिकार है कि वह तय करे कि किसका इस्तीफा स्वीकार किया जाना है और किसका नहीं. स्पीकर के फैसले में कोई दखल नहीं दिया जा सकता है.

2 हफ्ते का वक्त मिलेः सिंघवी

वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कमलनाथ सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए कहा कि दलबदल कानून के तहत 2/3 का पार्टी से अलग होना जरूरी है. अब इससे बचने के लिए नया तरीका निकाला जा रहा है. उन्होंने आगे कहा कि 15 लोगों के बाहर रहने से सदन का दायरा सीमित हो जाएगा. यह संवैधानिक पाप के आसपास होने का तीसरा तरीका है. ये मेरे नहीं अदालत के शब्द हैं.

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि बागी विधायकों के इस्तीफे पर विचार के लिए 2 हफ्ते का वक्त दिया जाना चाहिए.

सिंघवी की इस मांग पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम कोई रास्ता निकालना चाहते हैं. ये महज किसी एक राज्य की समस्या नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय समस्या है. आप यह नहीं कह सकते कि मैं अपना कर्तव्य तय करूंगा और दोष भी लगाऊंगा.

 

स्पीकर पर उठा सवाल

उन्होंने आगे कहा कि हम उनकी स्थिति को सुनिश्चित करने के लिए परिस्थितियों का निर्माण कर सकते हैं कि विधायकों के इस्तीफे वास्तव में स्वैच्छिक हैं. हम एक पर्यवेक्षक को बेंगलुरु या किसी अन्य स्थान पर नियुक्त कर सकते हैं. वे आपके साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर जुड़ सकते हैं और फिर आप निर्णय ले सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य के 16 बागी कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफे पर निर्णय ‘एक दिन के अंदर’ लिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि 16 बागी विधायकों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग होगी और कोर्ट इसके लिए एक पर्यवेक्षक नियुक्त करेगी. शीर्ष न्यायालय ने प्रस्ताव देते हुए कहा कि बागी विधायक तटस्थ स्थान पर विधानसभा अध्यक्ष के सामने भी खुद को पेश कर सकते हैं.

मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के बहुमत परीक्षण की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोर्ट से जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराने की गुहार लगाई है. बुधवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश विधानसभा स्पीकर पर कड़ा रुख अपनाते हए 16 विधायकों के इस्तीफे नहीं स्वीकारे जाने जाने पर सवाल पूछे.


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