लॉकडाउन के बावजूद

By: Mar 24th, 2020 12:05 am

देश के 24 राज्यों के कुल 339 जिलों में पूर्ण और आंशिक लॉकडाउन किया जा चुका है। करीब 75 करोड़ आबादी इसके दायरे में है। लॉकडाउन के बावजूद यह दावा नहीं किया जा सकता कि कोरोना वायरस तीसरे चरण में नहीं पहुंचेगा। वायरस का सामुदायिक प्रसार नहीं होगा। वह चरण ही भारत के लिए जानलेवा साबित होगा, क्योंकि हमारे पास इलाज की व्यवस्था नहीं है। करीब 138 करोड़ के देश में सिर्फ  30,000 के करीब वेंटिलेटर ही हैं। कई चिकित्सा विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि यह बीमारी अभी बढ़ेगी, लिहाजा मौतें भी स्वाभाविक हैं, क्योंकि स्थानीय संक्रमण जारी है। दरअसल भारत में लॉकडाउन देरी से घोषित किए गए हैं। अब भी लगभग आधे देश में लॉकडाउन लागू नहीं किया गया है। चूंकि राज्यों में सेवाओं, फैक्ट्रियों, निर्माण कार्यों को बंद अभी दो दिन पहले ही किया गया है, लिहाजा उनसे जुड़े मजदूर और अन्य लोग अपने गांवों को लौट गए हैं। जिस तरह यह जमात रेलगाडि़यों में ठुंसकर बैठी और यात्रा की, उससे आशंका पुख्ता होती है कि संक्रमण का सामुदायिक विस्तार होगा या हो रहा है। उत्तर प्रदेश में पीलीभीत की एक औरत का मामला सामने आया है, जो कोरोना संक्रमित पाई गई। वह मक्का से उमरा करके लौटी थी और 37 अन्य लोग उसके संपर्क में रहे, लिहाजा सभी को क्वारेंटीन, एकांतवास में भेजना पड़ा है। क्या यह सामुदायिक प्रसार का उदाहरण नहीं है? फिल्मी गायिका कनिका कपूर की महफिलों और कोरोना के संक्रमण को अभी हम नहीं भूले हैं। बेशक 63 लोगों के टेस्ट नेगेटिव आए हैं, लेकिन अभी 120 टेस्ट के नतीजे आने हैं। प्रख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ डा. नरेश त्रेहन ऐसे लोगों को ‘देशद्रोही’ करार देते हैं, क्योंकि सामुदायिक प्रसार का संकटमय खतरा उन्हीं से गहराता है। ऐसे कई मामले पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार आदि राज्यों में सामने आए हैं। पंजाब में तो लॉकडाउन के बाद पूर्ण कर्फ्यू भी लागू कर दिया गया है। पुडुच्चेरी में भी कर्फ्यू घोषित किया गया है। कर्फ्यू में कोई ढील नहीं दी जाएगी। विशेष स्थितियां अपवाद हो सकती हैं। बहरहाल अमरीका की प्रख्यात पत्रिका ‘इकोनॉमिस्ट’ ने विशेष अध्ययन और सर्वेक्षण के बाद यह निष्कर्ष दिया है कि भारत की स्थिति इटली के हालात से एक माह और अमरीका के हालात से 15 दिन ही दूर है। इटली, अमरीका, ब्रिटेन में हालात इसलिए भयानक हुए, क्योंकि उन देशों ने या तो लॉकडाउन नहीं किया अथवा देर से किया। नतीजतन इटली में मौत का आंकड़ा 5500 पार कर चुका है। अमरीका में भी करीब 400 मौतें हो चुकी हैं। भारत में भी लॉकडाउन व्यापक स्तर पर किया जा रहा है, ताकि व्यक्ति-दर-व्यक्ति कोरोना वायरस न फैल सके। प्रधानमंत्री मोदी ने भी चिंता और गुस्सा जताया है कि अब भी लोगों ने लॉकडाउन को गंभीरता से  नहीं लिया है। कृपया करके वे खुद को बचाएं और परिवार को भी बचाएं। राज्य सरकारें सख्ती से इसका पालन कराएं। प्रधानमंत्री ने टीवी चैनलों के मालिकों, समूह संपादकों और पत्रकारों से भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की। जाहिर है कि हालात सामान्य नहीं हैं। कोरोना संक्रमितों के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं। भारत में कोरोना की गिरफ्त में 430 से ज्यादा केस दर्ज किए जा चुके हैं और मौतें भी 8 हो गई हैं। डाक्टरों का मानना है कि इन आंकड़ों से हकीकत को नहीं जान सकते। अभी कई जांच के नतीजे आने हैं, लिहाजा संक्रमण के आंकड़े भी बढ़ेंगे। आगामी 15 दिन देश के लिए बेहद नाजुक हैं। शायद इसी के मद्देनजर संसद का बजट सत्र तय वक्त से पहले स्थगित किया गया है। दिल्ली हाईकोर्ट 4 अप्रैल तक बंद रहेगी। सर्वोच्च न्यायालय कुछ अहम मामलों की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग  के जरिए ही करेगा। वकीलों के चैंबर सील करने का भी निर्णय लिया गया है। शीर्ष अदालत ने जेल में सजा काट रहे कुछ कैदियों को परोल देने का भी फैसला दिया है। परोल राज्य सरकारें तय करेंगी। इन तथ्यों के मद्देनजर कोरोना के भारत में हालात कैसे हो सकते हैं, उन्हें ही सुरक्षित करने को बचाव और जागरूकता का प्रचार किया जा रहा है, लेकिन यह देश भगवान भरोसे ही है।


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