‘शब्द तलवार है’ में सार्थक भावों की अभिव्यक्ति

By: Mar 29th, 2020 12:04 am

पुस्तक समीक्षा

जिला सिरमौर से संबद्ध हिमाचल के प्रसिद्ध लेखक व कवि पंकज तन्हा का काव्य संग्रह ‘शब्द तलवार है’ भावों की सार्थक अभिव्यक्ति में सफल रहा है। कवि ने रचनाकर्म के दौरान भाव पक्ष को वरीयता दी है। इस संग्रह में कविताएं, गजलें, दोहे और गीत संग्रहित किए गए हैं। कपड़े की व्यथा नामक कविता का भाव है कि कपड़ा इनसान से अपना रिश्ता ओढ़ने और फैलाने तक ही देखता है। वृद्धावस्था में माता-पिता और दूध बंद करने पर दुधारू पशुओं से भी यही होता है। इसी तरह दूल्हा बिकाऊ है नामक कविता में शादी में दहेज के रूप में ज्यादा दौलत को तवज्जो देने की प्रवृत्ति समाज को कहां ले जाएगी, यह चिंता व्यक्त हुई है। जिम्मेवार नामक कविता में क्रिकेट खेलने की ललक समाज सुधारने की उत्कंठा को बाधित करती प्रतीत होती है। इसी तरह ‘दशहरा’ का भाव है कि आज के युग में रावण को सच में ही मारना मुश्किल हो गया है। इसी तरह ‘राम जलाया जाए’ का भाव है कि रावण की ‘सर्वव्यापकता’ को देखते हुए दशहरे में रावण की जगह राम का पुतला जलाया जाना चाहिए। नेता नामक कविता में नेता का यथार्थवादी चित्रण हुआ है। नेता का पुण्य, त्याग, ईमानदारी व सच से कोई सरोकार नहीं है। ‘कुत्ते’ नामक कविता में कुत्ते को इनसान से बेहतर बताया गया है क्योंकि वह भेदभाव नहीं करता है इनसान की तरह। स्वतंत्रता दिवस नामक कविता कहती है कि जब तक भ्रष्टाचार, अराजकता व सांप्रदायिकता है, तब तक यह दिवस मनाने का कोई अर्थ नहीं है। अन्य कविताएं भी भावों की अभिव्यक्ति में सफल रही हैं। इस युग में तथा कमाई जैसी छोटी कविताएं बड़ा संदेश देती हैं। गजलों में सृजनकर्ता की वैचारिकता व कल्पनाशीलता देखी जा सकती है। दोहे और गीत सृजनशीलता को पुष्ट करते हैं। सरल भाषा में लिखी गई यह पुस्तक पाठकों को अवश्य पसंद आएगी, ऐसा विश्वास है।

-फीचर डेस्क 


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App