शाहतलाई-नयनादेवी के कपाट बंद…सीमाएं सील

By: Mar 18th, 2020 12:22 am

भक्तों के न आने से मंदिरों की आर्थिकी पर पड़ेगा गहरा असर, करोड़ों का होगा नुकसान

बिलासपुर-देश में कोरोना वायरस के खतरे के मद्देनजर मेले व त्योहारों के स्थगन के बाद अब शक्तिपीठों में श्रद्धालुओं के आवागमन पर लिए भी रोक लगा दी गई है। हालांकि नयनादेवी में लाइव दर्शन की सहुलियत श्रद्धालुओं के लिए उपलब्ध करवाई गई है और टाटा स्काई पर भी मां नयना के लाइव दर्शन किए जा सकेंगे। इससे मंदिरों की आर्थिकी प्रभावित होगी तो वहीं, मेलों और उत्सवों के आयोजन से आने वाले राजस्व को भी खासा नुकसान हुआ है। अभी यह भी तय नहीं है कि मेले व उत्सवों का आयोजन होगा भी कि नहीं? अब केंद्र व राज्य सरकारों की आगामी गाइडलाइन पर निर्भर करेगा। कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए सरकार ने सभी मंदिरों को बंद रखने के निर्देश जारी किए हैं। हालांकि पूजा अर्चना व अन्य कार्यक्रम तय शेड्यूल के तहत जारी रहेंगे, लेकिन भीड़-भाड़ नहीं जुटने दी जाएगी। स्वास्थ्य की दृष्टि से सेनेटाइजर व मास्क और हैंडवॉशिंग इत्यादि के इंतजाम किए गए हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो नयनादेवी शक्तिपीठ में पिछले साल 22 करोड़ का चढ़ावा दर्ज किया गया है। यदि पिछले साल 15 मार्च से लेकर 15 अप्रैल तक एक महीने के आंकड़ों पर बात करें तो यह 2.74 करोड़ था। अकेले चैत्र मेलों में ही 1.6 करोड़ का चढ़ावा हुआ था। मसलन, इस बार कोरोना वायरस के संभावित खतरे के मद्देनजर मंदिरों में श्रद्धालुओं के आवागमन पर रोक लगाए जाने की वजह से एक माह में ही अढ़ाई करोड़ से ज्यादा आर्थिक नुकसान होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। अभी यह भी पता नहीं कि वायरस के खौफ के चलते आगे कब तक मंदिर बंद रखे जाएंगे। मंदिर न्यास के अध्यक्ष एवं एसडीएम नयनादेवी सुभाष गौतम ने बताया कि राज्य सरकार की तरफ  से जारी निर्देशों के अनुसार यात्री अब मां के दर्शन नहीं कर पाएंगे और कोरोना वायरस महामारी के चलते यह निर्णय लिया गया हैं। मंदिर में पूजा पाठ व आरती यथावत होती रहेगी। माता का सदाव्रत लंगर भी बंद कर दिया गया है क्योंकि जहां पर ज्यादा भीड़ इकट्ठी होती है। उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं को कोलबाला टोबा और कैंची मोड़ तथा भाखड़ा डैम बैरियर पर सूचना उपलब्ध करवाई जा रही है। उधर, बाबा बालकनाथ की तपोस्थली शाहतलाई में चैत्र मेलों की रौनक गायब हो गई। कोरोना वायरस के चलते शुभारंभ के दो दिन बाद ही चैत्र मेले के तहत श्रद्धालुओं के मंदिर आवागमन पर रोक लगाई गई है। स्थिति सामान्य होने तक यह व्यवस्था कायम रहेगी। चूंकि पूजा पाठ विधि विधान से होता रहेगा लिहाजा स्वास्थ्य की दृष्टि से मंदिर में उपयुक्त व्यवस्थाएं की जा रही हैं। वैसे तो हर साल शाहतलाई में चैत्र मेलों की एक माह की अवधि का चढ़ावा 80 लाख रुपए तक पहुंच जाता है, लेकिन इस बार मंदिर न्यास को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा। दो दिन तक मेलों का चढ़ावा 3.40 लाख दर्ज किया गया है। शाहतलाई ट्रस्ट के अधिकारी सुखदेव के अनुसार सरकार व प्रशासन के निर्देशों के बाद मेले पर रोक लगा दी गई है, जिसके तहत मंदिर में श्रद्धालुओं के आवागमन पर पाबंदी रहेगी।


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