श्रमिकों की सुध लीजिए

By: Mar 28th, 2020 12:05 am

कुलभूषण उपमन्यु

अध्यक्ष, हिमालय नीति अभियान

प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में देश कोरोना के विरुद्ध लड़ाई के लिए तैयार हो चुका है।   आज माननीय वित्त मंत्री ने कोरोना के चलते बढ़ रही कठिनाइयों को देखते हुए गरीब परिवारों के लिए कुछ राहतों की घोषणा की है, जिसका स्वागत करना जरूरी है। यह ऐसी आपदा है जिसमें कब क्या कदम उठाना पड़े कोई नहीं जानता। फिर भी कुछ  बातों का पूर्वानुमान लगाने की जरूरत है। प्रशासनिक अमले को केवल राजनीतिज्ञों की पहल और आदेशों के इंतजार में बैठे रहना भी ठीक नहीं। राजनीतिज्ञों में सभी लोग सभी मामलों और कामों के जानकार होंगे, यह सोचना बड़ी भूल होगी। राजनीतिज्ञों से तो केवल इच्छा शक्ति का संदेश आना जरूरी है। यह संदेश प्रधानमंत्री जी की और राज्यों के मुख्यमंत्रियों की सक्रियता से दिया जा चुका है। अब तो देश, काल, पात्र के सिद्धांत पर जहां जैसी परिस्थिति है, वहां वैसी पहल की जानी चाहिए। अच्छी बात यह रही है कि सभी लोग दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर कोरोना पर विजय पाने के लिए एकता का प्रदर्शन कर रहे हैं। हां, कुछ अति उत्साही या शरारती तत्त्व झूठी अफवाहें या गलत जानकारियां सोशल मीडिया पर लाने का निंदनीय कार्य भी कर रहे हैं, जिससे इस बीमारी के खिलाफ  लड़ाई में भ्रामक स्थिति पैदा हो रही है। इसलिए जरूरी है कि ऐसे तत्त्वों पर रोक लगाई जाए और लोग भी सोशल मीडिया की जानकारियों को परख कर ही विश्वास करें। केवल सरकारी मार्गदर्शन और विशेषज्ञों की राय पर ही विश्वास किया जाए। छोटी-छोटी सावधानियों पर ध्यान दिया जाए। प्रशासन ने पिछले कुछ दिनों से शिकंजा कसा भी है। फिर भी जनता का अपना जागना बहुत महत्त्वपूर्ण है। हमारे अपने जिंदा रहने में उपयोगी और जरूरी मार्गदर्शन का उल्लंघन करके सरकारी आदेशों को धत्ता बताने की प्रवृत्ति न केवल आत्मघाती है बल्कि पूरे समाज को खतरे में डालने वाली भी है। लॉकडाउन के सारे आदेशों का पालन करना हमारे अपने लिए ही जरूरी है। चीन, इटली, स्पेन, ईरान, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देशों की हालत से सबक लेते हुए संभलना जरूरी है। हालांकि हम थोड़ा सा देर से जगे हैं, फिर भी ठीक ही जग गए। अब भी सामाजिक दूरी बनाने, घर के अंदर रहने, बार-बार साबुन से हाथ धोने, हाथ न मिला कर नमस्ते करने, जहां-जहां हाथ लगता है उन जगहों को प्रतिदिन सेनेटाइज करने, बार-बार गर्म पानी पीते रहने, अच्छा संतुलित आहार ले कर और विटामिन सी आदि लेने की डाक्टरी सलाह का पालन करके अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बचा कर और बढ़ा कर हम इस विपत्ति से पार पाने में अपनी और देश की मदद कर सकते हैं, लेकिन कुछ चिंताएं ऐसी हैं जिनकी ओर तत्काल ध्यान देना जरूरी है। देश में मास्क और सेनेटाइजर की बहुत कमी है। यहां तक कि डाक्टरों तक को ये व्यक्तिगत प्रतिरक्षण उपकरण नहीं मिल रहे हैं। कुछ लोग इनकी जमाखोरी भी कर रहे हैं। युद्ध स्तर पर ये उपकरण उपलब्ध करवाए जाने चाहिएं। मलमल के कप की दो या तीन तहें बना कर मास्क तो स्वयं भी बनाए जा सकते हैं। इस समय सबसे जरूरी बात ऐसे लोगों को भोजन पानी की व्यवस्था करना है जो रोज कमाते और रोज खाते हैं। रैग पिकर, घुमंतू विमुक्त जनजातियों के लोग जिनके पास कोई साधन ही नहीं हैं, उनका ख्याल रखा जाना चाहिए। गांव में पंचायतों के माध्यम से और शहरों में नगर निकायों के माध्यम से यह कार्य किया जा सकता है। इससे भी जरूरी आपद धर्म तो उन दैनिक मजदूरों और छोटे-छोटे धंधे वालों को राहत देना है जिनके काम बंद हो गए और उनके पास कोई चारा न बचा जिससे वे रोटी खा सकें। ऐसे लोग पैदल ही शहरों से सैंकड़ों मील दूर अपने घरों की यात्रा पर निकल पड़े हैं। रास्ते में कोई ढाबे आदि भी नहीं हैं। भूख-प्यास से ये लोग तो जिंदा रहने के संकट से जूझ रहे हैं। उन्हें जहां हैं वहीं पर रोक कर भोजन की व्यवस्था की जानी चाहिए। यह भी हैरान करने वाली बात है कि उनके रोजगार दाताओं ने उन्हें इस मुसीबत की घड़ी में घर जाने को कह दिया जब कि पता है कि पूरे देश में लॉकडाउन है, संक्रमण का खतरा है। ऐसे यात्रियों को तत्काल विशेष वाहनों से घर पहुंचाने की व्यवस्था की जाए। जो कार्य स्थलों पर हैं, उन्हें रोजगार देने वालों की जिम्मेदारी पर व्यवस्थित किया जाए। उनके खाने की व्यवस्था की जाए। अगर कुछ उद्यमियों ने बिना पैसे दिए श्रमिकों को घर जाने को कह दिया है उनके खिलाफ  कार्रवाई की जाए। इस मुद्दे पर तो 24 घंटे के भीतर ही कार्रवाई होनी चाहिए। आशा है हर स्तर पर सरकारें और प्रशासन संज्ञान लेकर इस विकट परिस्थिति से लोगों को निकालेंगे।


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