श्रीगोपाल सहस्रनाम स्तोत्रम्

By: Mar 28th, 2020 12:18 am

-गतांक से आगे…

भ्रमरः कुन्तली कुन्तीसुतरक्षी महामखी।

यमुनावरदाता च कश्यपस्य वरप्रदः।। 46।।

शड़्खचूडवधोद्दामो गोपीरक्षणतत्परः।

पांचजन्यकरो रामी त्रिरामी वनजो जयः।। 47।।

फाल्गुनः फाल्गुनसखो विराधवधकारकः।

रुक्मिणीप्राणनाथश्च सत्यभामाप्रियंकरः।। 48।।

कल्पवृक्षो महावृक्षो दानवृक्षो महाफलः।

अंकुशो भूसुरो भामो भामको भ्रामको हरिः।। 49।।

सरलः शाश्वतः वीरो यदुवंशी शिवात्मकः।

प्रद्युम्नबलकर्ता च प्रहर्ता दैत्यहा प्रभुः।। 50।।

महाधनो महावीरो वनमालाविभूषणः।

तुलसीदामशोभाढयो जालन्धरविनाशनः।। 51।।

शूरः सूर्यो मृकण्डश्च भास्करो विश्वपूजितः।

रविस्तमोहा वह्निश्च वाडवो वडवानलः।। 52।।

दैत्यदर्पविनाशी च गरुड़ो गरुडाग्रजः।

गोपीनाथो महीनाथो वृन्दानाथोवरोधकः।। 53।।

प्रपंची पंचरुपश्च लतागुल्मश्च गोपतिः।

गंगा च यमुनारूपो गोदा वेत्रवती तथा।। 54।।

कावेरी नर्मदा तापी गण्दकी सरयूस्तथा।

राजसस्तामसः सत्त्वी सर्वांगी सर्वलोचनः।। 55।।

-क्रमशः


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App