स्थिति की विकरालता

By: Mar 25th, 2020 12:05 am

लॉकडाउन केवल बाहरी सुरक्षा का कवच नहीं, बल्कि आंतरिक शक्ति का सृजन भी है। परिस्थितियों को ओढ़ने की जद्दोजहद में सारा भारत अब हर क्षण को फिर से लिख सकता है। इन परिस्थितियों के भीतर आपके जीवन की मर्यादा, उत्साह व उमंगें खुद को टटोल रही हैं, लेकिन इसके साथ अतीत पर चिंतन करने की सलाखें भी हैं। हम कर्म की अभिव्यक्ति में जिस ढर्रे पर चल रहे थे, उससे कहीं विपरीत की परिस्थितियों में जीने की राह है तो यह भविष्य की सोच को बदलने का रास्ता भी है। हमारी हर परीक्षा खुद से है, आवश्यक नसीहतों से है, तो यह दौर राष्ट्रीय फलक पर अपेक्षाओं से लेकर कर्त्तव्य तक भी है। देश हर नागरिक से यही उम्मीद करता है कि इस समय को अपनी आंतरिक शक्ति से घर के भीतर व्यतीत करे। यही राष्ट्रीय अनुशासन भी है कि अपनी तकदीर लिखने के लिए हर भारतीय हाथ लॉकडाउन का भागीदार बने। यह भी एक तहजीब तथा जीने की इबादत है, अतः सरकार को कठोर होने से बचाएं। आश्चर्य यह कि जो कल तक तालियां बजा रहे थे, उनमें से कुछ ने सीमाएं तोड़ी और नतीजतन अब कर्फ्यू की दीवारों में ये क्षण चिने जाएंगे। यह स्थिति की विकरालता है, इसलिए खुले आकाश को देखने के बजाय, उस परिणाम को देखें जो घर के भीतर रहकर भरोसा पैदा करेगा। हमारे इर्द-गिर्द अदृश्य कोरोना घूम रहा है और अगर हमने लक्ष्मण रेखा से बाहर जाने की अनावश्यक कोशिश की, तो कौन जाने कल समुदाय के भीतर हमारा नाम कालिख से लिखा जाए। हिमाचल में कोरोना का यमराज दस्तक दे चुका है। मृतक तिब्बती की केस हिस्ट्री हमारी अांखें खोलने के लिए काफी है। वह केवल दो दिन हिमाचल में रहा, लेकिन हमारे वजूद के आसपास जहर घोल गया। दिल्ली से धर्मशाला तक की गई तिब्बती यात्रा का दुर्योग कहां-कहां जिंदगी के विच्छेद करता रहा होगा, यह अपने आप में एक बड़ा प्रश्न है। ऐसे में सामाजिक दूरियों के नए अर्थों में कर्फ्यू की सौगात को समझना होगा। हमारे आसपास विदेशों से आए ताबूत घूम रहे हैं। और यह पहली शव यात्रा है, जो एक तिब्बती के जरिए हिमाचल में श्मशानघाट तक पहुंच गई। यह चेतावनी की तरह हमारे अपने वजूद का फंदा है, अतः अपने आसपास विदेशों से आए या उनके संपर्क में आए लोगों की जानकारी दें। अगर खुद पर शंका है, तो दूरियां लाने की एक छोटी सी कोशिश हम सभी घर से कर सकते हैं। हमारे आसपास ही जिन लोगों की वजह से लॉकडाउन से कर्फ्यू की स्थिति पनपी है, उन्हें संयम की तहजीब से जोड़ें। घर के भीतर रहने की एक नई कवायद शुरू हो रही है। इसे ही जिंदगी मान कर चलें, तो कोरोना को लेकर कोई घुसपैठिया हमारे इर्द-गिर्द नहीं फटक सकता। बच्चे अपनी पढ़ाई व अध्ययन के सान्निध्य में खुद को  तरोताजा रख सकते हैं, तो घरेलू काम के बंटवारे से परिवार के सदस्य दिवाली सरीखी सफाई कर सकते हैं। कर्फ्यू के भीतर जानकारियों को हासिल करना और सही व गलत के बीच  अंतर करने का एक उपाय तो फिजूल में फारवर्ड हो रहे संदेशों से बचना है, तो दूसरी ओर यह खोज भी है कि हम सतर्कता व अफवाह के बीच सही सूचना को ही चुने। शारीरिक सक्रियता बनाए रखें और यह पहला अवसर है कि गृहिणियों की सूझबूझ से घर में रहते हुए भी कुछ खास कर पाएं। जिंदगी के भीतर रहते हुए आनंद लें।


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