हरियाणा में आवारा पशुमुक्त अभियान विफल

By: Mar 13th, 2020 12:02 am

पंचकूला – हरियाणा में भाजपा सरकार द्वारा वर्ष 2015 में लागू गौवंश संरक्षण एवं गौ संवर्द्धन कानून प्रदेशवासियों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। आरटीआई में डीजीपी कार्यालय द्वारा दी गई सूचना मुताबिक पिछले दो वर्षों 2018-19 में गाय-सांड के हमलों व दुर्घटनाओं में 241 व्यक्ति जान से हाथ धो बैठे हैं। गौशालाओं में बड़ी संख्या में गौवंश भी मर रहे हैं। प्रदेश को आवारा पशु मुक्त करने का अभियान दोनों बार विफल हो चुका है, लेकिन सरकार बेखबर है। आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने बताया कि उन्होंने पहली अक्तूबर, 2018 को हरियाणा गोसेवा आयोग में आरटीआई लगाकर आवारा पशुओं के दुर्घटना में मरे लोगों की संख्या की सूचना मांगी थी। गोसेवा आयोग ने यह सूचना देने के लिए आवेदन पत्र डीजीपी कार्यालय को ट्रांसफर कर दिया, लेकिन डीजीपी कार्यालय के जनसूचना अधिकारी ने यह कर कर पल्ला झाड़ लिया कि ये सूचना सभी 22 जिलों के एसपी से खुद जाकर लें। इसके विरूद्ध पीपी कपूर की अपील पर राज्य सूचना आयुक्त जय सिंह बिश्नोई ने तीन फरवरी 2020 को डीजीपी कार्यालय के जनसूचना अधिकारी को आरटीआई एक्ट के सैक्शन 5 (4) के तहत सूचनाएं एकत्रित करके कपूर को देने के आदेश किए। गत दो मार्च को अपने पत्र द्वारा डीजीपी कार्यालय के अधीक्षक एवं जनसूचना अधिकारी अनिल कुमार ने बताया कि पहली फरवरी, 2018 से दो मार्च, 2020 तक आवारा पशुओं से दुर्घटना के कारण 241 व्यक्ति प्रदेश में मारे गए। कपूर ने कहा कि मात्र दो वर्ष में 241 लोगों के मरने का आंकड़ा तो दर्ज पुलिस रिकार्ड का है। जबकि असलीयत में यह संख्या हजारों में है। आवारा पशुओं से दुर्घटना के कारण हाथ, पैर, आंख तुड़वा कर दिवयांक हुए लोगों की तो गिनती ही नहीं। इन 241 मौतों का कौन जवाबदेह है। गोशालाओं में मरते हजारों गोवंशों की मौत का कौन जिम्मेदार है। आवारा पशुओं से किसानों की फसल बर्बादी का कौन जिम्मेदार है। आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार ने वोट की राजनीति के कारण प्रदेशवासियों को मरने के लिए आवारा पशुओं के सामने धकेल दिया है। न गोवंश की चिंता है, न प्रदेशवासियों की चिंता है। सरकार को मृतकों के आश्रितों, घायलों व किसानों को मुआवजा देना चाहिए।

पशु दुर्घटनाओें में मारे गए लोगों की संख्या

फतेहाबाद 40, अंबाला 36, कैथल 23, सिरसा 23, हिसार 19, पंचकूला 16, सोनीपत 14, भिवानी 13, झज्जर 10, करनाल नौ, रेवाड़ी सात, यमुनानगर सात, कुरूक्षेत्र चार, चरखीदारी तीन, फरीदाबाद दो, पलवल दो, पानीपत एक जबकि जिला गुरुग्राम, जींद, नूंह व नारनौल में यह संख्या शून्य है।


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