अमरीका को कुनीन भी देंगे, पैरासिटामोल भी

By: Apr 8th, 2020 12:05 am

जवाबी कदम उठाने की अमरीका की धमकी के छह घंटे बाद भारत ने लिया फैसला

नई दिल्ली – भारत ने आखिरकार मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीनन (कुनीन) और एक अन्य महत्त्वपूर्ण दवा पैरासिटामोल के भी निर्यात की मंजूरी दे दी है। सरकार ने मंगलवार को साफ  किया कि कुछ देशों में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का निर्यात किया जाएगा। हालांकि, देश की जरूरतों को प्राथमिकता देंगे। इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि अन्य देश में कितने केस हैं। भारत का बयान अमरीकी चेतावनी के छह घंटे बाद आया। इससे पहले भारत ने 25 मार्च को यह फैसला किया था कि कुनीन का एक्सपोर्ट नहीं किया जाएगा, क्योंकि इससे कोरोना वायरस से निपटने में मदद मिल सकती है। भारत इस दवाई की गोली का का सबसे बड़ा निर्यातक है। भारतीय समयानुसार मंगलवार तड़के चार बजे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी देते हुए कहा था कि अगर भारत उनके व्यक्तिगत आग्रह के बावजूद दवा नहीं भेजता है, तो उस पर जवाबी कार्रवाई की जाएगी। कुनीन भारत में मलेरिया के इलाज की पुरानी और सस्ती दवा है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच देश के स्वास्थ्यकर्मी यह दवा एंटी-वायरल के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके चलते सरकार ने पिछले महीने कुनीन के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। नासा के वैज्ञानिकों ने भी मलेरिया निरोधक कुनीन को कोरोना से लड़ने में कारगर बताया था। ट्रंप ने कहा कि अगर भारत कुनीन के निर्यात पर लगा बैन नहीं हटाता है तो उस पर कार्रवाई की जा सकती है। मुझे कोई कारण नहीं दिखता कि भारत ने अमरीका के दवा के ऑर्डर को रोककर क्यों रखा है, अमरीका के भारत से अच्छे रिश्ते हैं। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि हमारी प्राथमिकता यह है कि जरूरत की दवाइयों का देश में भरपूर स्टॉक हो, ताकि अपने लोगों की जरूरतों को पूरा किया जा सके। इसी के चलते कई दवाइयों पर कुछ समय के लिए निर्यात पर रोक लगाई थी, लेकिन लगातार नए हालात को देखते हुए सरकार ने कुछ दवाओं पर लगी निर्यात की रोक हटा दी है। कुल 14 दवाओं के निर्यात को मंजूरी दी गई है। उधर, अमरीका की धमकी पर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने ट्वीट कर कहा कि वैश्विक मामलों के मेरे दशकों के अनुभव में मैंने ऐसा कभी नहीं सुना कि कोई राष्ट्राध्यक्ष या सरकार इस तरह से खुली धमकी दे रही हो। आप भारत के हाइड्रोक्लोरोक्वीन को अवर सप्लाई किस तरह से कह सकते हैं मिस्टर प्रेसिडेंट। यह आपकी सप्लाई तब ही होती है, जब भारत इसे आपको बेचने का निर्णय लेता है।

अमरीका को बेसब्री से दवा का इंतजार

हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (कुनीन) और पैरासिटामोल का अमरीका को काफी बेसब्री से इंतजार है। कुनीन का इस्तेमाल मलेरिया के अलावा आर्थराइटिस में भी होता है, जबकि पैरासिटामोल का इस्तेमाल बुखार और दर्द के इलाज में किया जाता है। हालांकि  कुनीन को कोरोना संक्रमण के इलाज में भी काफी कारगर माना जा रहा है। अमरीका में कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिसकी वजह से वह ऐसी दवाओं के आयात को लेकर अधीर है। अमरीका में कोरोना वायरस के संक्रमण से 10 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई हैं और वहां करीब चार लाख लोग संक्रमित हैं।

दबाव में निर्यात खोलने पर विपक्ष ने उठाए सवाल

नई दिल्ली – मलेरिया की दवा को लेकर अमरीका और भारत में जारी विवाद के बीच देश में इस पर राजनीति शुरू हो गई है। विपक्षी नेताओं ने इसका निर्यात करने से पहले देश की सोचने की हिदायत दी और यहां तक कहा कि मोदी ट्रंप से डरकर बैन हटा रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मलेरिया की दवा को लेकर आए ट्रंप के बयान पर कहा कि सरकार दूसरे देशों की मदद करे, लेकिन भारतीय नागरिकों के लिए जरूरी दवाएं उपलब्ध रहनी चाहिए। उन्होंने ट्रंप का नाम लिए बिना निशाना साधा और कहा कि दोस्ती का मतलब जवाबी कार्रवाई नहीं होता है।


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