इलाज न मिलने से किडनी पेशेंट की मौत

By: Apr 5th, 2020 12:20 am

कोरोना वायरस के चलते टांडा मेडिकल कालेज में इलाज को पहुंचे नैहरनपुखर के पीडि़त का उपचार करने से किया मना

गरली-कोरोना वायरस का खौफ  गांव नैहरनपुखर के 41 वर्षीय शादीशुदा किडनी पेशेंट राजीव शर्मा पुत्र सोमदत शर्मा की जिंदगी पर भारी पड़ा है। लॉकडाउन के दौरान डाक्टरों का समय पर उपचार न मिलने के कारण शुक्रवार रात राजीव शर्मा ने दम तोड़ दिया। पीडि़त परिजनों की बात मानें, तो किडनी पेशेंट राजीव शर्मा का उपचार कई महीनों से लगातार पीजीआई चंडीगढ़ में चला हुआ था और अचानक कोरोना वायरस की महामारी के चलते वहां एडमिट  उक्त तमाम कई मरीजों को दवाई आदि देकर अपने-अपने घर भेज दिया गया। उनका आरोप है कि कुछ दिन राजीव ठीक रहा, लेकिन शुक्रवार देर सायं अचानक इसकी तबीयत बिगड़ते देख उसे टांडा मेडिकल कालेज कांगडा ले जाया गया, लेकिन वहां तैनात डाक्टरों द्वारा कोरोना संक्रमण मरीजों की व्यस्तता के कारण उसे लेने से इनकार कर दिया। मसलन घर लौटते वक्त किडनी बीमारी से पीडि़त राजीव शर्मा ने दम तोड़ दिया। इस मौत को लेकर इलाके भर के हर व्यक्ति व पीडि़त परिजनों को मलाल है कि अगर समय पर इसका उपचार हो जाता, तो शायद इसकी जिंदगी बच जाती। यह समस्या राजीव शर्मा की जिंदगी पर ही भारी नहीं पड़ी है, बल्कि हिमाचल भर के और भी कई आम मरीजों को उपचार के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। गांव नैहरनपुखर से एक ऐसा ही मरीज बबलू शर्मा दो अप्रैल रात को अचानक बाथरुम रुक गया। आनन-फानन ने उसे देहरा सिविल अस्पताल लाया गया, लेकिन वहां पर उसे प्राथमिक उपचार के बाद टांडा के लिए भेजा गया, वहां उसे लेने से इनकार कर दिया और पीडि़त को मजबूरन रातोंरात आईजीएमसी शिमला पहुंचाना पड़ा। ऐसी स्थिति में कोरोना संक्रमण पीडि़तों की जिंदगी तो दूर आम मरीजों की कीमती जान पटरी से उतरती नजर आने लगी है। बहरहाल कोरोना वायरस बीमारी को लेकर जहां देशभर के कई कारोबारियों का रोजगार ठप कर दिया है, तो वहीं स्वास्थ्य व्यवस्था भी पूर्ण रूप से डगमगा चुकी है। लिहाजा क्षेत्र के  प्रत्येक छोटे-बड़े अस्पतालों में इन दिनों कोरोना संक्रमण मरीजों को छोड़कर अन्य आम बीमारी से पीडि़त लोगों की ओपीडी ज्यादातर बंद कर दी गई है।


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