उद्योगपतियों ने सरकार से छह महीने के लिए मांगी राहत, बिजली के फिक्स चार्ज हटाने की भी गुजारिश
शिमला-कोरोना के चलते राज्य के उद्योगों की हालत भी खस्ता है। यहां उद्योगपति जहां अपना काम बंद करके बैठे हैं, वहीं उनके यहां काम करने वाले श्रमिकों के सामने वेतन का संकट है। केंद्र सरकार के निर्देशों के बाद भी यहां श्रमिकों को उनका वेतन नहीं मिला है, जिस पर उद्योगपतियों ने सरकार से मदद मांगी है। उद्योगपति चाहते हैं कि केंद्र सरकार ईएसआई के माध्यम से जिस तरह श्रमिकों को दूसरी सुविधा दे रही है, वैसे ही श्रमिकों के वेतन के लिए भी मदद करे। ईएसआई के माध्यम से उन्हें वेतन दिया जाए। इसके साथ ही उद्योगपतियों ने सरकार से तीन महीने के लिए बिजली के कुछ चार्जेस में भी छूट मांगी है, ताकि उन पर अपना काम चलाने में कोई ज्यादा दिक्कत न हो। बताया जाता है कि प्रदेश के उद्योगपतियों ने अपनी इन मांगों को मुख्यमंत्री के सामने रखा है और उनसे केंद्र सरकार से मामला उठाने की मांग की है। राज्य के उद्योगपतियों ने प्रदेश सरकार से इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में भी छह महीने तक की छूट मांगी है, वहीं उद्योगों की रजिस्ट्रेशन को ऑटो रिन्यू कर दिए जाने की मांग की गई है। वैसे हर साल उद्योगों की रजिस्ट्रेशन करवानी पड़ती है। इसके अलावा बिजली के फिक्स चार्ज हटाने की मांग और प्रदूषण नियंत्रण के लिए बोर्ड के लाइसेंस स्वतः रिन्यू करने की सुविधा के अलावा बॉयलर के लाइसेंस को रिन्यू करने की मांग सरकार से उठाई है। इस संकट की घड़ी में उद्योगपति चाहते हैं कि सरकार उन्हें यह सुविधा प्रदान करे, अन्यथा वे लोग भी सुचारू रूप से अपना काम नहीं कर सकेंगे।
कुछ मामलों में मिल चुकी है राहत
सरकार ने तीन महीने तक उन्हें कुछ मामलों में राहत देने के लिए कहा भी है, लेकिन ये लोग छह महीने की राहत मांग रहे हैं। सरकार आगे कितनी राहत इन लोगों को देती है, यह समय बताएगा। वैसे इन हालातों में उद्योगों के लिए भी मुश्किल है, जिनके पास इतने सारे श्रमिक भी हैं, जिन्हें संभाला जाना जरूरी है। अब इस क्षेत्र को कैसे सरकार बचाती है, यह समय बताएगा, क्योंकि हिमाचल में निवेश की जो मुहिम शुरू हुई थी, उसे तगड़ा झटका लगा है।