करोड़ों के टमाटर पर कोरोना की मार

By: Apr 5th, 2020 12:20 am

मंडी जिला की बल्ह घाटी में नहीं मिल रहा टमाटर की फसल के लिए आवश्यक  प्लास्टिक का धागा

नेरचौक-कोविड-19 के संकट के बीच अब प्रदेश भर में मिनी पंजाब के नाम से मशहूर मंडी जिला की बल्ह घाटी में करोड़ों रुपए की टमाटर की फसल भी दांव पर लग गई है। कोरोना का कहर अब सोना उगलने वाले खेतों पर भी पड़ना शुरू हो गया है। टमाटर के पौधों को खड़ा रखने के लिए बल्ह में टमाटर उत्पादकों के सामने अब प्लास्टिक के धागे का संकट खड़ा हो गया है। मार्केट में दुकानदारों के पास प्लास्टिक का धागा नहीं है और जिसके पास थोड़ा बहुत पुराना स्टॉक बचा है वे ज्यादा रेटों पर बेच रहे हैं। बल्ह में तकरीबन 700 से 900 हेटेयर भूमि में टमाटर की खेती होती है और हर साल यहां से टमाटर प्रदेश सहित दूसरे राज्यों मे भी जाता है। एक हैक्टेयर भूमि में करीब तीन से चार हजार क्रेट टमाटर के निकलते हैं और एक  क्रेट औसतन पांच सौ रुपए में बिकता है। हालांकि कोविड-19 के संकट के बीच में किसान खाद और कीटनाशकों की कालाबाजारी की भी यहां बाते कर रहे हैं, लेकिन इस समय किसानों को प्लास्टिक के धागे की सख्त जरूरत है। टमाटर के पौधे अब जमीन से बढ़ने शुरू हो गए हैं और पांच से सात दिनों के बाद किसानों को प्लास्टिक के धागे की जरूरत पड़ेगी, लेकिन मार्केट में लॉकडाउन के चलते प्लास्टिक का धागा आ नहीं रहा है। एक किलोग्राम प्लास्टिक के धागे की कीमत करीब 50 रुपए है, लेकिन बताया जा रहा है कि मार्किट में एक तो प्लास्टिक का धागा मिल ही नहीं रहा है और जहां कहीं थोड़ा बहुत पुराना स्टाक है वहां अब इसकी कीमत  70 से 80 रुपए किलोग्राम तक वसूली जा रही है। बल्ह में किसानों का कहना है कि अगर उन्हें प्लास्टिक का धागा समय पर नहीं मिला तो टमाटर की फ सल पूरी की पूरी खराब हो जाएगी। लाभ तो अभी दूर की बात है किसानों को अपनी अब तक की लागत पर भी संकट पड़ता दिख रहा है क्योंकि अब तक टमाटर की फसल के उपर किसान बीज, खाद, कीटनाशक, बांस और लेबर आदि के खर्चों के पर प्रति हैक्टेयर तकरीबन एक से डेढ़ लाख रुपए का खर्चा कर चुके हैं। इस बारे में बल्ह के एसडीएम आशीष शर्मा का कहना है कि धागा थोक के विक्रेता मुहैया करा सकते हैं या फिर इसके लिए जिला प्रशासन से ऑनलाइन परमिशन ली जा सकती है।

 

 


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