काम पर आ सकेंगे बाहर फंसे दवा कंपनियों के वर्कर

By: Apr 8th, 2020 12:03 am

बीबीएन – एशिया के फार्मा हब बीबीएन में दवा उत्पादन व सुचारू आपूर्ति में आ रही दिक्कतों के समाधान के लिए जिला प्रशासन ने दवा कंपनियों को आंशिक राहत दे दी है। इसके तहत दूसरे राज्यों व हिमाचल के अन्य जिलों में रह रहे दवा कंपनी के अधिकारियों व कर्मचारियों को बीबीएन में अपने कार्यस्थल पर प्रवेश की अनुमति होगी, जिला प्रशासन द्वारा जारी आदेशों के मुताबिक यह वन टाइम रिलैक्सेशेसन होगी और इसके लिए दवा उद्योगों में काम करने के लिए आने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों को अधिकृत सरकारी अधिकारी द्वारा बाकायदा ट्रांजिट पास व ट्रैवल परमिट जारी किए जाएंगे। दवा उद्यमियों ने इस छूट के लिए राज्य सरकार व प्रशासन का आभार जताया है। सरकार के इस फैसले पर दवा उद्यमियों का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से उनके वरिष्ठ अधिकारी व कर्मचारी हिमाचल व बाहरी राज्यों में फंसे हैं। इस वजह से उद्योगों में उत्पादन बढ़ाना संभव नहीं हो पा रहा था, जबकि केंद्र व प्रदेश सरकार ने दवा उत्पादन बढ़ाने के निर्देश जारी कर रखे हैं। फिलवक्त दवा कंपनियों के अनुरोध पर प्रशासन ने बीबीएन से बाहर फंसे अधिकारियों व कर्मचारियों को बीबीएन में एंट्री की छूट दे दी है।

फार्मा कंपनियों में नहीं होती कालोनी

बीबीएन समेत पूरे राज्य में फार्मा के सात सौ से ज्यादा उद्योग स्थापित हैं, जिनमें से 50 फीसदी में उत्पादन चल रहा है। हालांकि इनमें कर्मचारियों की किल्लत की वजह से उत्पादन भी 20 से 30 प्रतिशत तक सिमट कर रह गया है। बीबीएन, परवाणू व कालाअंब के अधिकांश फार्मा अधिकारी चंडीगढ़, पंचकूला, जीरकपुर व मोहाली में निवास करते हैं। जब से प्रदेश सरकार ने ट्राइसिटी चंडीगढ़ व बाहरी राज्यों से कर्मचारियों व आम लोगों के आवागमन पर पाबंदी लगाई, तब से ज्यादातर उद्योगों को या तो अपना उत्पादन तक बंद करना पड़ा या फिर नाइट शिफ्ट बंद करते हुए डे शिफ्ट में भी सीमित उत्पादन को मजबूर होना पड़ा। हालात ये हैं कि कुछ उद्योगों में नाम मात्र कर्मी उत्पादन कर रहे थे, क्योंकि किसी भी फार्मा कंपनी में कालोनी की सुविधा नहीं होती, जबकि सरकार का कहना था कि आप अपने कर्मचारियों को अंदर ही रखो। उसके बाद सरकार ने थोड़ा संशोधन किया कि स्थानीय स्तर पर आपके कर्मचारी दो घंटे सुबह दो घंटे शाम को अपने काम पर आ जा सकते हैं, लेकिन उससे भी बात नहीं बनी। एक तरफ तो देश हित में दवा उत्पादन बढ़ाने का आग्रह दवा उद्यमियों से किया गया, जिसे दवा उद्यमियों ने मान भी लिया, लेकिन उनके लिए दिक्कत उस वक्त पैदा हो गई, जब दवा बनाने वाले एक्सपर्ट बीबीएन से बाहर राज्यों में फंस गए। सीमाएं सील होने के चलते उनकी बीबीएन में एंट्री नहीं हो पा रही थी, वहीं कुछ कर्मचारी कांगड़ा, हमीरपुर, ऊना चले गए थे, उनकी भी वापसी नहीं हो पा रही थी। दवा संगठनों ने मसला उठाया था कि दवा निर्माण में हर किसी को शामिल नहीं कर सकते, बल्कि विशेषज्ञ कर्मचारी चाहिए होते हैं, इसलिए राज्य सरकार वन टाइम रिलैक्सेशेन देते हुए कर्मचारियों व अधिकारियों को हिमाचल आने की छूट दे।

भरना होगा एक फॉर्म…

लघु उद्योग भारती के फार्मा के नेशनल हैड डा. राजेश गुप्ता ने कहा कि इस संबंध में एक प्रपत्र भरा जाएगा, जिसमें 15 विवरण देने होंगे, जिसमें कोरोना के बचाव के मद्देनजर कर्मचारी की पूर्ण ट्रैवल हिस्ट्री व स्वास्थ्य रिपोर्ट भी उद्यमी को संलग्न करनी होगी।

उद्योगों को दें सॉफ्ट लोन

बीबीएन – सीआईआई यानी भारतीय उद्योग परिसंघ ने कोविड-19 टास्क फोर्स का गठन किया है, जिसका उद्देश्य राज्य में कोविड-19 के उन्मूलन और राज्य सरकार को सहयोग करना व उद्योगों की समस्याओं का निवारण करवाना है। हिमाचल प्रदेश स्टेट काउंसिल के अध्यक्ष कर्नल शैलेश पाठक ने कहा कि सीआईआई सदस्य लोगों की सहायता के लिए आगे आ रहे हैं तथा लोगों को शुष्क राशन किट, पका हुआ भोजन, मास्क व सेनेटाइजर आदि बांटे जा रहे हैं और सीएम व पीएम रिलीफ फंड में भी सहयोग दिया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश में उद्योग परिचालन बंद होने के साथ-साथ पूरी आपूर्ति शृंखला नेटवर्क के बाधित होने के कारण भारी संकट से गुजर रहे हैं। उद्योग और अर्थव्यवस्था पर इस महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए भारतीय उद्योग परिसंघ ने राज्य सरकार को सुधारों और उपायों के बारे में सुझाव दिया है। सीआईआई ने दृढ़ता से सिफारिश की है कि मांग शुल्क, उपभोक्ता सेवा शुल्क, मीटर रेंट, बिजली बिलों में निर्धारित शुल्क को छह महीने की अवधि के लिए माफ किया जाए, जो कि मार्च से शुरू होने वाली स्थिति के आधार पर नियत समय तक बढ़ाया जा सकता है। इसी तरह सीआईआई ने दो साल की अवधि के लिए बिजली शुल्क पर छूट का भी अनुरोध किया है। सीआईआई ने राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि सूक्ष्म उद्योग को पांच लाख रुपए और 25 लाख रुपए छोटे और मध्यम श्रेणी के उद्योगों को सॉफ्ट लोन (बिना ब्याज) के तौर पर दिया जाए, ताकि इस मुश्किल समय के दौरान उद्योगों को अपने वेतन, बिलों का भुगतान करने में सहायता मिल सके।

बल्क ड्रग मैन्युफेक्चरिंग पार्क जल्द बनाएं

सीआईआई उपाध्यक्ष शैलेश अग्रवाल ने कहा कि राज्य में फार्मास्युटिकल उद्योग सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) की आपूर्ति से जूझ रहा है, जो कि ज्यादातर चीन से आयात किया जाता है, इसलिए प्रदेश सरकार बीबीएन में प्रस्तावित बल्क ड्रग मैन्युफेक्चरिंग पार्क की स्थापना की प्रक्रिया तेज करें, ताकि आयात पर निर्भरता कम की जा सके। सीआईआइ सदस्यों ने सीएम जयराम ठाकुर, उद्योग मंत्री विक्रम सिंह ठाकुर के समक्ष वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम उद्योगों की समस्याओं को उठाया है।

 


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