कुल्लू को रुला गया पूईंद का सपूत

By: Apr 7th, 2020 12:05 am

कुपवाड़ा में आतंकियों से मुठभेड़ में पिया शहादत का जाम, शोक की लहर छायी

कुल्लू – कुल्लू जिला की खराहल घाटी के पूइर्ंद गांव से संबंध रखने वाले सैनिक बालकृष्ण की शहादत ने कारगिल युद्ध के दिन को ताजा कर देवभूमि को गमगीन कर दिया। जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती जिला कुपवाड़ा के केरन सेक्टर में सतर्क सुरक्षा बलों ने रविवार को पाकिस्तान के कब्जे वाले  कश्मीर पीओके से घुसपैठ की एक बड़ी कोशिश को नाकाम कर दिया। इस दौरान हथियारबंद आतंकवादियों को मार गिराने के साथ अंधाधुंध गोलाबारी में जवाबी कार्रवाई में उतरे तीन सैनिक भी शहीद हो गए, जिसमें दो पहाड़ी राज्य हिमाचल के जवान थे। इनमें एक जिला कुल्लू के पूईद गांव का 24 वर्षीय सैनिक बालकृष्ण भी देश की माटी की रक्षा करते हुए शहीद हो गया। 1999 को कारगिल के द्रास सेक्टर में राष्ट्र विरोधी तत्त्वों से मुठभेड़ में अंतिम सांस तक बहादुरी से लड़ते हुए वह वीरगति को प्राप्त हुआ। आपरेशन रक्षक में सम्मिलित होते हुए डोला राम ने द्रास सेक्टर में मातृभूमि के लिए बलिदान किया।  वहीं, अब कुपवाड़ा के केरन सेक्टर में सैनिक बालकृष्ण मारा गया। लिहाजा, 1999 वाले कारगिल युद्ध के जख्म को कुल्लूवासियों ने ताजा कर दिया। जानकारी के अनुसार अब तक जिला कुल्लू के कई सैनिक देश सेवा के लिए कुर्बान हो गए हैं। अब तक के बड़े-बड़े युद्धों  की बात करें तो 1947 के युद्ध में 43  हिमाचली शहीद हुए।  1962 के युद्ध में 131, 1965 के युद्ध में 199 और 1971 के युद्ध में 195 हिमाचलियों ने शहादत का जाम पिया। आजादी से लेकर अब तक हिमाचल के सैनिकों ने देश रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी  है। 2016 को पठानकोट के एयरबेस पर हुए आतंकी हमले को नाकाम करने में दो हिमाचलियों ने खुद को कुर्बान कर दिया। छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले में दो हिमाचली देश के काम आए। देश की रक्षा के खातिर शहादत का चोला ओढ़ने में हिमाचल नंबर वन है। फौज में भर्ती होकर सरहद की हिफाजत के लिए रवाना हुए राज्य के कई जवानों के शव तिरंगे में लिपट कर लौटे। ठीक बीस सालों बाद यानि 1999 के बाद कुल्लू जिला ने एक बार फिर कारगिल युद्ध के जख्म को ताजा कर दिया।


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