कोरोना ने हिलाई सामाजिक ताने-बाने की नींव

By: Apr 8th, 2020 12:02 am

पंजाब में जमात ने बढ़ाया मुस्लिम गुज्जरों की रोजी-रोटी पर संकट, कई शरारती तत्त्व कर रहे मारपीटकोरोना वायरस आर्थिकता को तो तबाह कर ही रहा है, सामाजिक ताने-बाने की बुनियादें भी हिला रहा है। इस वायरस से पीडि़तों की संख्या पंजाब में 79 हो चली है और आठ लोग मौत के हवाले। समूचा सूबा कड़े कर्फ्यू की जद में है। प्रतिदिन ऐसी घटनाएं हो रही हैं, जो साफ संकेत करती हैं कि वायरस सामाजिक स्तर पर किस तरह उथल-पुथल मचा रहा है। कहीं परिजन शव लेने से इनकार कर रहे हैं, तो कहीं श्मशान घाट पर ताला लगा दिया जाता है, ताकि वायरस से मरी देह को वहां सुपुर्द-ए-आतिश न किया जा सके। बेशुमार गांवों में ग्रामीणों ने खुद नाकेबंदी की हुई है कि कोई बाहरी शख्स उनके गांव की हद में प्रवेश न कर पाए। वायरस के खौफ से लोग खुदकुशी कर रहे हैं। सोशल मीडिया के जरिए फैल रही फिरकापरस्ती के जहर ने अमन और सद्भाव के लिए जाने जाते पंजाब में भी रंग दिखाना शुरू कर दिया है। वर्षों से दूध का काम कर रहे और स्थानीय लोकाचार का हिस्सा बन चुके मुस्लिम-गुज्जरों को निशाना बनाया जा रहा है। कर्फ्यू के दौरान गली-मोहल्लों में रेहड़ी पर सब्जियां-फल बेचने वालों से उनका मजहब पूछा जा रहा है। सात अप्रैल को लुधियाना के शिमलापुरी मोहल्ले की रहने वाली 69 वर्षीया सुरेंद्र कौर का कोरोना वायरस से निधन हुआ, तो उनके भरे-पूरे परिवार ने शव लेने से भी साफ इनकार कर दिया। आखिरकार ड्यूटी मजिस्ट्रेट तहसीलदार जगसीर सिंह ने सुरेंद्र कौर की मृतक देह रिसीव की। सेहत विभाग और पुलिस कर्मचारियों को साथ लेकर उन्होंने शव अनाज मंडी स्थित श्मशान घाट पहुंचाया। परिजन सौ मीटर दूर गाडि़यों में बैठे रहे। सुरेंद्र कौर के बेटे से प्रशासनिक अधिकारियों ने कहा कि दूर से ही कोई रस्म करनी हो तो कर सकते हैं, लेकिन कोई इसके लिए भी तैयार नहीं हुआ। शव को चिता तक पहुंचाया गया। दोबारा परिवार के सदस्यों को कहा गया कि मुखाग्नि के लिए कोई व्यक्ति आगे आना चाहे तो उसे पीपीई किट डालकर भेजा जाएगा। आखिरकार प्रशासन की ओर से श्मशान घाट के माली को इस काम के लिए तैयार किया गया और उसने सबके रहते ‘लावारिस’ बना दी गईं सुरेंद्र कौर का अंतिम संस्कार किया। बदनसीब सुरेंद्र कौर की अंतिम अरदास का जिम्मा भी तीन अधिकारियों, एडीसी इकबाल सिंह संधू, एसडीएम अमरिंदर सिंह मल्ली और डीपीआरओ प्रभदीप सिंह नत्थोवाल ने उठाया है। एडीसी संधू के मुताबिक गुरुद्वारा बाबा दीप सिंह में श्री अखंड पाठ साहिब का प्रकाश करवाया जाएगा और शनिवार को अंतिम अरदास होगी। तीनों अधिकारी इसका तमाम खर्च अपनी जेब से करेंगे। गौरतलब है कि मृतका सुरेंद्र कौर लोक इंसाफ  पार्टी के रहनुमा विधायक सिमरजीत सिंह बैंस के जीजा की चाची हैं। पांच दिन पहले हजूरी रागी पद्मश्री निर्मल सिंह खालसा की कोरोना वायरस से मौत हुई, तो उनके शव को अंतिम संस्कार के बाद अमृतसर के वेरका श्मशानघाट लाया गया, लेकिन स्थानीय पार्षद ने श्मशान घाट के गेट पर ताला लगवा दिया। आखिरकार निर्मल सिंह खालसा का अंतिम संस्कार शामलाट जमीन पर किया गया। निर्मल सिंह खालसा विश्वप्रसिद्ध रागी थे और प्रख्यात गजल गायक गुलाम अली उनके उस्ताद हैं। वह कई बरस तक श्री स्वर्ण मंदिर साहिब के हजूरी रागी रहे। पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह और उनका परिवार उनके मुरीदों में शुमार है। भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से नवाजा था और उन्हें ‘पंथ का अनमोल हीरा’ कहा जाता था।  पूरा पंजाब इस वक्त कर्फ्यू की जद में है। जगह-जगह पुलिस के साथ सीआरपीएफ और अन्य अर्धसैनिक बल भी तैनात हैं।  फिर भी हजारों गांवों में ग्रामीणों ने अपने-अपने तौर पर नाकेबंदी की हुई है ऐसे तमाम नाकों पर नौजवान बैठे मिलते हैं। गांव स्तर की यह नाकेबंदी सामुदायिक एकता छिन्न-भिन्न कर रही है। इस कर्फ्यू से पहले पंजाब में 1984 में कर्फ्यू झेला था। दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी मरकज प्रकरण के बाद सोशल मीडिया के जरिए फैल रही सांप्रदायिक नफरत का जहर पंजाब में खासा नागवार असर दिखा रहा है। सूबे के कई बाशिंदों ने मरकज में शिरकत की थी। उनकी गहन चिकित्सीय जांच की जा रही है। जुनूनी लोग पंजाब में वर्षों से दूध का कारोबार करने वाले मुस्लिम-गुज्जरों को निशाना बना रहे हैं जबकि इन मुस्लिम-गुज्जरों का मरकज से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं।

…अमरीक


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