कोविड-19 युद्ध में ग्राम पंचायतों की भूमिका

By: Apr 4th, 2020 12:05 am

अजय पाराशर

लेखक, धर्मशाला से हैं

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला में कई पंचायत प्रतिनिधि और संस्थाएं अपने स्तर पर कोरोना के संक्रमण को रोकने हेतु प्रयासरत हैं। धर्मशाला की 24 और प्रागपुर की 75 पंचायतों ने जिला कोरोना राहत कोष में प्रति पंचायत के हिसाब से पांच हजार रुपए का योगदान दिया है। पंचायत समिति, फतेहपुर के सभी सदस्यों ने अपने एक माह के मानदेय का जिला कोरोना राहत कोष में योगदान दिया है। इसी तरह अन्य पंचायतें और प्रतिनिधि भी अपने स्तर पर अपने क्षेत्रों में सेनेटाइजेशन करवाने के अलावा जरूरतमंद लोगों को राशन एवं अन्य खाद्य वस्तुएं मुहैया करवा रहे हैं। इसके अलावा कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव एवं फैलने से रोकने में सभी पंचायती राज संस्थान अपने क्षेत्रों में अपने स्तर पर इस महामारी के संक्रमण से संबंधित तमाम जानकरियां उपलब्ध सुलभ साधनों के माध्यम से सभी ग्रामवासियों तक पहुंचाना सुनिश्चित कर सकते हैं…

वास्तविक हिंदोस्तान आज भी गांवों में ही बसता है। शहरों में स्वास्थ्य सुविधाओं की तस्वीर गांवों से बेहतर है और तुलनात्मक रूप से शहरी इलाकों के लोग गांव के लोगों से अधिक जागरूक हैं। ऐसे में कोविड-19 या कोरोना वायरस जैसी खतरनाक वैश्विक महामारी से लड़ने एवं बचाव में ग्राम पंचायतों की भूमिका और भी अहम हो जाती है। ग्रामवासियों के सहयोग से तमाम पंचायती राज संस्थान आपस में मिलकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के गांवों को स्वावलंबन की ओर अग्रसर करने और उन्हें पूरी तरह स्वावलंबी बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। ये संस्थान केंद्र और प्रदेश सरकारों द्वारा जारी लॉकडाउन निर्देशिका के पालन, भ्रामक जानकारियों के फैलाव को रोकने, कर्फ्यू के दौरान लोगों के बाहर न निकलने, दुकानों पर अनावश्यक भीड़ को रोकने, सोशल डिस्टेंसिंग, अपने इलाकों में बाहर से आए व्यक्तियों की सही जानकारी जुटाने और उसे प्रशासन को मुहैया करवाने, संक्रमित व्यक्तियों की पहचान एवं आइसोलेशन, संभावित संक्रमित व्यक्तियों के घर पर ही उनके संगरोध, साफ-सफाई, आपदा प्रबंधन समितियों के गठन, आवश्यक कार्यों के लिए बुजुर्गों के स्थान पर युवाओं को भेजने और जिन व्यक्तियों में सामान्य सर्दी-जुकाम और फ्लू के लक्षण हों, उन्हें मुंह पर रूमाल और टिशू पेपर के प्रयोग के अलावा आवश्यक सावधानी बरतने और सभी लोगों को समय-समय पर हाथ धोने या एल्कोहल आधारित हैंड रब सेनिटायजर्स का इस्तेमाल करने हेतु प्रोत्साहित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

इसमें कोई दोराय नहीं कि वर्तमान वैश्विक आपदा के समय में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला में कई पंचायत प्रतिनिधि और संस्थाएं अपने स्तर पर कोरोना के संक्रमण को रोकने हेतु प्रयासरत हैं। धर्मशाला की 24 और प्रागपुर की 75 पंचायतों ने जिला कोरोना राहत कोष में प्रति पंचायत के हिसाब से पांच हजार रुपए का योगदान दिया है। पंचायत समिति, फतेहपुर के सभी सदस्यों ने अपने एक माह के मानदेय का जिला कोरोना राहत कोष में योगदान दिया है। इसी तरह अन्य पंचायतें और प्रतिनिधि भी अपने स्तर पर अपने क्षेत्रों में सेनेटाइजेशन करवाने के अलावा जरूरतमंद लोगों को राशन एवं अन्य खाद्य वस्तुएं मुहैया करवा रहे हैं। इसके अलावा कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव एवं फैलने से रोकने में सभी पंचायती राज संस्थान अपने क्षेत्रों में अपने स्तर पर इस महामारी के संक्रमण से संबंधित तमाम जानकरियां उपलब्ध सुलभ साधनों के माध्यम से सभी ग्रामवासियों तक पहुंचाना सुनिश्चित कर सकते हैं। सभी पंचायती राज संस्थान आपस में बेहतर समन्वय स्थापित कर अपने इलाकों में परंपरागत रूप से डोंडी पिटवाकर लोगों को जागरूक बना सकते हैं। इसके अलावा हर घर में पंफलेट बांट कर भी लोगों को जानकारी प्रदान की जा सकती है। दीवार लेखन के अतिरिक्त एसएमएस और व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से लोगों को आपस में सोशल दूरी बनाने के संदेश और जानकारी प्रदान की जा सकती है। अकसर लोग धार्मिक समारोहों और शादी-ब्याह में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करते हैं। जिला प्रशासन तो अपने स्तर पर लोगों को जागरूक बनाने के लिए इस माध्यम का प्रयोग कर रहा है।

किंतु अगर पंचायती राज संस्थान चाहें तो वे भी इसके माध्यम से आवश्यक जानकारी लोगों तक पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा सोशल दूरी के नियमों को ध्यान में रखकर अन्य स्थानीय उपाय भी किए जा सकते हैं। इसके अलावा ग्राम पंचायतें अपने इलाकों में कोरोना वायरस से होने वाले संक्रमण से बचाव के उपायों में ग्राम पंचायत सीमा में आने-जाने वाले लोगों की आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंधित सुनिश्चित कर सकती हैं। ये संस्थाएं लोगों को कर्फ्यू के दौरान आने-जाने में पूरी तरह प्रतिबंधित करने में सक्षम हैं और छूट के दौरान भी ये संस्थाएं उन्हें अनावश्यक रूप से इधर-उधर न जाने और अपने घरों के समीप ही खरीददारी करने हेतु प्रेरित कर सकती हैं। संबंधित ग्राम पंचायत के व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह अगर किसी कारणवश किसी और स्थान पर रुका हुआ है, तो उनका हाल-चाल पूछकर उनकी खाने-रहने और आवश्यक सामग्री का प्रबंध करने में वहां के स्थानीय प्रशासन से मदद ली जा सकती है। उन्हें तमाम हेल्पलाइन नंबर उपलब्ध करवाए जा सकते हैं ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें हरसंभव मदद मिल सके। समय-समय पर उनका हौसला बढ़ाने में यह संस्थान अहम भूमिका निभा सकते हैं। किसी भी स्थिति में डर, भय एवं भ्रामक जानकारियों के फैलाव को रोकने में एवं उल्लंघना करने वालों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित कर सकते हैं। ये संस्थान ग्राम पंचायतों में आने-जाने वाले व्यक्तियों के पंजीकरण हेतु उपलब्ध रजिस्टर में प्रविष्टि के नियम का कड़ाई से पालन करवा सकते हैं। अपने क्षेत्रों में साफ-सफाई का पूर्ण ध्यान रखते हुए अन्य बीमारियों को फैलने से रोक सकते हैं। ग्राम पंचायतें इसमें किसी भी प्रकार के जागरूकता कार्यक्रम का प्रबंधन जानने वाले व्यक्तियों, विशेषकर युवाओं की सहायता ले सकती हैं। सभी स्थानीय लोग तथा पंचायत प्रतिनिधि प्रशासन द्वारा कोरोना के खिलाफ छेड़े अभियान में संबंधित सभी निर्देशों का पालन कर अपने क्षेत्रों में संक्रमण से बचाव में महत्ती भूमिका निभा सकते हैं। इसके अलावा पंचायती राज संस्थाएं सामाजिक सुरक्षा पेंशन एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली के राशन का समयबद्ध वितरण सुनिश्चित कर सकती हैं।


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