खोत्ति हो गई सर खोत्ति

By: Apr 1st, 2020 12:02 am

अशोक गौतम

ashokgautam001@Ugmail.com

…तो पाठको! मार्निंग वॉक पर यमराज आगे-आगे तो चित्रगुप्त उनके पीछे-पीछे हांफते-हांफते। जब वे दोनों मार्निंग वॉक करते यजमानों के शहर पहुंचे तो वहां सन्नाटा देख यमराज से अधिक वे सन्न! एक पल को तो दोनों को लगा कि वे किसी दूसरे के अधिकार क्षेत्र में आ गए हों जैसे। पर जब सामने पहले वाला अस्पताल दिखा तो उन्हें लगा कि नहीं, वे अपने ही यजमानों की बस्ती में आए हैं। पर वाह! हवा कितनी साफ ! पंछी किस मस्ती से डालों पर चहक रहे हैं। ऐसी सुबह मुद्दत बाद इस शहर में देख रहा हूं। गाडि़यों का कतई शोर नहीं। मन कर रहा है कि इन खाली सड़कों पर योगा कर लूं। सेक्रेटरी, किसी से पता तो करो कि आखिर ये माजरा क्या है? ‘अपने मालिक के आदेश पर चित्रगुप्त ने इधर-उधर देखा तो अचानक उन्हें कुछ ही दूरी पर एक दूध का अधखुला बूथ दिखाई दिया तो वे उस ओर चल पड़े जॉगिंग करते-करते। वहां जाकर उन्होंने डरे हुए से दूध बेचने वाले से पूछा, ‘भाई साहब! यहां इतना सन्नाटा क्यों हैं? सारे शहरवासी शहर छोड़ कर प्रदूषण के चलते कहीं और चले गए क्या?’ ‘प्लीज यार! जरा सोशल डिस्टेंस रखकर बात करो। तुम तो ऊपर ही चढ़े जा रहे हो। लो, पहले अपने-अपने हाथ सेनिटाइज करो। और हां, पेमेंट डिजिटिल करना। कितने पैकेट दूं? ‘नहीं, मुझे दूध नहीं चाहिए।’ ‘तो क्या चाहिए? मौत? हद है यार! देश दुनिया लॉकडाउन है और तुम्हें मार्निंग वॉक करने की सूझी है? अरे! बेकार में घूम क्यों अपनी मौत को बुलावा दे रहे हो? जानते नहीं, शहर में कर्फ्यू लगा है?’ ‘मार्निंग वॉक से आदमी मरता है क्या? ये र्क्फ्यू-वर्फ्यू क्या होता है भाई साहब? मैं कुछ समझा नहीं। इसलिए जो जरा… ‘वो देखो, सामने से पुलिसवाला आ रहा है। इससे पहले कि यह यहां आकर प्लीज! खुदा के लिए… ‘कहां से आए हो?’ परेशान दूध के बूथ वाले ने चित्रगुप्त के आगे दोनों हाथ जोड़े तो चित्रगुप्त ने बड़ी सहजता से कहा, ‘दूसरी बादशाही से।’ ‘मतलब? चलो, भागो यहां से, वरना अभी पुलिस को खबर देता हूं कि बाहर की बादशाही से आकर एक बंदा बड़ा चौड़ा होकर मार्निंग वॉक कर रहा है।’ ‘तो क्या कर लेगी पुलिस मेरा? मार्निंग वॉक करने ही तो निकला हूं, चोरी करने तो नहीं।’ ‘पगले जो उसने तुम्हारे माथे पर क्वारंटाइन की मुहर लगा दी तो… फिर अकेले रहना बीवी बच्चों से अलग। तुम उसके बाद भी बच गए तो बच गए। इस वक्त जान प्यारी है तो… मुझे भी जिंदा रहने दो और… कह उसने एक बार फिर चित्रगुप्त को हाथ साफ  करने को सेनिटाइजर दिया तो उन्होंने चौंकते पूछा,‘यार! ये बार-बार मुझे हाथ में लगाने को क्या दे रहे हो? ‘इससे बच गए तो बच गए वरना… कोरोना उठा ले जाएगा। अतः इससे पहले कि…. और घबराए-घबराए चित्रगुप्त यमराज के पास भागते-भागते आ पहुंचे। चित्रगुप्त की सांसें फूली हुई देख यमराज ने चित्रगुप्त से पूछा, ‘यार! चित्रगुप्त! हम मार्निंग वॉक पर निकले हैं, भ्रष्टाचार के विरुद्ध मैराथन में नहीं। माना, सड़कें, पार्क  सब खाली हैं, तो इसका मतलब ये तो नहीं हो जाता कि… और ये मुंह पर क्या बांध कर आ गए तुम? कहीं तुम्हारी सांस रुक गई तो?’ ‘प्रभु ! जान बचानी है तो छोड़ो मार्निंग वॉक। यहां ये सन्नाटा इसलिए है सर कि… जान है तो यजमान हैं प्रभु!’ ‘पर आखिर बात क्या है जो…?’ ‘अपने लोक में ही आपको सब चैन से बताऊंगा। अभी जो जान बचानी है तो… मुझे तो यहां के हालात देख कर लग रहा है कि हमें भी आने वाले दिनों में अपने लोक में टेस्ट के लिए लैब, आइसोलेशन वार्ड न बनाने पड़े कहीं, ‘कह वे तो उड़न छू हुए ही, पर उनके साथ यमराज भी अदृश्य हो गए। दोनों ने तब अपनी बादशाही में आकर ही राहत की सांस ली।


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