घातक संपर्क की जद में

By: Apr 4th, 2020 12:05 am

खबरें निरंतर बुरी और घातक होती जा रही हैं। बेशक हिमाचल सतर्क रहा, लेकिन कोरोना वायरस से लदी घुसपैठ ने पूरी व्यवस्था के पसीने छुड़ा दिए हैं। बीबीएन क्षेत्र की एक महिला की कोरोना से हुई मौत ने सारे क्षेत्र के सुरक्षा कवच को तार-तार ही नहीं किया, बल्कि एक साथ कई यमदूत पैदा कर दिए। करीब हजार कामगारों के औद्योगिक परिसर के गेस्ट हाउस में पिछले पंद्रह दिनों से रह रही महिला ने इस अवधि को वायरस संक्रमण का प्रमुख संपर्क बना दिया। यह मौत नहीं, बल्कि मौत का पहरावा है जिसके साए में न जाने कितने लोग फंस चुके होंगे। हैरानी यह कि दिल्ली से आई महिला व उसके परिवार ने से पूरे हिमाचल को खतरे में डाल दिया है। यहां मसला एक बीमार का नहीं था, बल्कि बीमारी को पर्दे में रखकर परिवार ने न जाने कितने लोगों को कोरोना वायरस बांट दिया होगा। कंपनी के गेस्ट हाउस से लेकर प्रबंधकीय बैठकों के दौर और संपर्कों के मेलजोल में न जाने कितनी शृंखलाएं बनी होंगी। अगर पद्रंह दिनों से एक बीमार खुलेआम वायरस की पोटली बनकर घूमता रहा, तो उसने अधिकतम नुकसान पहुंचाया है और यह एक सबसे बड़ा विस्फोट है। यह चेतावनी से कहीं आगे खतरे का सबसे वीभत्स दृश्य है, जिसे हम बीबीएन के औद्योगिक परिदृश्य से होते हुए हिमाचल के न जाने कितने घरों को छू लेंगे। यदि यह वायरस लॉकडाउन से पहले कर्मचारियों और कामगारों तक पहुंच गया होगा, तो अवकाश में घर पहुंचे लोगों ने इसे कहां तक पहुंचा दिया होगा। कोई अनुमान भी नहीं लगा सकता। जाहिर है लॉकडाउन और कर्फ्यू के अर्थ को अगर सख्त नहीं किया गया और जनता इस संकट की विरासत को नहीं समझेगी, तो यह घोर अपराध होगा। इस वक्त कोरोना पॉजिटिव मामले केवल कुछ परिवारों को चिन्हित नहीं कर रहे, बल्कि यह खतरों के रास्ते बढ़ा रहे हैं। सबसे पहले विदेश से आए एक तिब्बती ने दिल्ली से धर्मशाला पहुंच कर अपनी मौत से हिमाचल को भयभीत किया, तो अब एक पूरी फैक्ट्री वायरस की भट्टी की तरह चिंताओं को उबाल रही है। इतना ही नहीं निजामुद्दीन मरकज से लौटे हिमाचलियों ने आफत के दस्तावेज भी दे दिए। अंब की एक मस्जिद से चर्चा में आए तब्लीगी जमाती अब जिंदगी के दोराहे पर कोरोना का खतरा बन गए। तीन जमातियों का पॉजिटिव होना दहशत के नासूर को जिंदा कर रहा है। ये तीनों मंडी के हैं, जबकि शिनाख्त की पर्चियों में जब मस्जिदें खंगाली जाएंगी तो हम अपने खतरे खुद ही चुन चुके होंगे। ये दोनों घटनाक्रम आतंकित करने के साथ-साथ आम जनता के संयम में खलल डालते हैं। आश्चर्य यह कि अंब और बीबीएन की गलतियां एक सरीखी व धर्म से ऊपर हैं। यहां हम भले ही निजामुद्दीन घटनाक्रम के आक्रोश में जज्बाती हो सकते हैं या जब टावर लोकेशन से एक साथ 840 लोगों की खबर दिल्ली से आती है, तो यह आंकड़ा हिमाचल की सतर्कता पर भारी दिखाई देता है। अब इसी तरह का घटनाक्रम बीबीएन के फैक्टरी परिसर में तैयार हुआ है। अंतर यह है कि यहां कोई हिंदू परिवार सरकार की कोशिशों को नजरअंदाज कर रहा था। मृतक औरत जिन हालात में दिल्ली से हिमाचल शिफ्ट हुई, वह किसी पढ़े-लिखे या संपन्न परिवार की बुद्धिमता के बजाय ऐसी घातक खुदगर्जी है जिसका खामियाजा पारिवारिक नुकसान के साथ-साथ अनजान इनसान तक को मिला होगा। एक व्यक्ति की गलती पूरी मानवता पर भारी पड़ सकती है, इसलिए इस समय हमारे कान सरकारी सूचनाओं को पूरी तरह सुनें और जो कहा जा रहा है, उस पर अमल करें। इन दोनों घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में हिमाचल अति संवेदनशील बन चुका है, अतः कर्फ्यू की नसीहत में हर नागरिक को प्रतिबंधों की मूल भावना को खंडित होने से बचाना है। हिमाचल में कर्फ्यू के संदर्भ अब गहरे तथा सख्त हो सकते हैं, अतः आप सभी इस धर्म का पालन करते हुए अपने आसपास पर भी निगाह रखें ताकि नियमों का अतिक्रमण न हो।


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