देश-दुनिया बचाने का दारोमदार बद्दी पर
अमरीका की डिमांड पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का
दिन-रात हो रहा उत्पादन
कैडिला सहित 30 कंपनियां यहीं बनाती हैं मलेरिया की दवा
कोरोना पीडि़तों के इलाज के लिए हो रहा इस्तेमाल
शिमला-कोविड-19 की वैश्विक महामारी से देश और दुनिया को बचाने का सबसे बड़ा दारोमदार हिमाचल प्रदेश के फार्मा हब बद्दी पर आ गया है। अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप की बार-बार अपील के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्राल ने बद्दी की तरफ नजरें गड़ा दी हैं। भारत सरकार अमरीका सहित दूसरे देशों की डिमांड पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा देने को तैयार गया है और इसका बहुत बड़ा दायित्व बद्दी-बरोटीवाला क्षेत्र पर आ गया है। कोरोना से लड़ने के लिए सबकी निगाहें बद्दी पर टिक गई हैं। जाहिर है कि मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोराक्वीन का प्रयोग कोरोना पीडि़तों के इलाज के लिए हो रहा है। इसलिए अमरीकी राष्ट्रपति बार-बार भारत से यह दवाई मांग रहे हैं। इस हलचल के बाद हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने इस दवाई का उत्पादन करने वाली फर्मों के प्रोडक्शन वॉल्यूम की लेखा-जोखा शुरू कर दिया है। बद्दी में देश की अंतरराष्ट्रीय कंपनी कैडिला, मलेरिया दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का निर्माण करती है, जिसके साथ बद्दी में ही 30 अन्य कंपनियां भी इस दवा का निर्माण करती हैं। इस दवा के निर्यात पर रोक थी, जिसे केंद्र सरकार ने हटा लिया है। अब इस दवा का उत्पादन कर दूसरे देशों को भी सप्लाई की जा सकती है। ऐसे में फार्मा हब बद्दी, जहां पर बड़े पैमाने पर इस दवा का निर्माण किया जाता है, पर दबाव आ गया है। बताया जाता है कि यहां पर रात-दिन संबंधित कंपनियां इस दवा के निर्माण का काम कर रही हैं। हिमाचल सरकार ने इन कंपनियों को दवा उत्पादन के लिए पूरी मदद दी है और सरकार की सहायता के बाद यहां पर तेजी के साथ दवा उत्पादन होने लगा है। बड़ी मात्रा में इस दवा की जरूरत दुनिया को पड़ी है, जिस पर अमरीका ने भी भारत से यह दवाई मांगी है। एशिया का सबसे बड़ा फार्मा हब बद्दी में है और यहां पर 30 से ज्यादा कंपनियां इसका निर्माण करती हैं। यहां पर दिन और रात हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवाई का निर्माण किया जा रहा है।
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