पाक से सीरीज हरगिज नहीं
भारत से मुकाबले के प्रस्ताव पर कपिल देव ने लताड़े शोएब अख्तर
नई दिल्ली-टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और 1983 में भारत को अपनी कप्तानी में वर्ल्ड चैंपियन बना चुके कपिल देव ने पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर को फटकार लगाई है। अख्तर ने भारत और पाकिस्तान के बीच तीन मैचों की वनडे इंटरनेशनल सीरीज का प्रस्ताव रखा था, जिससे फंड इकट्ठा कर कोविड-19 महामारी के खिलाफ दोनों देशों के लोगों के लिए इस्तेमाल किया जा सके। कपिल देव ने कहा कि क्रिकेट मैच के लिए लोगों की जिंदगी खतरे में डालकर भारत को पैसे की जरूरत नहीं है। अख्तर ने बुधवार को कहा था कि कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ जंग के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच खाली स्टेडियम में वनडे इंटरनेशनल सीरीज कराई जाए और इससे इकट्ठा होने वाले फंड को भारत और पाकिस्तान की सरकार में बराबर बांट दिया जाए, जिसे वो इस महामारी के खिलाफ जंग में इस्तेमाल कर सकें। कपिल देव ने कहा कि यह बिल्कुल भी सही आइडिया नहीं है। उन्होंने कहा कि वह अपनी राय रखने के लिए फ्री हैं, लेकिन हम ऐसे फंड अरेंज नहीं करना चाहते हैं। हमारे पास काफी फंड है। हमारे लिए अभी यह जरूरी है कि हम अपनी अथॉरिटी के साथ मिलकर काम करें और इस महामारी के खिलाफ जंग लड़ें। मैं अभी भी टीवी पर देख रहा हूं कि लोग एक-दूसरे पर इल्जाम लगा रहे हैं, इसको लेकर राजनीति हो रही है, यह सब रुकना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि बीसीसीआई ने काफी बड़ी रकम (51 करोड़ रुपए) दान की है, इस महामारी के खिलाफ जंग में और ऐसी बोर्ड ऐसी स्थिति में है कि जरूरत पड़ने पर वो और राशि दान कर सकता है। हमें ऐसे फंड अरेंज करने की जरूरत नहीं है। यह परिस्थिति हाल फिलहाल सामान्य होती नजर नहीं आ रही है और ऐसे में क्रिकेट सीरीज कराने से हम क्रिकेटरों की जिंदगी खतरे में डालेंगे, जो हम बिलकुल नहीं चाहते हैं। कपिल देव ने कहा कि कम से कम आने वाले छह महीने तक क्रिकेट कोई मुद्दा नहीं होना चाहिए।
मदनलाल ने भी सुनाई खरी-खरी
नई दिल्ली। भारत के पूर्व खिलाड़ी कपिल देव के साथ उनके साथी मदन लाल ने भी गुरुवार को शोएब अख्तर के कोविड-19 के लिए फंड जुटाने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच तीन मैचों की सीरीज के प्रस्ताव को मना कर दिया है। उन्होंने कहा है कि यह फैसला सरकार को लेना है, अख्तर को नहीं। मदन लाल ने कहा कि दोनों देशों के बीच सीरीज हो यह फैसला सरकार को लेना है अख्तर को नहीं। यह फैसला दोनों देशों की सरकार को लेना है। वही इस तरह के फैसले लेते हैं।
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