फ्री होगी कोरोना वायरस की जांच

By: Apr 9th, 2020 12:13 am

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा, निजी लैब भी न लें पैसे

नई दिल्ली-देश में कोविड-19 मरीजों की संख्या में इजाफे के बीच सुप्रीम कोर्ट ने संक्रमण की जांच को लेकर बड़ा आदेश दिया है। देश को सर्वोच्च न्यायाल ने सरकार से कहा कि किसी व्यक्ति कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ है कि नहीं, इसकी जांच मुफ्त की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल को सुझाव दिया और कहा कि निजी लैब को भी पैसे न लेने दें। आप टेस्ट के लिए सरकार से रिइंबर्स कराने के लिए एक प्रभावी तंत्र बना सकते हैं। इस पर  सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार इस मामले को देखेगी और जो भी इसमें अच्छा किया जा सकता है, उसे विकसित करने की कोशिश करेगी। इससे पहले सरकार ने कोरोना टेस्ट चार्ज के लिए गाइडलाइन जारी कर रखी है। केंद्र सरकार ने 21 मार्च को निजी प्रयोगशालाओं को प्रत्येक कोविड-19 जांच के लिए अधिकतम मूल्य 4500 रुपए तक रखने की सिफारिश की थी। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद  (आईसीएमआर) की ओर से कोविड-19 जांच के मद्देनजर निजी प्रयोगशालाओं के लिए जारी दिशानिर्देश के अनुसार, एनएबीएल प्रमाणित सभी निजी प्रयोगशालाओं को यह जांच करने की अनुमति दी गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से 21 मार्च की रात को इसकी नोटिफिकेशन जारी की गई थी। जारी गाइडलाइन के मुताबिक, कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच के लिए अधिकतम 4500 रुपए तक ही वसूले जा सकते हैं। इसके तहत, किसी संदिग्ध मरीज की स्क्रीनिंग टेस्ट के लिए 1500 रुपए से ज्यादा नहीं लिया जा सकता है। अगर स्क्रीनिंग टेस्ट में रिजल्ट पॉजिटिव आए और उसकी पुष्टि के लिए फिर से जांच करनी हो, तो इसके लिए 3000 हजार रुपए लिए जा सकते हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया कि दिशानिर्देश का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ  कानूनी कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि कोरोना टेस्ट मुफ्त करने की याचिका में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के 17 मार्च के परामर्श पर सवाल उठाए गए हैं, जिनमें निजी अस्पतालों और लैब में कोविड-19 की जांच के लिए अधिकतम मूल्य 4500 रुपए निर्धारित किया गया है। याचिका के अनुसार, कोरोना वायरस का खतरा बहुत ही ज्यादा गंभीर है और इस महामारी पर अंकुश पाने के लिए जांच ही एकमात्र रास्ता है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस मामले में प्राधिकारी आम आदमी की समस्याओं के प्रति पूरी तरह संवेदहीन है। आम आदमी पहले से ही लॉकडाउन की वजह से आर्थिक बोझ में दबा हुआ है।

 स्वास्थ्यकर्मी ‘कोरोना योद्धा’, इन्हें बचाएं

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को जहां कोरोना वायरस ‘कोविड 19’ महामारी से लड़ने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को ‘योद्धा’ कहकर उन्हें संरक्षित किए जाने की आवश्यकता जताई, वहीं केंद्र ने स्पष्ट किया कि किसी भी स्वास्थ्यकर्मी का वेतन-भत्ते काटने का कोई निर्देश नहीं दिया गया है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की खंडपीठ ने नागपुर के डा. जेरिएल बनैत, डा. आरुषि जैन और वकील अमित साहनी की एक ही तरह की याचिकाओं पर संयुक्त तौर पर सुनवाई करते हुए कोरोना महामारी से बहादुरी से निपट रहे स्वास्थ्यकर्मियों को योद्धा करार दिया।


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