मर्ज के खिलाफ दवाई हैं आप

By: Apr 9th, 2020 12:03 am

कोरोना से बचाव की हर जुगत पर सारा देश आंदोलित व जागरूक हो जाए, ऐसे प्रयास को शिद्दत से अंजाम तक पहुंचाने के सफर पर बदलता घटनाक्रम। संवेदनाओं के ग्रॉफ पर सूचनाओं के ठीकरी पहरे और नकाब में रहने की पैमाइश में सतर्कता का आलम। हिमाचल को गफलत में डालते निजामुद्दीन के किस्से ने जो कहानी लिख दी, उसकी टीस में आंकड़ों की दुरुस्ती जरूरी है, वरना सामुदायिक मिश्रण में फिजाओं का रंग पहचाना ही नहीं जाएगा। लगातार बढ़ते कोरोना पॉजिटिव मामले हिमाचल के व्यवहार में आशंकाओं के दर्प पैदा कर रहे हैं। ऐसे में पुलिस मुखिया सीता राम मरड़ी के सख्त होते लहजों ने 52 लोगों का आत्म समर्पण कराते हुए साबित किया कि अब इस मर्ज की दवाई पुलिस प्रशासन के पास भी है। पुलिस ने अपनी धाराओं का बंडल ही खोला है कि संदिग्ध छतों से जमाती टपकने लगे हैं। बहरहाल यह सबक हर नागरिक के लिए है कि कर्फ्यू के अनुशासन में अपने परिचय के चक्र को भ्रमित न करे। कुछ इसी तरह घर-घर से जुटाई जा रही स्वास्थ्य संबंधी जानकारी में जनता का सहयोग वांछित है ताकि सुरक्षा के कवच को सुदृढ़ किया जा सके। पुलिस हिदायत है, तो चिकित्सा विभाग एक निर्देश, लिहाजा अपने इर्द-गिर्द के माहौल में लक्ष्मण रेखा खींचें। हालांकि विज्ञान के बीच अध्ययन तथा शोध की नई परिपाटियां नागिरक जागरूकता को भी विचलित कर रही हैं, फिर भी सरकारी संदेश की परिक्रमा में राष्ट्र की ताकीद पर असर हो। दुर्भाग्यवश हिमाचल के आंकड़े अपने कारणों के बजाय किसी दूसरे की नालायकी का दंश भोग रहे हैं। कुल 27 कोरोना पॉजिटिव का होना ऐसे अनेक प्रश्नों की चीरफाड़ भी करता है, जो प्रदेश के सामने चौकसी का मानचित्र खड़ा करता है। अब कुल बीस कोरोना पॉजिटिव मामले इस समय सक्रिय तौर पर दिल्ली से लौटे जमातियों की पृष्ठभूमि खंगाल रहे हैं, जबकि अन्य सभी रुखसत हो चुके हैं। हिमाचल तक पहुंची कोरोना शृंखला के खिलाफ ताबड़तोड़ हमले नहीं हुए तो हजारों लोगों की मेहनत मिट्टी में मिल सकती है। अतः हम सभी को अब अपनी-अपनी मेहनत की पहरेदारी करनी होगी। कोरोना के खिलाफ हिमाचल की जंग में जो 534 सैंपल लिए जा चुके हैं, उनमें से 459 नेगेटिव और 27 पॉजिटिव आए हैं। इस सारी केस हिस्ट्री में अब बीस सक्रिय तौर पर हिमाचल के अस्पतालों की निगाह में हैं और यह भी कि ये तमाम मामले तब्लीगी जमात के लौटने व उनके संपर्क में आने से ही सामने आ रहे हैं। निगरानी में रखे गए 4684 लोगों तथा जमातियों के संपर्क को पूरी तरह खंगालकर ही हिमाचल इस खतरे के खिलाफ चार दीवारी खड़ी कर सकता है,वरना इस युद्ध का अंत समय को धीरे-धीरे लंबी अवधि के विस्तार में गुजारने की हिदायत दे रहा है। एक हफ्ते में पंद्रह मामलों का सामने आना, चिकित्सकीय सुविधाओं पर दबाव है। साथ ही यह ऐसी चिंता है कि जिसका निवारण संयम, अनुशासन तथा आदेशों का सतर्कता के साथ पालन करके ही होगा। लगातार बढ़ते मामले, देश के हालात तथा अंतरराष्ट्रीय सबक लेते हुए भारत का संघर्ष लंबा हो सकता है, अतः लॉकडाउन या कर्फ्यू जैसी स्थिति में जीने के लिए अभी और समय के लिए तत्पर रहना पड़ सकता है। हिमाचल सरकार द्वारा घर-घर जाकर स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां जुटाने का अभियान प्रशंसनीय है। अब तक 41 लाख लोगों का विवरण हासिल करना जहां भविष्य का डाटा बैंक स्थापित कर रहा है,वहीं तब्लीगी जमात के 333 लोगों की प्राथमिकता पहचान से सुरक्षा कवच बनाने में मदद मिलेगी। विधायकों के वेतन में तीस फीसदी कटौती और दो साल के लिए विधायक निधि बंद करने का अहम फैसला लेते हुए हिमाचल इस दौर की आपातकालीन स्थिति में अपने संसाधनों का मुख मोड़ रहा है। ऐसे में हर व्यक्ति को भी किसी न किसी रूप में अपनी आय का कुछ भाग कुर्बान करना पड़ेगा, जबकि खर्चों में भी कटौती अनिवार्य है। जो भी हो इस युद्ध में व्यक्तिगत अनुशासन और सार्वजनिक व्यवस्था की पैनी नजर ही कारगर सिद्ध होगी। अब वक्त आ गया है कि हम हरगिज किसी छोटी से छोटी हिदायत को नजरअंदाज न करें। सामाजिक दूरी बनाने के हर तौर तरीकों को न अपनाया तो एक महीने में एक संक्रमित व्यक्ति अन्य 406 लोगों को बीमारी के दलदल तक घसीट कर पहुंचा देगा। अगला काउंटडाउन जबर्दस्त सहयोग की दरकार पैदा करके आ रहा है, तैयार रहें।


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