मीडिया पादुकाएं

By: Apr 10th, 2020 12:05 am

जानकारियों की बहादुरी में किसी भी राज्य का मीडिया गणित होता है और इस लिहाज से हिमाचल का यह दौर श्रेष्ठ माना जा सकता है। प्रिंट के सामने आई प्रारंभिक अड़चनों ने डिजिटल मीडिया को सारथी बनाया, तो नागरिक जागरूकता ने इसे मन से अंगीकार किया। डिजिटल मीडिया की भागीदारी में उठा तूफान प्रदेश के अपने लोकसंपर्क विभाग के सूचना तंत्र को भी साहसिक कर गया और इस तरह एक नया प्रादेशिक बुलेटिन सामने आया। लाइव प्रसारणों की होड़ के बीच गुणवत्ता, विश्वसनीयता, परिपक्वता, संतुलन,समीक्षा और अध्ययन की जरूरतों में डिजिटल मीडिया अवश्य ही  हर क्षण की प्रतिस्पर्धा में प्रदेश के हालात पर नए मजमून पैदा कर रहा है। यह भी एक वजह हो सकती है कि राष्ट्रीय स्तर के इलेक्ट्रॉनिक चैनलों ने पीछे मुड़ कर हिमाचल को देखा है और एक साथ मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के कई साक्षात्कार राष्ट्रीय स्तर के प्रसारणों में जगह व जिरह के साथ पेश हुए। कोरोना सरीखे हालात में मीडिया भूमिका का नया स्वरूप अगर हिमाचल में प्रकट हो रहा है,तो यहां का नागरिक समाज सूचनाओं के प्रति अपनी जागरूकता का एहसास करा रहा है। यह पहला अवसर है कि राष्ट्रीय चैनल हिमाचल के विषयों में टिप्पणियां, जानकारियां और मुख्यमंत्री से हाल जान रहे हैं और अंततः वे ही इन्हें सोशल मीडिया के हवाले कर रहे हैं। जाहिर है लॉकडाउन की स्थिति ने हिमाचल का अर्थ मीडिया में खोजा है और इसी वजह से मीडिया ने जो पाया उसका नया स्वरूप सामने आ रहा है। इस बीच प्रिंट मीडिया ने पुनः कोरोना लॉकडाउन के बीच अपनी डगर पकड़ ली और जनता अफवाहोें से बाहर हो गई, जो कल तक अखबार को अछूत मानकर सुरक्षित रहने की सलाह सुन रही थी। ऐसे में कोरोना का प्रभाव मीडिया में समझा जाएगा और उस गति को भी देखा जाएगा,जो तमाम बंदिशों के बीच एक पत्रकार को सक्रिय बनाती है। प्रदेश में सरकार और मीडिया के बीच समन्वयपूर्ण संस्कारों के साथ-साथ जवाबदेही की सीमारेखा भी तय है और जिसका निर्वहन काफी हद तक सार्थक हो रहा है। मीडिया की अपनी प्रतिस्पर्धा में ताज और तिलक की लड़ाई तो रहेगी, लेकिन सभी की कोशिश में राज्य की बेहतरी इंगित है। कोरोना की जंग में आकाशवाणी के लिए चार केंद्र व एक मात्र शिमला दूरदर्शन केंद्र हालांकि सार्वजनिक उपक्रम होने का फर्ज निभा रहे हैं, लेकिन जनता की ख्वाहिशों में नए प्रयोगों की गुंजाइश अधूरी रह गई। आकाशवाणी केवल जानकारियों का पिटारा बनकर नहीं रह सकता, बल्कि इसका जनता  से जुड़ाव चौबीस घंटे की मनोरंजन परिकल्पना सरीखा है। ऐसे में जिस विविधता के साथ आकाशवाणी का इंतजार था, उसकी जगह हिमाचल में डिजिटल मीडिया ले रहा है। दूरदर्शन अभी हिमाचल का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाया है और यह भौगोलिक विषमता भी है कि शिमला से प्रदेश को समझा जाए। ऐसे में हिमाचल का अपना चैनल अब डिजिटल में खोजा जा रहा है और इस जरूरत को समझना होगा। आकाशवाणी व दूरदर्शन प्रबंधन इस हकीकत को समझें कि हिमाचल का सबसे बड़ा मीडिया केंद्र धर्मशाला की परिधि में विकसित और साबित हुआ है अतः इसी अवधारणा में यहां से दूरदर्शन व आकाशवाणी प्रसारणों को व्यापकता दी जा सकती है। बहरहाल हिमाचल के सूचना एवं जनसंर्पक विभाग को भी एकमात्र बुलेटिन से आगे निकल कर और सरकारी प्रेस नोट से बाहर आकर सांस्कृतिक-सामाजिक, आर्थिक व ग्रामीण कार्यक्रम बनाने होंगे। शिमला के अलावा मंडी व धर्मशाला के कार्यालयों में विभाग अपने स्टूडियो स्थापित करके ऐसे प्रसारण की पहुंच बढ़ा सकता है। हिमाचल में दरअसल अपने मीडिया की खोज रही है और इसलिए पहले प्रिंट को अवसर दिया गया और अब डिजिटल मीडिया को यह उपहार मिल रहा है। यह दीगर है कि पारंपरिक टीवी के रूप में दूरदर्शन भी अपना स्थान बना सकता है, लेकिन शिमला का केंद्र पूरी तरह असफल साबित हुआ है। कुछ इसी तरह प्रदेश का कला, संस्कृति व भाषा विभाग भी कवि सम्मेलनों से बाहर नहीं निकल पाया, लिहाजा हिमाचली भाषा के नए उद्गार तथा प्रादेशिक रंगमंच तैयार ही नहीं हुए। अगर विभाग संस्कृति और कला के मायनों की रक्षा करता, तो कोरोना कर्फ्यू के बीच डिजिटल माध्यम से कई सीरीज प्रकट होतीं। हिमाचल में ऐसे कलाकार हैं जो इस दौर में घर में बंद जनता का मनोरंजन कर सकते थे, अगर भाषा-संस्कृति विभाग तकनीकी तौर पर ऐसी किसी परियोजना पर काम करता। सुखद पहलू यह कि हिमाचल जब कोरोना से जूझ रहा है, तो मीडिया इसमें भी अपनी भूमिका, अवसर व चुनौती देख रहा है और इसके नतीजे जाहिर तौर पर सूचनाओं की पेशकश और अभिव्यक्ति में निखार लाएंगे।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App