वाहन न चलने से बागबान परेशान

बगीचों तक खाद की बोरियां पहुंचानी हुई मुश्किल

पतलीकूहल-सरकार व प्रशासन द्वारा रोज नए आदेश जारी करने से लोगों में असमंजस की स्थितिबनी हुई है। सबसे ज्यादा मुश्किल बागबानों व किसानों को हो रही है। जैसा कि विगत ही है कि कुल्लू के अधिकांश लोगों की आर्थिकी का मुख्य स्त्रोत बागबानी है। जिसमें सेब की फसल प्रमुख है। सेब की फसल साल में एक बार ही आती है और लोग इसी से हुई आमदनी से पूरे वर्ष अपने खर्चे चलाते हैं। शुक्रवार को जिलाधीश कुलू ने वाहनों के प्रयोग पर स्वास्थ व आवश्यक सेवाओं को छोड़कर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे बागबानों को स्प्रे के लिये मशीन व दवाईयों को बागीचों तक ले जाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि अधिकांश बागबानों के बागीचे उनके घरों के पास नहीं होते हैं। मजे की बात तो यह है कि किसानों व बागवानों की सुविधा के लिए खाद के डिपो तो खुले रखे गए हैं परंतु खाद की 50 किलो की बोरियों को बिना वाहन के लोग आप के घरों या बागीचों तक ले कैसे जाएंगे। आजकल निचले क्षेत्रों में फ्लावरिंग चली हुई है परंतु समय पर स्प्रे न होने के कारण इस बर्ष सेब की फसल के 20 से 30 प्रतिशत ही रहने का अनुमान है। बागबानों को परागण के लिये न तो मधुमक्यिं मिल रही है और न ही समय पर स्प्रे कर पा रहे हैं। बागवान स्प्रे करने के लिये मशीनों का प्रयोग करते है यदि इस समय मशीन खराब हो जाए तो उन्हें इन्हें ठीक करने के लिये न ही मकैनिक मिल रहे हैं। क्योंकि कर्फ्यू के कारण ये दुकाने बन्द है। सरकार ने बागबानों को सेब की फसल के लिये बागबान भरोसे ही छोड़ा है। कुल्लू फलोत्पादक मंडल के प्रधान प्रेम शर्मा ने सरकार से पूछा कि क्या इसके लिए सरकार ने कोई स्पष्ट नीति बनाई है या नहीं। उन्होंने बागबानों के लिए सरकार से वाहनों के प्रयोग की छूट सहित मशीनों को ठीक करने वाले मकैनिकों की दुकानों को खुला रखने के लिये सरकार से आग्रह किया है।