विश्व अर्थव्यवस्था और कोरोना

By: Apr 8th, 2020 12:05 am

डा. वरिंदर भाटिया

पूर्व प्रिंसिपल 

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण इस साल चीन तथा अन्य पूर्वी एशिया प्रशांत देशों में अर्थव्यवस्था की रफ्तार बहुत धीमी रहने वाली है जिससे लाखों लोग गरीबी की ओर चले जाएंगे। बैंक ने जारी एक रिपोर्ट में कहा है कि क्षेत्र में इस वर्ष विकास की रफ्तार 2.1 प्रतिशत रह सकती है जो 2019 में 5.8 प्रतिशत थी। बैंक का अनुमान है कि 1.1 करोड़ से अधिक संख्या में लोग गरीबी के दायरे में आ जाएंगे। यह अनुमान पहले के उस अनुमान के विपरीत है जिसमें कहा गया था कि इस वर्ष विकास दर पर्याप्त रहेगी और 3.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठ जाएंगे…

आर्थिक जानकारों का मानना है कि कोरोना वायरस महामारी से उबरने में विश्व अर्थव्यवस्था को कुछ महीने लग जाएंगे। ऐसा माना जाने लगा है कि कोरोना के कारण लग रहा आर्थिक झटका आज किसी अन्य वित्तीय संकट से कहीं गंभीर हो चुका है। यह मानना मृगतृष्णा जैसे ही होगा कि विश्व इस स्थिति से जल्दी उबर जाएगा। कोरोना ने महामारी का रूप ले लिया तो विश्व की अर्थव्यवस्था का विकास 1.5 फीसदी धीमा हो जाएगा, लेकिन अब यह अधिक धीमा ही लगता है। विश्व बैंक ने भी एक ताजा तरीन अनुमान जाहिर किया है कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण इस साल चीन तथा अन्य पूर्वी एशिया प्रशांत देशों में अर्थव्यवस्था की रफ्तार बहुत धीमी रहने वाली है जिससे लाखों लोग गरीबी की ओर चले जाएंगे। बैंक ने जारी एक रिपोर्ट में कहा है कि क्षेत्र में इस वर्ष विकास की रफ्तार 2.1 प्रतिशत रह सकती है जो 2019 में 5.8 प्रतिशत थी। बैंक का अनुमान है कि 1.1 करोड़ से अधिक संख्या में लोग गरीबी के दायरे में आ जाएंगे। यह अनुमान पहले के उस अनुमान के विपरीत है जिसमें कहा गया था कि इस वर्ष विकास दर पर्याप्त रहेगी और 3.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठ जाएंगे। इसमें कहा गया है कि चीन की विकास दर भी पिछले साल की 6.1 फीसदी से घटकर इस साल 2.3 फीसदी रह जाएगी। कोरोना के कारण विश्व में कितनी नौकरियां खत्म होंगी और कितनी कंपनियां बंद होंगी इस बारे में अभी पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन आने वाले वक्त में इस कारण अर्थव्यवस्था में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। आने वाले महीनों में दुनिया के कई बड़े देशों को मंदी का सामना करना पड़ सकता है जिसका मतलब होगा कि लगातार दो तिमाही तक अर्थव्यवस्था में गिरावट जारी रह सकती है।

अगर पूरी दुनिया में नहीं तो भी दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाओं में, खास कर बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में या तो विकास दर में कोई बढ़त नहीं दर्ज की जाएगी या फिर गिरावट दर्ज की जाएगी। इसका मतलब यह है कि न केवल विश्व की विकास दर कम होगी बल्कि भविष्य में पटरी पर लौटने में ज्यादा समय लगेगा। आर्थिक मायनों में कोरोना का कहर, 2008 में आई मंदी और 9 नवंबर 2011 के चरमपंथी हमलों से कहीं अधिक हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने कहा है कि कोरोना वायरस के कारण दुनियाभर में 2.50 करोड़ लोग बेरोजगार हो सकते हैं और कर्मचारियों की आय नाटकीय रूप से कम हो जाएगी। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक ने एक बयान में कहा कि यह अब सिर्फ  वैश्विक स्वास्थ्य संकट नहीं रह गया है बल्कि यह एक प्रमुख श्रम बाजार और आर्थिक संकट भी है, जो लोगों पर भारी प्रभाव डाल रहा है। संयुक्त राष्ट्र की संस्था ने सुझाव दिया है कि विश्व को वायरस के मद्देनजर होने वाली बेरोजगारी से निपटने के लिए भी तैयार रहना होगा। संगठन ने अलग-अलग परिदृश्य पेश किए, जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि सरकारें कितनी जल्दी और किस स्तर की समन्वय प्रतिक्रिया देती हैं। संगठन ने पाया कि बहुत अच्छी स्थिति में भी 53 लाख से अधिक लोग बेरोजगार हो जाएंगे। संगठन ने चेतावनी दी है कि वायरस के प्रकोप के कारण काम के घंटों और मजदूरी में कटौती होगी। विकासशील देशों में स्वरोजगार अकसर आर्थिक बदलावों के प्रभाव को कम करने के लिए कार्य करता है, लेकिन इस बार वायरस के कारण लोग और माल की आवाजाही पर लगाए गए गंभीर प्रतिबंधों के कारण स्वरोजगार भी कारगर साबित नहीं हो पाएगा। संगठन का कहना है कि काम तक पहुंच में कमी का मतलब है कि लाखों लोग रोजगार गंवाएंगे जिसका मतलब है कि एक बड़ी राशि का नुकसान होगा।

अध्ययन में लगाए गए अनुमान के मुताबिक 2020 के अंत तक कामगारों के 860 अरब डालर से लेकर 3,400 अरब डालर गंवाए जाने का खतरा है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक गाय रायडर के मुताबिक 2008 में दुनिया ने वैश्विक वित्तीय संकट के दुष्परिणामों से निपटने के लिए असाधारण एकजुटता दिखाई थी और उसके जरिए बदहाल स्थिति को टालने में मदद मिली। हमें उसी प्रकार के नेतृत्व और संकल्प की आवश्यकता है। इस कारण पैदा हुई बेरोजगारी की समस्या को सुलझाने में विभिन्न देशों को कितना वक्त लगेगा उन्हें नहीं पता क्योंकि उन्हें यह जानकारी नहीं कि इस कारण कितने लोग बेरोजगार होने वाले हैं। उन्हें बारीकी में यह भी नहीं पता चल पाएगा कि इस कारण कितने बिजनेस मुश्किलों का सामना कर रहे हैं और बंद होने की कगार पर हैं और ऐसे में स्थिति सामान्य होने में कितना वक्त लगेगा, ठीक से कह पाना मुश्किल है। कोरोना महामारी से निपटने की कोशिश में पूरी दुनिया में सरकारें अपने व्यवसाय और कर्मचारियों की मदद के लिए अभूतपूर्व कदम उठा रही हैं। कई देशों में पालिसीमेकर्स ने कहा है कि जो लोग कोरोना वायरस की महामारी के कारण काम नहीं कर पा रहे हैं उनकी तनख्वाह काटी नहीं जाएगी। मुमकिन हो सके तो मौजूदा परिस्थिति से निपटने के लिए भारत में हमें चार स्तर पर कोशिश करनी होगी जिसमें वायरस के लिए मुफ्त में टेस्टिंग, डाक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए बेहतर उपकरण और सामान, कर्मचारियों और काम न कर पा रहे लोगों को कैश मदद और कंपनियों व अन्य के टैक्स न भर पाने पर उन्हें राहत देना है। सरकार को चाहिए कि वह इस संकट से जूझने के लिए जितना संभव हो खर्च करे और जरूरत पड़ने पर सभी संसाधनों का इस्तेमाल करे। हालांकि आने वाले सालों में इस कारण राजस्व में बड़ा घाटा हो सकता है और सरकारों की लेनदारी भी बढ़ सकती है। यह एक उम्दा विकल्प होगा। एक मत है कि कोरोना के कारण हुए नुकसान से भरपाई का विश्व आर्थिक कर्व ‘वी शेप’ में  हो सकता है, यानी पहले आर्थिक गतिविधि में तेजी से गिरावट आएगी जिसके बाद तेजी से हालात में सुधार होगा। उम्मीद रहते हुए इसके लिए अब हमें अतुल्य धीरज रखना है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App