कुदरत के आगे वश नहीं

By: May 13th, 2020 12:05 am

-शांति गौतम, बीबीएन

विश्व में कोविड-19 कोरोना का बहुत बड़ा कहर बरप रहा है। हैरत यह है कि इसमें ज्योतिष विद्वान और वैज्ञानिक तक फेल हो गए हैं, यह केवल आदमी के कर्मों का फल है। विशेषज्ञों का कहना है कि पंडित व विद्वान मीडिया व टीवी चैनलों के जरिए भविष्यवाणी करते हैं, परंतु वे कुदरत की इस त्रासदी के बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं कर पाए। यदि सकारात्मक सोच रखी जाए तो बड़ा ग्रह भी टल सकता है। विशेषज्ञों की यह भी दलील है कि सरकारों ने  बिलियंस रुपए खर्च कर जल गंगा जैसी नदियों की स्वच्छता के लिए प्रयास किए, परंतु उनके प्रयास भी न के बराबर रहे और न ही प्रदूषण खत्म हो पाया। परंतु कुदरत के कहर के आगे आज गंगा नदी स्वच्छ व संपूर्ण भारत प्रदूषणमुक्त हो गया है। हवा शुद्ध हो गई है, पूरे ऑक्सीजन का फैलाव हुआ है। यही नहीं, माना जा रहा है कि भारतवासियों का इम्यून सिस्टम बड़ा स्ट्रांग है जिसके पीछे यह कारण है कि भारतवासी आयुर्वेद पर आधारित शहद, तुलसी, आंवला, नीम, कढ़ी पत्ता, हल्दी व मसालों का सेवन करते हैं, तभी 130 करोड़ की आबादी वाले इस देश में 80 फीसदी लोग किसान हैं व जमीन से जुड़े हुए हैं, वे कोरोना से बच पाए हैं। अन्य देशों से तुलना की जाए तो वहां के निवासियों का इम्यून सिस्टम कमजोर होने के कारण वहां हजारों में मौतें हुई हैं।


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