कुल्लू में नहीं आ रहे प्लम के खरीददार

By: May 15th, 2020 12:05 am

बागीचों से ही फसल को खरीदने वाले कारोबारी गायब, फसल पर कोरोना की मार

भुंतर – जिला कुल्लू के प्लम उत्पादकों को कोरोना संक्रमण ने संकट में डाला है। जिला के प्लम को खरीदने के लिए हर साल आने वाले कारोबारी इस बार गायब हैं। इसके कारण अब फसल को मंडियों में पहुंचाने को लेकर बागबानों की टेंशन बढ़ने वाली है। लिहाजा, प्लम पर संकट के बादल मंडराते दिख रहे हैं। बता दें कि कुल्लू के निचले और मध्यम ऊंचाई वाले इलाकों में अगले एक माह में पूरी प्लम की फसल तैयार होने वाली है। हर साल मई माह में ही बाहरी राज्यों के कारोबारी जिला में दस्तक देकर अधिकतर बागबानों की फसल को बागीचों में ही खरीदते रहे हैं, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते कारोबारियों का जिला में पहुंचना असंभव हो गया है। बाहरी कारोबारियों के न मिलने से अब उन उत्पादकों के लिए चिंता बढ़ गई है, जो स्थानीय मंडियों में बेचने के बजाय प्लम को बाहरी मंडियों में सीधे भेजते रहे हैं। बता दें कि जिला में पिछले कुछ सालों से प्लम की नई किस्मों को लगाने का कार्य बड़े स्तर पर हुआ है। मैरीपोजा, फ्रंटीयर, रेड ब्यूट, ब्लैक अंबर जैसी किस्में कुछ सालों से बागबानों ने सबसे ज्यादा लगाई है। इसके अलावा सेंटारोजा की भी फसल नीचले इलाकों में अच्छी खासी होती है। जिला के बागबानों को प्लम के पिछले कुछ सालों से दाम भी मुंहमांगे मिल रहे हैं, लेकिन इस बार हालात विपरीत हैं। जानकारी के अनुसार पहले ही फसल इस बार कम है और ऐसे में बागबानों को दाम अच्छे मिलने से भरपाई होने की उम्मीद थी, लेकिन जिस प्रकार से कोरोना का दायरा लगातार बढ़ रहा है, उससे कारेबारियों के जिला में पहुंचने के रास्ते बंद होते ही दिख रहे हैं। बागबानों और मार्केट विशेषज्ञों के अनुसार स्थानीय मंडियों में जो कारोबारी फिलहाल हैं, उन्ही के माध्यम से इस बार फसल को बाहरी राज्यों में पहुंचाने का कार्य संभव हो पाएगा और इसकी डिमांड भी कितनी मिलती है इस पर भी दाम निर्भर करेंगे। प्लम उत्पादक कर्म चंद, बेली राम शर्मा, संजू डडवाल, त्रिलोक शर्मा आदि कहते हैं कि जून माह के पहले व दूसरे सप्ताह से प्लम का कार्य आरंभ हो जाता है, लेकिन इस बार प्लम की फसल के खरीददार बागीचों में नहीं आए हैं और ऐसे में स्थानीय मंडियों में ही फसल को बेचने का विकल्प बचा है। वहीं जिला कुल्लू एवं लोअर वैली आढ़ती संघ के प्रधान खुशहाल ठाकुर कहते हैं कि कोरोना ने जिला के बागबानी कारोबार को चपेट में पूरी तरह से ले लिया है।


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