कोरोना के गुड इफेक्ट, पर्यावरण में निखार

By: May 24th, 2020 12:10 am

गुशैणी-ट्राउट आखेट के लिए देश-दुनिया में विख्यात तीर्थन नदी की जलधाराएं और साफ हो गई हैं। खासियत यह है कि तीर्थन नदी मैली नहीं होती है, लेकिन लॉकडाउन से वातावरण और शुद्ध हो गया है। लिहाजा, घाटी के पर्यावरण में बदलाव देखने को मिल रहा है। हालांकि इस घाटी की सुंदरता सैलानियों को इन दिनों अपनी ओर आकर्षित करती थी, लेकिन इस बार कोरोना कोविड — 19 के चलते लगे लॉकडाउन से घाटी सुनसान और वीरान पड़ी हुई है।  जिला कुल्लू उपमंडल बंजार की तीर्थन घाटी में समुद्र तट से करीब 3500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित तीर्थ टॉप की आसमान को छूने वाली चमकीली बर्फ से ढकी ये चोटियां भी हिमालया पर्वत की ही हैं। हिमालया पर्वत के तीर्थ टॉप में मौजूद हिम के विशाल भंडारों के पिघलने पर ही मध्यवर्गीय तीर्थन नदी का जन्म हुआ है। हिमाच्छादित पर्वत तीर्थ से निकलने के कारण ही इस नदी का नाम तीर्थन नदी पड़ी और नदी के दोनों छोरों पर बसी वादियां ही तीर्थन घाटी कहलाती हैं। तीर्थ टॉप के हंसकुंड नामक स्थान पर तीर्थन नदी का उद्गम स्थल है। घाटी में हर नदी नालों के उद्गम और संगम स्थलों को पवित्र माना जाता है। स्थानीय देव परंपरा के अनुसार तीर्थन नदी के उद्गम स्थल हंसकुंड को भी बहुत ही पवित्र स्थान माना गया है। इस हंसकुंड नामक स्थान पर दो अलग-अलग दिशा से आई जलधाराओं का संगम भी होता है। ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के प्रवेश द्वार दरखली से आगे का पूरा तीर्थ क्षेत्र पार्क के कोर जोन में आता है। यह क्षेत्र अति दुर्लभ औषधीय जड़ी-बूटियों और जैविक विविधताओं का खजाना है। जड़ी-बूटियों के संपर्क में आने के कारण इस नदी का पानी भी औषधीय गुणों वाला बनता है। तीर्थ टॉप से लेकर गुशैणी नामक स्थान तक इस नदी से सटे दोनों किनारों पर कोई भी बस्ती या आबादी नहीं है। गुशैणी नामक स्थान में भी फ्लाचन और तीर्थन नदी का संगम स्थल है। इस स्थल को भी पवित्र स्थान माना गया है, जो बुजुर्ग व्यक्ति या महिला तीर्थ यात्रा पर न जा सकते हों वे इस स्थान पर ही नदी के जल से अपनी शुद्धि कर लेते हैं। ग्रामीण पर्यटन के क्षेत्र में उभरती हुई तीर्थन घाटी आज धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय ट्राउट पर्यटन में अपनी पहचान बना रही है। यहां का अलौकिक प्राकृतिक सौंदर्य, जैविक विविधिता, पुरातन संस्कृति, कृषि, वेशभूषा, रहन-सहन और ट्रॉउट मछली का रोमांच सैलानियों को बार-बार यहां आने को मजबूर करता है। तीर्थन नदी की लहरों में ट्राउट फिशिंग का रोमांच लेने के लिए प्रतिवर्ष हजारों की तादाद में देशी-विदेशी सैलानियों के अलावा कई मछली आखेट के शौकीन भी आते हैं। तीर्थन घाटी की ग्राम पंचायत नोहांडा के पूर्व प्रधान स्वर्ण सिंह ठाकुर का कहना है कि ट्रॉउट मछली के संरक्षण और संवर्धन के लिए मत्स्य विभाग के साथ यहां की आम जनता को कड़े कदम उठाने होंग।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App