चितकारा यूनिवर्सिटी में भारतीय पौराणिक वक्ता देवदत्त पटनायक छात्रों से रू-ब-रू

बीबीएन-चितकारा यूनिवर्सिटी ने विश्व प्रसिद्ध भारतीय पौराणिक कथाकार देवदत्त पटनायक के साथ छात्रों और फैकल्टी के साथ फेसबुक लाइव कार्यक्रम का आयोजन किया। विश्व प्रसिद्ध ख्याति प्राप्त वक्ता देवदत्त पटनायक को पवित्र प्यार, परंपराओं, लोककथाओं, दंतकथाओं और दृष्टांतों पर गहन भारतीय लेखन के साथ साथ  प्राचीन भारतीय धर्मग्रंथों, प्रतीकों और अनुष्ठानों के गलत व्या याओं को चुनौती देने के लिए जाना जाता है।  ज्ञान के अपने विशाल खजाने को साझा करते हुए उन्होंने 60 मिनट के पावर पैक सत्र में उन्होंने जीवन के गणित को उजागर करने वाली मूल बातों को सबके साथ साझा किया। आध्यात्मिकता और आधुनिक शिक्षा के बीच क्या संबंध है, इस पर एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, उन्होंने बहुत ही उपयुक्त तरीके से कहा कि आधुनिक शिक्षा औसत दर्जे के मापदंडों पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित करती है जबकि  बहुत कुछ है जैसे कि भावनाएं, अथाह विचारों और संवेदनाओं को  किसी भी हालत में मापा नहीं जा सकता है। इसलिए आधुनिक शिक्षा में हमें मापनीय मापदंडों और गैर मापनीय भावनाओं के बीच संतुलन बनाना होगा, अन्यथा हम एक तरह से यंत्रवादी बन सकते हैं। बुद्धि (इंटेलिजेंट भागफल)  के अलावा, हमें छात्र के भावनात्मक भागफल में भी एक गोता लगाने की जरूरत है क्योंकि भावनात्मक  भागफल आध्यात्मिकता के क्षेत्र में आता है। इसलिए दोनों के बीच एक आदर्श संतुलन आधुनिक शिक्षा का मजबूत गढ़ बनाता है। चितकारा यूनिवर्सिटी की  प्रो चांसलर, डा. मधु चितकारा के मानव जीवन में  गणित के चार मूल तत्त्वों एडीशन, सबटे्रक्शन, मल्टीप्लीकेशन, और डिवीजन के अनुपालन के बारे में  उत्तर देते हुए, उन्होंने कहा कि इस सवाल का जवाब को वे एलिमेंट आफ डिवीजन को आधार मानते हुए देंगे क्योंकि जीवन को लेकर समाज  दो विचारों में विभाजित है, एक जो कहता है कि आप केवल एक बार जीते हैं इसलिए आप जीवन आपके परफारर्मेंंस व उपलब्धियों का कुल योगदान हैं। जबकि दूसरा बिलकुल ही अलग दृष्टिकोण है जो कि बताता है कि जो भारतीय दर्शन से प्रेरित हैं  और इस बात में विश्वास करता है कि  इस तरह के कई जीवन हैं जो आप इस जीवन में नहीं कर पाए हैं वह अगले जन्म में होगा या पुनर्जन्म होगा इसलिए जीवन अनंत है और हमेशा चलता रहेगा।