टिड्डी दल से निपटने को सोलन अलर्ट

परवाणू व बीबीएन में टिड्डी दल के आने की अशंका के बीच प्रशासन व कृषि विभाग मुस्तैद

सोलन-प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों से रेगिस्तानी टिड्डी दल के प्रवेश की आशंका के बीच सोलन जिला में भी अलर्ट घोषित कर दिया गया है। हरियाणा के साथ लगते जिला के परवाणू व बीबीएन क्षेत्र से इन टिड्डी दल के आने की अशंका के बीच जिला प्रशासन व कृषि विभाग मुस्तैद हो गया है। विभाग ने इस दल से बचाव के लिए स्प्रे केमिकल भी मंगवा लिया है। हालांकि विशेषज्ञों के अनुसार जिला के मैदानी क्षेत्र बीबीएन में फिलहाल खेतों के खाली होने से इस दल द्वारा नुकसान कम होगा, लेकिन दल के पहाड़ी क्षेत्रों की ओर रुख करने पर किसानों की नकदी फसलों की तबाही हो सकती है। खतरे को भांपते हुए कृषि विभाग सोलन ने एडवाइजरी भी जारी कर दी है। कोरोना महामारी के बीच देश के विभिन्न राज्यों में हुए टिड्डी दल का हमला किसानों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। प्रदेश के साथ लगते हरियाणा राज्य में पहुंचे टिड्डी दल के अब हिमाचल में भी प्रवेश की प्रबल संभावना है। इसको देखते हुए सोलन जिला सहित कांगड़ा, ऊना व बिलासपुर में अलर्ट जारी किया गया है। सोलन जिला की बात करें तो जिला के परवाणू व बीबीएन क्षेत्र से इन टिड्डी दल के घुसने की आशंका है। इस बीच जिला प्रशासन ने कृषि विभाग को सभी तैयारियां करने के निर्देश दिए हैं। कृषि विभाग की मानें तो जिला के मैदानी क्षेत्रों में इन दिनों गेहूं की कटाई की जा चुकी है और खेत खाली पड़े हैं।  इन दिनों किसानों ने सोलन का लाल सोना कहा जाने वाले टमाटर की पौध अपने खेतों में लगाई है और उन्हें इस बार बंपर फसल की उम्मीद है। कोरोना के चलते पहले ही अपनी पैदावार को बेचने के संकट से जूझ रहा किसान अब इस टिड्डी दल के खतरे से सकते में है।

कृषि विभाग ने जारी की एडवाइजरी

प्रदेश में फसलों को टिड्डी दल के हमले से बचाने के दृष्टिगत कृषि विभाग सोलन ने किसानों के लिए आवश्यक परामर्श जारी किया है। कृषि विभाग सोलन के उपनिदेशक डा. पीसी सैणी ने कहा कि यह टिड्डी दल हवा के साथ क्षेत्र विशेष में पहुंचता है। उन्होंने कहा कि जब यह टिड्डी दल किसी विशेष क्षेत्र में पहुंचता है तो तुरंत इसका उपचार रसायन इत्यादि के साथ किया जाना चाहिए। उपनिदेशक कृषि ने कहा कि टिड्डी दल का समूह एक दिन में 150 से 200 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकता है। इनका समूह एक वर्ग किलोमीटर से कई सौ किलोमीटर तक का होता है। यह समूह दिन में उड़ता है तथा रात को किसी जगह बैठकर विश्राम करता है।  डा. पीसी सैनी ने कहा कि उचित प्रबंधन से किसान टिड्डी दल को खेतों से दूर रख सकते हैं। प्रभावित खेतों के आसपास कृषक ड्रम अथवा बरतनों इत्यादि से तेज आवाज निकाल कर टिड्डी दल को फसल से दूर रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि टिड्डी दल के समूह पर क्लोरपायरिफॉस 20 ईसी (ईमल्सीफाइड कंसनट्रेशन) का 2.5 मिलीलीटर प्रति लीटर जल में मिलाकर अथवा मेलाथियॉन (यूएलबी) का 10 मिलीलीटर प्रति लीटर जल में मिलाकर या लैम्ब्डा सयलोथ्रिन 4.9 प्रतिशत सीएस का 10 मिलीलीटर प्रति लीटर जल में मिलाकर ट्रेक्टर माउंटेड स्प्रेयर अथवा रोकर स्प्रेयर से छिड़काव करें। उन्होंने कहा कि किसान खेत में फसल से दूर आग जला सकते हैं, जिसमें टिड्डी दल आकर्षित होकर जलकर समाप्त हो जाएगा।