तूफान ने जमीन पर बिछाया आम

किसानों-बागबानों पर लॉकडाउन के साथ आसमान से भी बरप रहा कहर, लाखों का नुकसान

गगरेट  – कोरोना वायरस की दहशत के बीच अब बेईमान मौसम भी कहर बरपाने लगा है। गुरुवार को आए आंधी-तूफान ने आम उत्पादक किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है। आंधी-तूफान के चलते आम की फसल से लदे आम के पेड़ों के नीचे तैयार हो रही आम की फसल के ढेर लग गए। एक झटके में ही आंधी-तूफान आम उत्पादक बागबानों को लाखों रुपए की चपत लगा गया। संकट के इस दौर में कुदरत द्वारा ढहाए गए इस कहर के चलते आम उत्पादक किसानों ने प्रदेश सरकार से उचित मुआवजा देने की वकालत की है। कोरोना वायरस के चलते घोषित लॉकडाउन के बीच अन्य काम-धंधे तो पटरी पर नहीं लौट पा रहे हैं, लेकिन इस बार आम की बंपर फसल होने की उम्मीद के चलते आम उत्पादक बागबान यह सोच कर संतोष कर रहे थे कि आम की फसल बेचकर दो जून की रोटी का जुगाड़ कर लेंगे। हालांकि पिछले साल आम की फसल की कम पैदावार होने के कारण आम उत्पादक किसानों को मायूस होना पड़ा था, लेकिन इस साल आम के पेड़ भी आम के फलों से लदे हुए थे लेकिन गुरुरवार को दोपहर बाद अचानक आए आंधी-तूफान के चलते कई स्थानों पर आम के पेड़ों की शाखाएं ही आम के फलों के साथ टूट कर गिर गईं तो कई स्थानों पर तो आम के पेड़ों के नीचे कच्चे आम के फलों के ढेर लग गए। प्रदेश के जिला हमीरपुर, कांगड़ा व ऊना में देशी आम के पेड़ अधिक संख्या में पाए जाते हैं। इन पेड़ों पर लगने वाली आम की फसल को विशेष तौर पर आम का आचार बनाने, आम का मुरब्बा और जूस बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। यही वजह है कि आम के सीजन में फल मंडियों में देशी आम की मांग भी खासी होती है। इस बार देशी आम की फसल की बंपर पैदावार होने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन मौसम ने इस उम्मीद पर भी पानी फेर कर रख दिया। आम उत्पादक बागबानों तरसेम सिंह, करनैल सिंह व हरदियाल सिंह का कहना है कि सेब की फसल को नुकसान होने पर प्रदेश सरकार सेब उत्पादक किसानों के लिए आर्थिक सहायता का ऐलान करती है, लेकिन आम की फसल को नुकसान होने पर आम उत्पादक किसानों की सुध नहीं ली जाती। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि सरकार आम उत्पादक किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करने की घोषणा करे।