बाजारों में काफल की बहार; नहीं मिल रहे ग्राहक, दुकानदार हुए निराश

शिमला –कोविड-19 महामारी के कारण इस बार काफल की खेप बाजारों में नहीं पहुंच सकी है। बता दें अप्रैल के अंतिम या मई के पहले सप्ताह में काफल बाजारों में पहुंच जाता था। लॉकडाउन के चलते ग्रामीण काफल बाजारों में नहीं पहुंचा पाए हैं। काफल बेचने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति पर भी इसका असर पड़ेगा। कुछ एक व्यापारी ही काफल फल को बाजारों तक पहुंचा पाए है। उन्हें भी इस फल की उचित किमल नहीं मिल रही है। यह फल पेड़ों पर ज्यादा समय तक टिकता नहीं है। जिला के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाने वाला औषधीय फल काफल कैंसर, कब्ज, पेट और हृदय रोग के लिए रामबाण माना जाता है। इसकी चटनी भी तैयार की जाती है। यह गुठलीदार फल गर्मियों के मौसम में पाया जाता है। काफल 200 से 250 रुपए प्रति किलो बिकता है। फिलहाल लॉकडाउन के चलते काफल पर भी कोरोना का साया पड़ा हुआ है। काफल पर्वतीय लोगों के लिए वर्षों से यह आजीविका का साधन भी है। काफल शिमला के बाजारों में खूब मिलते हैं और इनकी अच्छी खासी बिक्री होती है। दुर्भाग्य से काफल का व्यवसाय करने वालों को इस साल कोरोना की वजह से नुकसान हुआ है।