भारत में जुलाई तक बिगड़ सकते हैं हालत, विशेषज्ञ का दावा, 21 लाख लोग आएंगे वायरस की चपेट में

By: May 26th, 2020 12:15 am

नई दिल्ली – भारत कोविड-19 की महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशों की सूची में दसवें नंबर पर आ गया है। संभव है आने वाले दिनों में भारत दसवें नंबर से और ऊपर आए। भारत में कोविड 19 पर काम करने वाले शोधर्काताओं का कहना है कि जुलाई तक भारत में कुछ लाख मामले बढ़ सकते हैं। जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के अनुसार भारत में कोरोना वायरस से संक्रमण के 1.43 लाख से ज्यादा मामले अब तक दर्ज किए जा चुके हैं। संक्रमण के मामलों की संख्या के लिहाज से इस लिस्ट में सबसे ऊपर अमरीका है, फिर ब्राजील, रूस, ब्रिटेन, स्पेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी और तुर्की के नाम हैं। ताजा आंकड़ों के मुताबिक़ भारत में कोविड-19 की महामारी ने 4100 से ज्यादा लोगों की जानें भी ली हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश में कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले हर 13 दिन में दोगुने हो रहे हैं। अब सरकार ने भी लॉकडाउन से जुड़ी पाबंदियों में ढील देनी शुरू कर दी है। यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में बॉयोस्टैटिस्टिक्स और महामारी रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर भ्रमर मुखर्जी का कहना है कि भारत में संक्रमण के मामलों का बढ़ना अभी कम नहीं हुआ है। मुखर्जी की टीम का अनुमान है कि भारत में जुलाई की शुरुआत तक 630,000 से 21 लाख लोग इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। देश भर में संक्रमण के कुल मामलों का पांचवां हिस्सा अकेले मुंबई शहर में है।

कोरोना मरीजों की संख्या में महाराष्ट्र टॉप पर

महाराष्ट्र में मरीजों की संख्या 52 हजार पार है। यानी देश के कुल आंकड़ों का एक तिहाई हिस्सा अकेले महाराष्ट्र में ही है। बड़ी बात ये है कि वहां के अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों के लिए बेड की कमी है और इलाज के लिए डाक्टर भी काफी नहीं पड़ रहे हैं। ये बात अब महाराष्ट्र सरकार भी खुल कर स्वीकार कर रही है। महाराष्ट्र सरकार ने केरल सरकार से डाक्टरों की एक टीम भेजने की गुजारिश भी की है। महाराष्ट्र के नोडल अफसर, मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च टीपी लहाणे ने केरल के स्वास्थ्य मंत्री को चि_ी लिख कर 50 स्पेशलिस्ट डाक्टर और 100 नर्सों की व्यवस्था करने की गुजारिश की भी की है। अकेले मुंबई की बात करें तो वहां तकरीबन 30 हजार कोविड-19 के मरीज हैं। सरकारी अनुमान के मुताबिक 15 फीसदी लोगों को ही इस बीमारी में क्रिटिकल केयर यानी आईसीयू की जरूरत पड़ती है और पांच फीसदी को वेंटिलेटर की।


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