मंडी में कोई नहीं सोएगा भूखे पेट

By: May 19th, 2020 12:18 am

जिला प्रशासन की एक और मानवीय पहल, रोजी रोटी के संकट से जूझ रहे लोगों की मदद का उठाया बीड़ा

मंडी-मंडी जिला प्रशासन ने कोराना काल में रोजी-रोटी के संकट से जूझ रहे लोगों की मदद के लिए एक और मानवीय पहल की है। प्रशासन ने उन सभी जरूरतमंद लोगों की सहायता का बीड़ा उठाया है, जो लॉक डाउन के चलते अभी अपना काम-धंधा शुरू नहीं कर पाए हैं और न ही किसी सरकारी योजना के तहत कवर हैं। उपायुक्त ऋ ग्वेद ठाकुर ने बताया कि जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए प्रशासन ने जिलाभर में विस्तृत सर्वे करवाया है। प्रशासन इस सर्वे में सूचीबद्ध परिवारों में से सभी जरूरतमंदों को निःशुल्क राशन किट मुहैया करवाएगा। उपायुक्त ने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए जिला के सभी शहरी क्षेत्रों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग से सर्वे करवाया गया है। घर-घर जाकर किए गए इस सर्वे में जरूरतमंद परिवार की माली हालत और उनके काम धंधे की स्थिति का पता लगाया गया है। इस सर्वे में साथ ही यह भी जानकारी ली गई है कि वे परिवार बीपीएल अथवा किसी अन्य सरकारी योजना में कवर तो नहीं है। क्योंकि बीपीएल व पीएम किसान जैसी किसी सरकारी योजना में कवर लोगों को पहले ही अलग से विशेष सहायता मुहैया करवाई जा रही है, इसलिए वे परिवार जिला प्रशासन की इस मुहिम के लाभार्थियों में शामिल नहीं हैं। उपायुक्त ने कहा कि इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी ऐसे परिवारों का पता लगाया जा रहा है जो विकास कार्य शुरू होने के बावजूद अभी तक संकट में हैं। संबंधित बीडीओ के जरिए पंचायतों के सहयोग से जरूरतमंद लोगों की लिस्ट तैयार की जा रही है। उन सभी परिवारों को भी निःशुल्क राशन किट मुहैया करवाई जाएगी। गौरतलब है कि मंडी जिला प्रशासन लॉक डाउन की अवधि में इस मुहिम से पहले भी 30 हजार से अधिक जरूरतमंद लोगों को राशन मुहैया करवा चुका है। उपायुक्त ने कहा कि यह सर्वे इसलिए भी बहुत फायदेमंद रहा है कि इससे मंडी जिला के शहरी निकायों के असंगठित क्षेत्र के कामगारों का ठीक-ठीक आंकड़ा पता चला है। जो भविष्य में श्रमिकों, कामगारों की मदद को नीति व कार्यक्रम बनाने में बहुत सहायक होगा। ये आंकड़े प्रधानमंत्री श्रमिक मानधन योजना के प्रभावी कार्यान्वयन में भी बड़े मददगार होंगे।

स्वरोजगार से जुड़े लोगों को मदद की दरकार

उपायुक्त ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा सहित विकास के अधिकतर काम शुरू होने से अब वहां लोगों के लिए परिस्थितियां शहरी क्षेत्रों के कामगारों के मुकाबले कुछ हद तक सामान्य हुई हैं। इसके उलट शहरी निकायों में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले और अपना रोजगार करने वाले बहुत से लोगों का कामकाज अभी भी रुका पड़ा है। ऐसे में उन्हें तुरंत मदद की दरकार थी और उनकी सहायता के लिए अतिरिक्त प्रयास करना जरूरी था ।


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