विदेशी कंपनियों का मोह त्यागें

By: May 20th, 2020 12:05 am

-राजेश कुमार चौहान, सुजानपुर टीहरा

कोरोना से जो देश का भारी आर्थिक नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई के लिए सरकारों को ही नहीं, बल्कि देश के हरेक नागरिक को अपना योगदान अपने-अपने कार्यक्षेत्र में कड़ी मेहनत और नेक इरादे से देना है, न कि सरकार के आर्थिक पैकजों पर ही निर्भर रहना चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह दूसरे देशों की कंपनियों के भारत आने की उम्मीद छोड़ पहले अपने देश के हर छोटे-बड़े लघु कुटीर उद्योगों में लॉकडाउन के कारण हुए नुकसान के लिए और ज्यादा ध्यान दे। हालांकि मोदी सरकार ने हाल ही में इनके लिए विशेष आर्थिक पैकेज जारी किए। स्वदेशी का सपना तभी पूरा हो सकता है, जब देश के घरेलू उद्योग विकास करेंगे। लॉकडाउन के बाद भारत सरकार को चाहिए कि लंबे समय तक अब चीन के बाजार को देश में पूरी तरह पैर न पसारने दे, क्योंकि लॉकडाउन से पहले भी भारत में जब से चीनी सामान आना शुरू हुआ है, तब से न जाने भारत के कितने ही छोटे-मोटे उद्योग धंधे या तो बंद हो गए हैं या उन पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। माना भारत को अपने स्वदेशी माल को बेचने के लिए विश्वस्तर के आयात-निर्यात के कायदे कानूनों और नियमों या समझौतों पर अमल नहीं करना चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होना चाहिए कि देश के छोटे उद्योगों की तरफ  गंभीरता न दिखाई जाए।


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