साहब ! रोजी रोटी के पड़ गए लाले

उत्तर प्रदेश के 15 मजदूरों ने प्रशासन से लगाई गुहार, लॉकडाउन में फंसे प्रवासी घर जाने की देख रहे राह

नेरचौक-लॉकडाउन की मार देशभर में सबसे ज्यादा मजदूरों पर पड़ी है। रोजगार छिन गया है। खाने और रहने को पैसे तक नहीं हैं। भूख से तड़प रहे मजदूर घर जाना चाहते हैं, मगर किराया तक नहीं है, वह सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें उनके प्रदेश वापस भेज दिया जाए। ऐसा ही एक मामला जिला मंडी के उपमंडल बल्ह में भी सामने आया है, जहां उत्तर प्रदेश व होशियारपुर के प्रवासी पिछले 15 दिनों से प्रशासन से उन्हें अपने प्रदेश एवं गांव भेजने की पुकार लगा रहे हैं, लेकिन प्रशासन उनको भेजने में असमर्थता जता रहा है। यही नहीं, ये प्रवासी लोग बल्ह के विधायक व पूर्व मंत्री तथा स्थानीय पार्षद से भी उन्हें उनके गांव भेजने की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन प्रशासन-शासन भी इन्हें अभी तक वापस भेजने का प्रबंध नहीं कर पाए हैं। उल्लेखनीय है कि यूपी के लगभग दो दर्जन लोग नगर परिषद के ढांगू वार्ड के पास खड्ड किनारे झुग्गी झोपड़ी में अपने परिवार सहित रह रहे हैं। ये लोग अपनी रोजी-रोटी और जीवन बसर करने के लिए गांव-गांव जाकर कुकर रिपेयर तथा चटाई बेचने का कार्य करते थे, लेकिन अब कोरोना वायरस के कारण लोग उन्हें गांव में घुसने नहीं दे रहे हैं। झुग्गी-झोपड़ी में रह रहे प्रवासियों नमन, धर्मेंद्र, सतपाल, बलवंत, सुरेश, दीपक, अनोखी देवी, रिखी, ईमारती और मंजु आदि का कहना है कि वे पिछले तीन महीनों से बेरोजगार हो गए हैं। कोरोना वायरस व प्रवासी होने के भय के चलते गांव वाले उनसे कोई काम नहीं करवाना चाहते, जिससे उनका सारा कारोबार ठप हो गया है। उनका कहना है कि शुरुआती दौर में प्रशासन द्वारा कुछ राशन मुहैया करवाया गया था, लेकिन अब वह राशन भी नहीं मिल रहा है, जिसके चलते अब इनके पास खाने-पीने के लिए भी कुछ नहीं है। उन्होंने मन बनाया है कि वे अपने गांव वापस चले जाएंगे, मगर जाने के लिए उनके पास किराए के पैसे व सुविधा नहीं है, जिसकी व्यवस्था के लिए वे शासन और प्रशासन के पास कई मर्तबा चक्कर लगा चुके हैं, मगर उनकी बात को अनसुना कर दिया जा रहा है।

क्या कहते हैं अधिकारी

उधर, डा. आशीष शर्मा, उपमंडलाधिकारी बल्ह का कहना है कि प्रशासन अभी बिहार के लोगों को बाहर भेजने के लिए प्रबंध कर रहा है। यूपी और होशियारपुर के रहने वाले लोगों को भेजने के लिए अभी कोई गाइडलाइन हमें प्राप्त नहीं हुई है।