सेना और सीमाएं

By: May 30th, 2020 12:05 am

कर्नल (रि.) मनीष धीमान

स्वतंत्र लेखक

बीते सप्ताह देश में हुई मुख्य घटनाओं को देखें तो कोरोना महामारी के समय में कहीं लोग समुद्री तूफान से परेशान हैं तो कहीं भूखे-प्यासे मजदूरों संग रेल गंतव्य से भटक रही है। एक प्रदेश के बड़े अधिकारी ने नेताओं के साथ हुई कहासुनी के लिए माफी मांगी और हमारे प्रदेश में एक बड़े घोटाले से गरमाई सियासत से एक बड़े नेता ने इस्तीफा दिया। इसी दौरान कोरोना के लिए जिम्मेदार ठहराए जा रहे तथा पूरे विश्व में अलग-थलग पड़ रहे चीन ने हमारे देश की चारों तरफ  की सीमाओं पर हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है, जैसे पश्चिम में अरब सागर  में ग्वादर बंदरगाह, उत्तर में पीओके की डिस्प्यूटेड लैंड में दयामीर बाशा बांध बनाने के लिए पाकिस्तान को करोड़ों रुपए की मदद करना, लद्दाख में लगातार नए रोड बनवाना, उत्तर-पूर्व में हमारे पुराने मित्र रहे नेपाल को हमारे खिलाफ  इतना भड़का देना कि अब वह सीमा संशोधन करना चाहता है तथा अरुणाचल में भी लद्दाख की तरह प्रभुत्व बढ़ाने के लिए लगातार ओछी हरकतें करना। इस सबको हल्के में नहीं लिया जा सकता। हालात की गंभीरता को समझते हुए दो दिन पहले प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एनएसए अजीत डोभाल तथा सीडीएस जनरल बिपिन रावत के साथ उच्च स्तरीय वार्ता की और उसके पश्चात भारतीय सेना प्रमुख भी सीनियर सैन्य अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर मीटिंग कर रहे हैं। मीटिंग में एलएसी पर लद्दाख क्षेत्र में चीन के 5000 सैनिकों की डिप्लोयमेंट को ध्यान में रखते हुए भारतीय सैनिकों की संख्या बढ़ाने पर चर्चा की जा रही है। सैटेलाइट इमेज से पता चला है कि पैंगोंग झील से करीब 200 किलोमीटर दूर तिब्बत क्षेत्र के नागरी गुणसा हवाई अड्डे के आसपास एक नया टैक्सी ट्रैक बनाया जा रहा है जिसके जरिए हेलीकॉप्टर और कॉम्बैट एयरक्राफ्ट पहुंचाए जा रहे हैं। इसके अलावा चाइनीज एयरफोर्स के जे-11 या जे-16  फाइटर वहां पर होने की संभावना है। इससे पहले पिछले महीने भारतीय सैनिकों ने पैंगोंग झील में चीनी सैनिकों के साथ एक मोटर वोट तथा लद्दाख क्षेत्र में एक हेलीकॉप्टर देखा था। इस सबके बीच में पिछले कल चीनी राष्ट्रपति के सेना को युद्ध के लिए तैयार रहने के लिए दिए गए आदेश से चीजें और भी संवेदनशील हो गई हैं। बरसों से चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद के बावजूद चीन अपनी तरफ  के इलाके को हर तरह से डिवेलप कर रहा है, पर जब भारत ने 1962 की लड़ाई के दौरान केंद्र बिंदु रहे गलवा क्षेत्र में वहां के स्थानीय निवासियों की सुविधा के लिए रोड बनाया तो उस पर चीन ने नाराजगी जताई। इसमें कोई दो राय नहीं कि भारतीय सेना अपनी सीमाओं को सुरक्षित रखने में पूरी तरह सक्षम है, पर इन हालात में हर स्थिति को ध्यान में रखते हुए इसकी तैयारी करना बहुत ही आवश्यक है।


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