स्कूल संचालक करेंगे घेराव
सरकार के सिर्फ ट्यूशन फीस लेने के फैसले का विरोध; बोले नहीं दे पाएंगे वेतन
कुल्लू –कुल्लू जिला निजी स्कूल संगठन की वीडियो कान्फ्रेंस में संचालकों ने सरकार के फैसले का कड़ा विरोध किया है। कुल्लू जिला निजी स्कूल संगठन के अध्यक्ष पूर्ण चंद ठाकुर और महासचिव गणेश भारद्वाज ने कहा कि निजी स्कूल संगठन ने वीडियो कान्फ्रेंस की, जिसमें संयुक्त वक्तव्य में सरकार के फैसले का विरोध किया गया है। उन्होंने कहा कि निजी स्कूल एकजुट हुए हैं। निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि सरकार जहां अपने स्कूलों पर करोड़ों खर्च करती है बावजूद इसके अभिभावकों का झुकाव निजी स्कूलों की ओर ही रहता है जिसका मुख्य कारण वहां मिलने वाली सुविधाएं व पढ़ाई होती है। सरकारी स्कूलों के एक बच्चे का सालाना खर्च लगभग पचास से सत्तर हजार रुपए के करीब आता है, जबकि एक निजी स्कूल में मात्र बारह हजार से बीस हजार रुपए तक प्रति विद्यार्थी साल का खर्च आता है। बावजूद इसके निजी स्कूलों के विद्यार्थी हर क्षेत्र में सरकारी स्कूलों से एक कदम आगे ही रहते हैं। प्रदेश में निजी स्कूलों के संचालकों में ऐसी नीतियों को लेकर भारी रोष है। सभी जिलों में रणनीति बनाई जा रही है। कोरोना संकट के बाद लाखों निजी अध्यापक और स्कूल संचालक विधानसभा का घेराव करेंगे। आने वाले समय में इसका असर चुनावों पर दिखेगा। निजी स्कूलों से जुड़े लाखों लोग ऐसे प्रतिनिधियों को चुनेंगे, जो स्वरोजगार पैदा करने वालों के पक्षधर होंगे। अभी भी अवसर है कि मुख्यमंत्री निजी स्कूलों के कर्मचारियों, यातायात के साधनों तथा भवनों आदि के किराए के लिए एक राहत पैकेज की घोषणा करें। यदि इतना भी नहीं कर सकते तो कम से कम अपने मंत्रियों से कहें कि इस मुद्दे पर राजनीति न करें। मुफ्त में कैसे और क्यों कोई पढ़ाएगा, यह असंभव भी है। इसलिए बच्चों के भविष्य के साथ अपनी राजनीति चमकाने के लिए खिलवाड़ न करें। बहुत से स्कूल जनवरी में सत्र आरंभ करते हैं, वे एनुअल फंड ले चुके हैं। अन्य बोर्ड के बड़े स्कूल लाखों के फंड ले चुके हैं और हिमाचल बोर्ड से संबद्ध स्कूल तो बहुत कम यानी दो से पांच हजार तक ही एनुअल फंड लेते हैं। अब यदि छोटे स्कूल फंड नहीं लेंगे तो बंद हो जाएंगे। सभी मंत्रियों, नेताओं, अफसरों के बच्चे भी निजी स्कूलों में ही पढ़ते हैं। बड़े लोग तो एडवांस में ही फीस जमा कर देते हैं। निजी स्कूलों की फीस की पूरी जानकारी बोर्ड और विभाग को एक बार नहीं कई बार दी जाती है। जब तक फीस नहीं आएगी, तब तक शिक्षकों को वेतन भी नहीं दिया जा सकता। यदि वेतन नहीं दिया जाता है तो शिक्षक भला ऑनलाइन क्यों पढ़ाएंगे। पाठशाला में बैठने की सुविधाएं, सुरक्षा के लिए कैमरे, सुरक्षित भवन का किराया, पानी और बिजली की उपलब्धता, सेनेटरी नैपकिन मशीन, बसों के टैक्स, बीमा और बैंकों की किस्तें, बसों में जीपीएस और कैमरे, खेलकूद, कम्प्यूटर, योग, परीक्षाएं आदि खर्चे यदि नहीं दिए जाएंगे तो स्कूल बंद हो जाएंगे और यह ट्यूशन फीस से संभव नहीं है।
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