8 से 12 घंटे की ड्यूटी, विरोध तेज

कुल्लू में सीटू-इंटक-एटक ने मजदूरों के हक में बुलंद की आवाज, मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ  प्रदर्शन

कुल्लू-ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के बैनर तले दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर जिला कुल्लू में विभिन्न स्थानों पर केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी परिवर्तनों के खिलाफ  विरोध-प्रदर्शन किए गए। सीटू इंटक और एटक द्वारा कुल्लू में विरोध-प्रदर्शन किया गया और उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री को मांग पत्र दिया गया। सीआईटीयू के जिला महासचिव राजेश ठाकुर, एटक के राजेश्वर पॉल और इंटक के महासचिव संजय शर्मा ने बताया कि केंद्र सरकार व राज्य सरकार कोरोना वायरस विकट परिस्थितियों की आड़ में मजदूर विरोधी नीतियों को अमल में ला रही है। श्रम कानूनों को बदलकर पूंजिपति वर्ग को लाभ पहुंचाने का काम सरकारें कर रही हैं। ईपीएफ की दरों में बदलाव किया जा रहा है। फैक्टरी एक्ट, कान्ट्रेक्ट लेबर एक्ट और औद्योगिक विवाद अधिनियम में बदलाव किए जा रहे हैं, जो कि मजदूरों के अधिकारों पर कठोर प्रहार है। कई राज्य सरकारों द्वारा तो श्रम कानूनों को ही तीन वर्षों के लिए खत्म कर दिया है और काम के घंटे आठ से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया हैं, जिससे मजदूरों की हालत बंधुआ मजदूरों की तरह हो जाएगी। ईपीएफ की हिस्सेदारी 12 प्रतिशत से घटाकर दस प्रतिशत करने की घोषणा की गई है, जो कि मजदूर विरोधी है और उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने वाला है। कोरोना महामारी के चलते हजारों मजदूरों को वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। ट्रेड यूनियनों की संयुक्त समन्वय समिति जिला कुल्लू के आह्वान पर पूरे जिला में विभिन्न स्थानों पर लगभग एक हजार मजदूरों ने लॉकडाउन की शर्तों का पालन करते हुए विरोध-प्रदर्शन किए। कुल्लू में बाशिंग, बंदरोल, खराहल, तेगूबेहड़, खोड़ाआगे, रूआड़, अंबेदकर नगर भुंतर, शाढ़बाई, प्रेमगढ़, बराधा, न्योली, ग्राहण, माहिली, गाहर, गैमन गड़सा, फोरलेन बजौरा, आईआरएमटी नगर, बड़ाग्रां, प्रीणी, अलेउ, बड़ागढ़, एनएचपीसी सैंज व बिहाली, आनी आदि स्थानों पर विरोध-प्रदर्शन किए गए। कुल्लू में विरोध-प्रदर्शन में इंटक के महासचिव संजय शर्मा, एटक के अध्यक्ष राजेश्वर पॉल, सीटू के जिलाध्यक्ष सरचंद ठाकुर,  महासचिव राजेश ठाकुर, कोषाध्यक्ष भूप सिंह भंडारी, चमन ठाकुर, गोविंद आदि शामिल हुए। तीनों संगठनों के नेतृत्व ने कहा कि सरकार अगर मजदूरों की मांगों पर गौर करके मजदूर विरोधी नीतियों को वापस नहीं लेती है तो पूरे देश में सभी केंद्रीय मजदूर यूनियनें इकट्ठा होकर पूरे देश में आंदोलन तेज करेंगी।