जाते-जाते दो लोगों को जिंदगी दे गए शिमला के नरेश, एक बेटे ने पिता का साया सिर से उठने के बाद भी दुनिया के सामने पेश की मिसाल
चंडीगढ़ – कोरोना वायरस महामारी के बीच एक बेटे ने पिता का साया सिर से उठने के बाद भी दुनिया के सामने मिसाल पेश कर दी। हिमाचल प्रदेश के रहने वाले पुनीत को पिता नरेश कुमार की मौत का गम तो जरूर था, लेकिन उन्होंने पिता के अंगदान करवा कर दो व्यक्तियों को नई जिंदगी दी है। ऑर्गेन ट्रांसप्लांट पीजीआई में किए गए। कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा देखते हुए डाक्टरों के लिए यह चुनौतीपूर्ण था। हालांकि उन्होंने मरीजों को ऑर्गन ट्रांसप्लांट के बाद संक्रमण से बचाने में सफलता प्राप्त की है। दरअसल, शिमला के रहने वाले 50 वर्षीय नरेश को छह मई को पहाड़ से गिरने की वजह से सिर में गहरी चोट लग गई थी। गंभीर हालत के कारण उन्हें पीजीआई रेफर किया गया था। करीब दस दिनों के इलाज के बाद डाक्टरों ने उन्हें 15 मई को ब्रेन डेड घोषित कर दिया था। पीजीआई में इसी बीच दो मरीज किडनी खराब होने के चलते जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे थे। इस पर डिपार्टमेंट ऑफ रीनल ट्रांसप्लांट सर्जरी के हैड प्रो. अशीष शर्मा ने इन दोनों मरीजों की जान बचाने के लिए नरेश कुमार के बेटे पुनीत से ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए संपर्क किया। पिता की मौत का गहरा दुख होने के बाद भी पुनीत ने ऑर्गन ट्रांसप्लांट की मंजूरी देकर दो लोगों को नई जिंदगी दी। पीजीआई के प्रो. अशीष शर्मा ने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट करने में कई चुनौतियां थीं। पूरा क्षेत्र लॉकडाउन मोड में था और सभी तरह की ऑर्गन ट्रांसप्लांट सर्जरी को रोक दिया गया था। प्रत्यारोपण के साथ आगे बढ़ने के लिए विशेष सावधानी बरती गई। मृत डोनर के साथ-साथ दोनों प्राप्तकर्ताओं का कोरोना टेस्ट किया गया। रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद किडनी ट्रांसप्लांट की गई।
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