बिजली बोर्ड कर्मियों ने लगाए काले बिल्ले

By: Jun 2nd, 2020 12:22 am

चंबा- डलहौजी-बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन चंबा में बिजली संशोधन विधेयक 2020 के विरोध में सोमवार को काले बल्ले लगाकर सोशल डिस्टेंसिंग के बीच शांतिपूवर्क तरीके से प्रदर्शन किया। यूनियन ने मांग उठाई कि इस कर्मचारी व उपभोक्ता विरोधी विधेयक को वापस लिया जाए। अन्यथा यूनियन आगामी दिनों में इस विधेयक के खिलाफ  बड़ा आंदोलन छेड़ेगी। इस मौके पर यूनियन की चंबा यूनिट के प्रधान प्रधान दरबारी लाल ने कहा कि बिजली संशोधन विधेयक 2020 से खासकर किसानों और 300 यूनिट तक बिजली का उपयोग करने वाले गरीब उपभोक्ताओं को बिल के प्रतिगामी परिणामों से अवगत कराने के लिए व्यापक अभियान चलाया जाएगा। इस विधेयक के लागू होने से किसानों और गरीबों को बिजली दरों पर मिल रही सबसिडी समाप्त हो जाएगी। किसी भी उपभोक्ता को लागत से कम मूल्य पर बिजली नहीं दी जाएगी। वर्तमान में बिजली की लागत 6.78 रुपए प्रति यूनिट है, जबकि निजीकरण एक्ट के बाद यह आठ रुपए से कम नहीं रहेगी। इस विधेयक के लागू होन से किसानों को प्रतिमाह छह हजार रुपए और घरेलू उपभोक्ताओं को आठ हजार रुपए प्रतिमाह बिल देना होगा। इस मौके पर यूनियन के राज्य मुख्य सलाहकार अनिल कुमार, राज्य सयुंक्त सचिव मुकेश कुमार, सचिव सुरेंद्र शर्मा, प्रताप चंद, अरुण कुमार, किशोर कुमार, महिला विंग प्रधान मंजु शर्मा और  जेई एसोसिएशन सचिव अजय भारद्वाज मौजूद रहे। उधर, बिजली उपमंडल डलहौजी के कर्मचारियों ने भी बिजली संशोधन बिल का विरोध किया। संघ सदस्यों ने कहा कि अधिक्तर राज्य सरकारों, बिजली कर्मचारियों व अभियंताओं के विरोध के चलते केंद्र सरकार बिजली कानून 2003 में संशोधनों को अब तक लागू नहीं कर पाई है। मगर कोविड-19 महामारी के शारीरिक दूरी के नियम का लाभ उठाते हुए बिजली संशोधन बिल 2020 को पारित करने की जल्दी में है, जिससे बिजली कंपनियों के निजीकरण का रास्ता साफ होगा। संघ सदस्यों के अनुसार इस संशोधन के कानून बनने से जहां बिजली बोर्ड कंपनी के वितरण कार्यों में छोटी-छोटी कंपनियों व फ्रेंचाइजी के आने से इसके निजीकरण का रास्ता प्रशस्त हो जाएगा वहीं बिजली मापने हेतु जगह-जगह इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों व बिजली के फीडरों के अलग-अलग करने से बिजली उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पडे़गा।


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