बीबीएन का योगदान

By: Jun 30th, 2020 12:05 am

कोरोना काल के सन्नाटों के बीच हिमाचल के बीबीएन क्षेत्र ने मानवता के दूत बनकर जिस तरह दायित्व निभाया है, उसके आरंभिक परिणाम सामने आने लगे हैं। फैबिफ्लू नामक दवाई के आरंभिक परिणामों से यह माना जाने लगा है कि कुछ समय में जब मानवीय प्रयोग पूरे होंगे, तो उपचाराधीन कोरोना पीडि़तों के लिए यह वरदान साबित होगी। बीबीएन की दवाई कंपनी ग्लेनमार्क ने यह उपलब्धि दर्ज करते हुए देश को यह आश्वासन दिया है कि कोरोना के खिलाफ चिकित्सकीय जंग में भारत समूचे विश्व को राहत देगा। इसी तरह इबोला वायरस के खिलाफ इस्तेमाल हुए इंजेक्शन, रैमडैसाविर को नए अवतार में अगर कोविड-19 के खिलाफ पेश किया जाएगा, तो बीबीएन इसकी पृष्ठभूमि में सक्रिय है। इससे पहले जब मलेरिया की दवाई ‘हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन में कोरोना से निपटने का जादुई अंश देखा गया, तो बीबीएन की 27 फार्मा कंपनियों ने अमरीका तक के देशों में अपने उत्पाद का लोहा मनवाया। एक बार फिर फैबिफ्लू के मार्फत हिमाचल अपनी भागीदारी से वैश्विक भूमिका को तसदीक कर रहा है। पिछले एक दशक में यह बीबीएन के अस्तित्व की नई पहचान भी है कि करीब सात सौ दवाई कंपनियों के उत्पादों से इसे एक अलग मुकाम मिला। हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवाई का ही जिक्र करें, तो करीब तीस यूनिट इस दौरान यह एहसास कराते रहे कि इसका उत्पादन करके कोरोना से मिले तात्कालिक प्रभाव से राहत दिला सकते हैं। देश के प्रमुख दवाई उत्पादन केंद्रों में बद्दी का जिक्र कई निर्यात इकाइयों के कारण भी महत्त्वपूर्ण हो जाता है। एंटीबायोटिक व शुगर-कैंसर जैसी जीवन रक्षक दवाइयों में बीबीएन ने एक बड़े बाजार को साध लिया है, लेकिन इस क्षमता के अनुरूप सुविधाओं  का खाका अपूर्ण है। भले ही ड्रग लाइसेंसिंग अथारटी ने अपनी विभागीय क्षमता में दवाई उद्योग की चुनिंदा आवश्यकताओं का निवारण किया, लेकिन हम यह नहीं कह सकते कि बीबीएन ने मंजिलें हासिल कर लीं। दवाई उद्योग की कुछ आधारभूत सुविधाएं अभी तक संबोधित नहीं हुई हैं। टेस्टिंग और अनुसंधान के संदर्भों में यहां कोई स्वतंत्र संस्थान नहीं है और न ही सरकार की ओर से ऐसी कोशिश हुई है ताकि व्यापक स्तर पर दवाई उद्योग का विस्तार हो। सात साल पूर्व घोषित हुआ बल्क ड्रग पार्क आज भी हकीकत से दूर है जबकि इसके लिए हजार करोड़ निर्धारित हैं। उम्मीद है कि इसके लिए नालागढ़ या ऊना में उपयुक्त जगह तलाश करके राष्ट्रीय स्तर की जरूरत को पूरा करने में मदद मिले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर बनने के संकल्प और चीन के विवाद के परिप्रेक्ष्य में, हिमाचल का दवाई उद्योग एक बल्क ड्रग पार्क से जुड़ पाए, तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी। हिमाचल सरकार को प्रयास करने चाहिएं कि हैदराबाद, मुंबई व अहमदाबाद की तरह बीबीएन में भी दवाई अनुसंधान संस्थान  स्थापित हो। कोरोना काल में बीबीएन ने जिस तरह खुद की प्रासंगिकता स्थापित की है, उसे देखते हुए हिमाचल के उद्योग विभाग को आगामी कदम उठाने होंगे। राइजिंग हिमाचल के जरिए जो संकल्प तैयार हुए उनमें बल्क ड्रग पार्क, बायोटेक पार्क तथा चनौर व चकवन के औद्योगिक परिसरों की भूमिका तैयार है। बहरहाल प्रदेश के औद्योगिक प्रतिनिधित्व में बीबीएन का और शृंगार करना होगा ताकि क्षमता विकास के साथ-साथ यह हिमाचल में निवेश के रास्ते प्रशस्त करे। दवाई उद्योग ने कोरोना काल के बीचोंबीच क्षमता का नया सेतु विकसित करते हुए बीबीएन क्षेत्र का आर्थिक महत्त्व दर्शाया है। बेहतर होगा हिमाचल बीबीएन के विकास को आर्थिक राजधानी का दर्जा दे और यहां तमाम वित्तीय संस्थाओं के क्षेत्रीय मुख्यालय, औद्योगिक अनुसंधान तथा विभागीय संस्थानों की अहमियत बढ़ाए ताकि आने वाले समय में पांवटा साहिब से कांगड़ा के जसूर तक की मैदानी पट्टी को औद्योगिक गलियारे की तरह विकसित किया जा सके।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App