मिड-डे मील वर्कर का हल्ला बोल

By: Jun 27th, 2020 12:10 am

मंडी-हिमाचल प्रदेश मिड-डे मील वर्कर्ज यूनियन संबंधित सीटू ने केंद्रीय यूनियन के आह्वान पर शुक्रवार को मंडी में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया तथा जिला प्रशासन के माध्यम से एक ज्ञापन भी प्रधानमंत्री को भेजा। ज्ञापन में कहा गया कि मार्च महीने से स्कूल बंद होने के बावजूद खाद्य सुरक्षा कानून के तहत मिड-डे मील योजना में बच्चों को सूखा राशन पहुंचाने का काम कार्यकर्ताओं द्वारा किया जा रहा है। इसके अलावा कई राज्यों में शैल्टर्ज होम में, कई राज्यों में आइसोलेशन केंद्रों में भी मिड-डे मील वर्कर काम कर रहे हैं, मगर इस काम का कोई भुगतान नहीं किया जा रहा है, बल्कि पूरे सुरक्षा उपकरण भी कार्यकर्ताओं को नहीं दिए जा रहे हैं। देश में इस समय लगभग 26 लाख मिड-डे मील कार्यकर्ता काम कर रहे हैं, जिनके लिए केंद्र सरकार ने केवल 1000 रुपए महीना मानदेय तय कर रखा है और वह भी साल में केवल दस महीने ही दिया जा रहा है। कुछ राज्यों में इन कार्यकर्ताओं को अतिरिक्त राशि का प्रावधान किया है, मगर अधिकांश राज्यों में एक हजार रुपए मासिक ही मिल रहा है। यूनियन का कहना है कि मिड-डे मील वर्कर सभी गरीब तबके से संबंधित महिलाएं हैं, जिनके लिए अपने परिवारों का पालन-पोषण इस राशि में कर पाना मुश्किल हो रहा है। पूरे देश में लॉकडाउन के दौरान मजदूरों को वेतन देने का एलान हुआ, मगर मिड-डे मील कार्यकर्ताओं को नहीं दिया गया। शुक्रवार को जिला स्तर पर हुए प्रदर्शन में मिड-डे मील वर्कर्ज यूनियन के जिला प्रभारी गुरदास वर्मा, जिला प्रधान चमन, सचिव करिश्मा के अलावा धनी देवी, चंपा, रीता, धनी देवी, डोलमा और बबली के अलावा आठ खंडों से आई कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को भेजे गए ज्ञापन में उठाई मांगों में कोरोना महामारी के दौरान मिड-डे मील वर्कर्ज को न्यूनतम 7500 रुपए देने, सभी कार्यकर्ताओं के परिवारों को दस किलो प्रति व्यक्ति के हिसाब से राशन व रसोई का पूरा सामान मुहैया करवाने, आइसोलेशन केंद्रों, शैल्टरज होम में काम कर रहे कार्यकर्ताओं को 600 रुपए प्रतिदिन मजदूरी दी जाए। मानदेय पूरे साल 12 महीने का दिया जाए। नियमित किए जाने तक न्यूनतम वेतन 24 हजार रुपए दिया जाए।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App