लावारिस पशुओं से भोरंज परेशान

 लोग रात को सुनसान जगह और जंगल में छोड़ रहे मवेशी, कार्रवाई की उठी मांग

भोरंज- बडैहर के त्रिलोकपुर जंगल में एक महीने का गाय के नवजात बछड़े को छोड़ा है, जिससे लोगों ने मानवता की सारी हदों को पार कर दिया है। यदि लोग गाय व गाय के बछड़े को पाल नहीं सकते हैं, तो वे उसे गोशाला में छोड़ दें। इस तरह जंगल में छोड़ कर अत्याचार तो न करें। नवजात बछड़ा अभी अच्छी तरह से घास तक नहीं खा सकता और लोगों ने इसे भटकने के लिए छोड़ दिया है। भोरंज उपमंडल वर्तमान में लावारिस पशु ग्रामीण क्षेत्रों में गंभीर समस्या बन गई है। गाय, बैल, कुत्ते, बंदर इत्यादि पशु रिहायशी इलाकों में बहुतायत से घूमते मिल जाते हैं। यदि इस समस्या का निदान नहीं किया गया, तो इसके कई दुष्प्रभाव हो सकते है। भोरंज के जाहू, मुंडखर, भरेड़ी, नगरोटा, लदरौर, सुलगबान, धमरोल, बस्सी, चंदरूही, डली, अमरोह, गरसाहड़, पपलाह, हनोह, डाडू इत्यादि में आवारा पशुओं ने नाक में दम कर रखा है। रात के अंधेरे में गाडि़यों में भर कर लावारिस पशुओं को सुनसान जगह और जंगलों में रात के समय लोग छोड़ जाते हैं। लावारिस पशु की समस्या से निदान के लिए शासन को सख्ती के साथ इन पशुओं को गोशाला में डालना चाहिए व आवारा पशुओं को छोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि वे अपने पालतू पशुओं को आवारा न छोड़ें। दिन के समय लावारिस पशु सुनैहल व सीर खड्ड में रह रहे हैं और शाम ढलते ही रिहायशी मकानों के पास पहुंच रहे हैं। लोगों में दिनेश, धर्म चंद, टेक चंद, कौशल, विशाल, मनोज, बलबीर, अरविंद, यशवंत, रमित, राजू, पवन, राजेश, राकेश, जोगिंद्र, सुरेंद्र, अनिल, राज कुमार, विजय, विनोद शर्मा इत्यादि ने लावारिस पशुओं को छोड़ने वालों पर शिकंजा कसने की मांग की है। वहीं भोरंज व्यापार मंडल के प्रधान अरुण कुमार अरोड़ा का कहना है कि शीघ्र इन ऐसा करने वालों पर शिकंजा न कसा गया, तो किसान खेती छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे। अब तो लोगों पर भी ये पशु हमला करने से बाज नहीं आ रहे हैं। पिछले दिनों आधा दर्जन लोग इन पशुओं के कारण घायल हो चुके हैं।