सवा पांच लाख के बाद

By: Jun 29th, 2020 12:05 am

भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण ने पांच माह पूरे कर लिए हैं और संक्रमित मरीजों की संख्या भी सवा पांच लाख (5.28 लाख से ज्यादा) को पार कर गई है। विश्व स्तर पर यह आंकड़ा एक करोड़ को लांघ चुका है और मौतें पांच लाख से अधिक हो चुकी हैं। दुनिया में करीब 76 फीसदी मौतें सिर्फ  10 देशों में ही हुई हैं। उनमें से भी ब्राजील और भारत ही ऐसे देश हैं, जहां मौतें लगातार बढ़ रही हैं। शेष में मौत का आंकड़ा कम होता जा रहा है। भारत में मात्र छह दिन के अंतराल में ही संक्रमित चार लाख से बढ़कर पांच लाख हुए थे और अब तो बीते शनिवार को एक ही दिन में करीब 20,000 नए मरीज सामने आए हैं। हालांकि विश्व और भारत में कोरोना फैलाव के अंतराल का एक ही महीना है, लेकिन संक्रमण अब भी निरंतर जारी है और मौतें भी हो रही हैं। बार-बार कहना पड़ता है कि ये आंकड़े भयावह और घोर चिंताजनक हैं। इनसानी जिंदगी को संक्रमण लील रहा है, तो दूसरी तरफ  वैश्विक अर्थव्यवस्था का नया आकलन -तीन फीसदी बताया जा रहा है। यह आकलन आईएमएफ  का है। कोरोना के प्रभाव को कम करने और अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने के लिए 107 देशों ने आर्थिक पैकेज जारी किए हैं। भारत सरकार ने भी जीडीपी का 20 फीसदी पैकेज घोषित किया था। बहरहाल कोई भी संकेत नहीं है कि कोरोना वायरस का अंत कैसे होगा? समापन होगा भी अथवा नहीं? वायरस फैलते रहे हैं और लाखों-करोड़ों शव बिछाने के बाद विलुप्त भी होते रहे हैं, लेकिन कोरोना का विस्तार 215 देशों तक हुआ है। अब भी 25 से ज्यादा देश ऐसे हैं, जहां हररोज औसतन 1000 नए संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं। पहली बार कोई संक्रमण या बीमारी ऐसी देखी गई है, जिसके वैक्सीन या दवा के लिए इतने व्यापक स्तर पर वैज्ञानिक और चिकित्सक शोधरत हैं। अभी तक कोई साबित सफलता नहीं मिली है, लेकिन उम्मीदें काफी हैं। बेशक कोरोना वायरस को लेकर औसत आदमी की जानकारी भी बढ़ी होगी, क्योंकि संक्रमण का अनुभव भी पुराना हो गया है। फिर भी आश्चर्य है कि इतनी घातक बीमारी या संक्रमण पर अभी तक कोई राष्ट्रीय रणनीति नहीं बनाई जा सकी है! अपने-अपने मॉडलों पर प्रयोग किए जा रहे हैं। राजधानी दिल्ली में भी घर-घर सर्वेक्षण की बात सुनी गई है, लेकिन जो अनुभव सामने आ रहे हैं, उनकी कवायद डाटा-संग्रह अधिक लगी है। नौकरशाही कोरोना को भी लालफीताशाही से ही हराना चाहती है। कोई कोविड केयर सेंटर में अनिवार्य क्वारंटीन का फैसला सुना देता है, तो फिर दिल्ली  सरकार के विरोध में होम क्वारंटीन को ही मान लेता है। दिल्ली एक भड़के हुए ज्वालामुखी पर बैठी है, जहां संक्रमण का आंकड़ा 82,000 को पार कर गया है और मौतें भी करीब 3000 हो चुकी हैं। यह जलता हुआ यथार्थ देश की राजधानी का है, लेकिन फिर भी मोदी सरकार और केजरीवाल सरकार की रणनीतियों में विरोधाभास हैं। केंद्र या राज्य सरकार के स्तर पर किसी को भी सुराग नहीं है कि अब सवा पांच लाख से अधिक संक्रमण के बाद कोरोना को काबू कैसे किया जाए? दलील के लिए सभी मृत्यु दर और स्वस्थ होने की दर के पीछे छिपना चाहते हैं, क्योंकि वे विश्व स्तर पर काफी बेहतर स्थिति में हैं। हमारी मृत्यु-दर 3.12 फीसदी के करीब है और ठीक होने की दर करीब 59 फीसदी हो गई है। लेकिन यह तथ्य भी बताना चाहिए कि भारत में करीब 86 फीसदी मौतें मात्र छह राज्यों में ही हुई हैं और यह सिलसिला जारी है। आबादी के मुताबिक देखें, तो दिल्ली मौतों के लिहाज से सर्वोच्च है, जबकि मुख्यमंत्री केजरीवाल प्रत्येक संवाद के दौरान हरेक मौत पर संवेदना जताना नहीं भूलते। प्रधानमंत्री मोदी ने भी विश्वास दिलाया और ‘मन की बात’ के जरिए तसल्ली दी कि इस बार भी भारत संकटों को पार कर विजयी बनेगा और लक्ष्यों को छुएगा। यही बात उन्होंने भारत-चीन सीमा पर पसरे तनाव के संदर्भ में कही। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी चिंतित है कि कोरोना पर काबू कैसे पाया जाए। वह देशों के लिए हररोज नई चेतावनियां भी जारी कर रहा है। बेशक भारत का रिकॉर्ड अभी तक बेहतर है। अब तो हमने भी 82 लाख से ज्यादा टेस्ट कर लिए हैं। रोजाना औसतन दो लाख से ज्यादा टेस्ट किए जा रहे हैं, लेकिन यही निष्कर्ष नहीं है।


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