बिलासपुर में एचआरटीसी ने बंद किए 30 रूट

सवारियां न मिलने से निगम ने लिया फैसला, डिमांड़ पर बुलाएं जाएंगे ड्राइवर-कंडक्टर

बिलासपुर-प्रदेश भर में शहर व ग्रामीण रूटों पर दिन रात सेवाएं उपलब्ध करवाने वाली हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) की लॉकडाउन की वजह से कमर टूट गई है। हालांकि राज्य सरकार के निर्देश पर निगम प्रबंधन ने जनता की सुविधा के मद्देनजर परिवहन सेवाएं शुरू तो कर दी हैं लेकिन हर रोज लाखों के घाटे की मार सहन करनी पड़ रही हैं। कोरोना जैसी महामारी से खौफजदा लोग बसों में बैठने से गुरेज कर रहे हैं। कई रूटों पर दो से चार सौ रुपए इन्कम है। यात्री न मिलने की वजह से बिलासपुर डिपो को 30 के करीब रूट बंद करने पड़े हैं और कई कर्मचारियों को आगामी निर्देशों तक घर भेज दिया गया है। निगम की आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपइया वाली स्थिति हो चुकी है और ऊपर से डेली का औसतन खर्चा भी पूरा नहीं हो पा रहा। बिलासपुर डिपो के 146 शहरी व ग्रामीण रूटों पर बसें चलती हैं। इस बार वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से सरकार द्वारा लगाए गए कर्फ्यू व लॉकडाउन में सेवाएं बंद रहने से करोड़ों का नुकसान झेल चुकी एचआरटीसी ने सरकार के निर्देश पर बस सेवाएं तो शुरू कर दी हैं लेकिन ज्यादातर रूटों पर यात्री न के बराबर हैं। जिला के ग्रामीण व शहरी रूटों के अलावा शिमला, ऊना, हमीरपुर और मंडी इत्यादि जिलों के लिए बस सेवाएं शुरू कर रखी हैं। हर रोज बसें या तो खाली दौड़ रही हैं या फिर एक दर्जन या डेढ़ दर्जन यात्रियों के साथ चल रही हैं जिस कारण निगम को खासा नुक्सान झेलना पड़ रहा है। इस समय 65 के करीब रूट शुरू किए गए हैं लेकिन इन्कम खास नहीं है और हर रोज लाखों का नुकसान हो रहा है। यहां बता दें कि प्रति किलोमीटर की दर से 24 रुपए खर्चा बैठता है, जबकि लॉकडाउन के पहले 30 से 32 रुपए प्रति किलोमीटर की दर से इन्कम होती थी, लेकिन अनलॉक-वन के तहत शुरू की गई सेवाओं के तहत प्रति किलोमीटर पांच से छह रुपए इन्कम आ रही है। कई रूट तो ऐसे हैं जहां दो रुपए प्रति किलोमीटर इन्कम दर्ज की जा रही है। इस लिहाज से निगम प्रबंधन को हर रोज लाखों रुपए का नुकसान झेलना पड़ रहा है। निगम के अधिकारियों की मानें तो डेली 40 से 50 रुपए इन्कम हो रही है, जबकि लॉकडाउन से पहले यह आंकड़ा पांच से छह लाख रुपए थी। ऐसे में हर रोज लाखों रुपए के नुकसान की मार झेलनी पड़ रही है। पता चला है कि कई ग्रामीण रूटों पर बसों के ड्राइवर व कंडक्टरों को जनता का सहयोग नहीं मिल पाया। रात्रि ठहराव वाली जगहों पर खानपान का प्रबंध नहीं होने से ड्राइवर व कंडक्टरों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी। वहीं, क्षेत्रीय प्रबंधक एचआरटीसी बिलासपुर डिपो मेहर चंद ने कहा कि अभी जिला व इससे बाहर पांच दर्जन के करीब रूट ही चलाए जा रहे हैं क्योंकि हर दिन कई रूटों पर यात्रियों के अभाव में बसें खाली दौड़ रही हैं और लाखों का नुकसान हो रहा है। बसों में यात्रियों की तादाद कम है। जिन रूटों पर बसें खाली दौड़ रही थीं फिलहाल उन्हें बंद किया गया है और कर्मचारियों को घर भेजा गया है। जैसे ही डिमांड होगी उन्हें बुला लिया जाएगा।