कोरोना का खात्मा करेगी लैब में तैयार एंटीबॉडी, अगस्त तक इनसानों पर पूरा होगा परीक्षण

By: Jun 30th, 2020 12:05 am

कोविड-19 के मरीजों के लिए बन सकती है संजीवनी, अगस्त तक इनसानों पर पूरा होगा परीक्षण

वाशिंगटन – कोरोना का टीका बनने से पहले प्रयोगशाला में तैयार मोनोक्लोनल एंटीबॉडी मरीजों के लिए संजीवनी बन सकती है। कोरोना से स्वस्थ हो चुके मरीजों से पर्याप्त प्लाज्मा न मिल पाने के बाद अमरीकी वैज्ञानिकों ने कृत्रिम एंडीबॉडी तैयार करने का अभियान छेड़ा था, जिसके शुरुआती परीक्षण सफल रहे हैं। अगस्त तक इनसानों पर परीक्षण पूरे होने के बाद सितंबर से इसका व्यापक इस्तेमाल शुरू हो सकता है। अमरीकी वैज्ञानिकों का दावा है कि थैरेपी न केवल कोरोना को नष्ट कर सकती है, बल्कि उसके दुष्प्रभावों से भी बचा जा सकती है। अमरीकी दवा संगठन बायो की शोध शाखा के उपाध्यक्ष डेविड थॉमस के अनुसार, इम्यून सिस्टम को बचाने में एंटीबॉडी के अच्छे नतीजों के बाद हम तेजी से परीक्षण पूरे कर रहे हैं। अमरीका में एलर्जी एवं संक्रामक रोग के निदेशक डा.एंथनी फॉकी ने भी कहा है कि हमने मोनोक्लोनल एंटीबॉडी तैयार करने में ताकत झोंक दी है। बायोटेक कंपनियां कई सफल एंटीबॉडी का मिश्रण बनाकर भी ट्रायल कर रही हैं। एंटीबॉडी संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर में स्वयं उत्पन्न होने वाला प्रोटीन है, जबकि मोनोक्लोनल एंटीबॉडी वायरस से लड़ने वाली एक जैसी प्रतिरक्षा कोशिकाओं से लैब में तैयार हुआ एंटीबॉडी है। ये संक्रमित कोशिकाओं से सीधे मोर्चा लेकर संक्रमण को आगे बढ़ने से रोक देती हैं। जानवरों पर एंटीबॉडी ट्रायल के उत्साहजनक नतीजे रहे हैं, यह वायरस को निष्क्त्रिय करने में सफल रही है और मनुष्यों पर इसके सकारात्मक परिणाम हम जल्द देखेंगे।

रक्षा कवच का करेगी काम

एंटीबॉडी थैरेपी दो-तीन माह संक्रमण से बचा जा सकती है, लेकिन वैक्सीन बनने तक यह वायरस से सीधे मोर्चा ले रहे डाक्टर-नर्स, सुरक्षाकर्मियों या संक्रमण के जोखिम वाले लोगों के लिए रक्षा कवच का काम कर सकती है।

सौ साल पहले वरदान बनी थी थैरेपी

स्वस्थ हुए मरीजों के रक्त प्लाज्मा में मौजूद ऐसे एंटीबॉडी ने 1918 के फ्लू के दौरान लाखों लोगों की जान बचाई थी। कान्वलेस्ट प्लाज्मा नाम की यह थैरेपी मर्स और सार्स के इलाज में भी कारगर रही।

तमाम जानलेवा रोगों में इस्तेमाल

कैंसर, हृदय रोग, प्रदाहजनक बीमारियां, मांसपेशियों से जुड़े रोग, अंग प्रत्यारोपण असफल होने और लिवर की गंभीर बीमारी मल्टीपल सिरोस में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के जरिए इलाज हो रहा है।

फार्मा कंपनियों में होड़

* रेजेनरॉन अस्पताल में भर्ती मरीजों को थैरेपी दे रही, एक-दो माह में नतीजे

* सिंगापुर की कंपनी टायसिन के ट्रायल के नतीजे भी छह हफ्ते में

*  नोवार्टिस मोनोक्लोनल एंटीबॉडी से तैयार दवा कैनाकिनुमाब आजमा रही

* चीनी कंपनी आई-मैब की थेरेपी के ट्रायल के नतीजे अगस्त तक आएंगे

* ह्यूमेनीजेन की लेंजिलयुमैब एंटीबॉडी के परीक्षण भी अंतिम चरण में


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App