मानसून से पहले उफान पर ब्यास-पार्वती नदियां 

भुंतर-चोटियों पर पिघलते ग्लेशियरों से सदानीरा ब्यास और पार्वती का जलस्तर धीरे-धीरे बढ़ने लगा है। जिला कुल्लू के भुंतर सहित अन्य स्थानों पर दरिया का रौद्र रूप दिखने लगा है। लिहाजा, आने वाले दो से तीन माह तक दरिया का स्तर इसके आसपास के लोगों को भी परेशान करने वाला है। पानी का स्तर बढ़ते ही हर साल जिला भर में ब्यास की लहरों में हिलोरे मारती राफ्टें भी दिखनी आरंभ हो जाती हैं, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के कारण ब्यास का पानी को हिलोरे मार रहा है, लेकिन किश्तियां दिख नहीं रही हैं। कोरोना संकट का सबसे ज्यादा पर्यटन कारोबार पर असर दिखा है और इसके कारण साहसिक गतिविधियों पर रोक लगी है। सर्दियों में जाम हुए रोहतांग और पार्वती ग्लेशियर के कारण दरिया दो से तीन माह तक नाले की तरह दिखती है और अप्रैल के बाद से पानी बढ़ने लगता है। जून और जुलाई माह में तो यह अपने पूरे चरम पर रहती है। भुंतर से लेकर औट तक ब्यास के किनारे कई प्रवासी भी डेरा जमाए रहते हैं और दरिया का पानी इनके लिए भी चुनौती पैदा करता है। हालांकि मानूसन के दस्तक ंके साथ ही प्रशासन द्वारा इन्हें अलर्ट भी जारी किया जाता है। बता दें कि इस बार चोटियों पर बर्फबारी अच्छी हुई है मौसम भी ठंडा रहा है। ऐसे में दरिया का पानी ज्यादा देर तक इसी प्रकार चरम पर रहने की आस है। ग्लेशियरों में अभी भी बर्फ  की अच्छी खासी परत दिख रही है। पार्वती घाटी की चोटियों की ओर साहसिक गतिविधियों के लिए रुख करने वाले विशेषज्ञों की मानें तो इस बार खीर गंगा और मानतलाई में बर्फ  की ज्यादा परत दिखी है। कोरोना के कारण हालांकि चोटियों पर साहसिक गतिविधियों की अभी तक कोई इजाजत नहीं मिली है। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की अध्यक्ष डा. ऋचा वर्मा के अनुसार दरिया का पानी बढ़ने लगा है और ऐसे में दरिया के आसपास जाना खतरों भरा हो सकता है। उनके अनुसार कोरोना संकट के चलते अभी तक साहसिक गतिविधियों की भी इजाजत नहीं है। उनके अनुसार लोगों को दरिया से दूर रहने को लेकर निर्देश भी दिए जा रहे हैं।