सेना में चमकेंगे हिमाचल के सितारे, देहरादून में पासिंग आउट परेड के दौरान पाया लेफ्टिनेंट का ओहदा

By: Jun 14th, 2020 12:06 am

इंडियन मिलिट्री अकादमी देहरादून में पासिंग आउट परेड के दौरान पाया लेफ्टिनेंट का ओहदा, अब विभिन्न रेजिमेंट्स में देंगे सेवाएं

बड़सर के अनिमेश बने अफसर

बड़सर। हमीरपुर के बड़सर सब-डिवीजन के गांव बल्याह खुर्द के सैन्य पृष्ठ भूमि रखने वाले सैनिक परिवार के पुत्र अनिमेश अग्निहोत्री ने इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून से पासआउट होकर समूचे प्रदेश में बड़सर का नाम रोशन किया है। लेफ्टिनेंट अनिमेश अपने परिवार की चौथी पीढ़ी के सैन्य अधिकारी बने हैं। अपनी पारिवारिक सैन्य परंपराओं का शानदार निर्वहन करते हुए लेफ्टिनेंट अनिमेश ने अपने टारगेट को हासिल किया है, जिसमें उसके परिवार के सैन्य परिवेश की शिक्षा-दीक्षा व कड़े अनुशासन के संस्कार मुख्य तौर पर परिलक्षित हो रहे हैं। कड़ी सैन्य ट्रेनिंग के बीच अपने फौलादी हौंसले को बुलंद रखते हुए लेफ्टिनेंट अनिमेश ने अपनी वीर हिमाचली प्रतिभा को साबित किया है। अनिमेश के लेफ्टिनेंट बनने के बाद क्षेत्र व उसके गांव बल्याह खुर्द में जश्न का माहौल है। अनिमेश मेजर एमएल शर्मा के पुत्र हैं, जबकि सूबेदार प्रकाश चंद उनके दादा हैं। इस तरह अनिमेश का पूरा परिवार सेना में अपनी सेवाएं देने के लिए प्रख्यात रहा है। अनिमेश के लेफ्टिनेंट बनने पर बड़सर के विधायक इंद्रदत्त लखनपाल एवं सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने बधाई दी है।

तपिश ने सैन्य अधिकारी बन पाया मुकाम

दौलतपुर चौक। नगर पंचायत दौलतपुर चौक के वार्ड नंबर-7 के तपिश गौतम इंडियन आर्मी में लेफ्टिनेंट बने हैं। तपिश गौतम ने शनिवार को आईएमए देहरादून में सादे समारोह के साथ आयोजित पासिंग आउट परेड में हिस्सा लिया। तपिश को अब इंडियन आर्मी मरचेंडाइड इन्फे्रंट्री में लेफ्टिनेंट पद पर नियुक्ति मिली है, जिससे तपिश के परिवार को बधाइयां देने वालो का तांता लग गया है। तपिश की दसवीं-बारहवीं की पढ़ाई सैनिक स्कूल कपूरथला से हुई। इसके बाद एनडीए की परीक्षा उत्तीर्ण करके पुणे में ट्रेंनिग प्राप्त की। तपिश के पिता अरविंद गौतम व माता अंजना कुमारी पंजाब में जीएसएसएस कमाही देवी में प्राध्यापक के पद पर तैनात हैं। उधर, लेफ्टिनेंट तपिश ने अपनी सफलता का श्रेय अपने दादा विश्वनाथ शर्मा, दादी संतोष गौतम, माता-पिता को दिया है। तपिश ने बताया कि अगर मेहनत, लग्न एवं निष्ठा से कार्य किया जाए, तो मुश्किल से मुश्किल मंजिल हासिल की जा सकती है।

सरकाघाट के चिराग ने रोशन किया नाम

सरकाघाट। मिलिट्री अकादमी देहरादून में हुई पासिंग आउट परेड में देश को मिले  333 सैन्य अधिकारियों में जिला मंडी के सरकाघाट उपमंडल की ग्राम पंचायत भद्रवाड के गांव डंगार के चिराग गुलेरिया ने भी अपना नाम दर्ज करवा लिया है। चिराग गुलेरिया ने माता-पिता के साथ अपने क्षेत्र का नाम भी रोशन किया है। इस वर्ष की प्रथम पासिंग आउट परेड पर भी कोरोना का साया मंडरा गया और सोशल डिस्टेंसिंग नियम के चलते अकादमी के इतिहास में प्रथम बार बिना माता पिता की मौजूदगी में  यह परेड हुई। जिसमें आर्मी चीफ  ने इन जांबाज सैन्य अफसरों को संविधान को साक्षी मान कर देश सेबा की शपथ ली। और उनके कंधो पर तगमे लगाए। चिराग गुलेरिया ने प्रारंभिक शिक्षा डंगार कालर सरकारी स्कूल से ली और जमा दो  सैनिक स्कूल सुजानपुर टीहरा से ली। चिराग गुलेरिया की माता प्रोमिला देवी साइंस टीचर हैं व पिता राजकुमार गुलेरिया मंडप स्कूल मे कॉमर्स के प्रवक्ता हैं और दादा भूप सिंह भी शिक्षक रिटायर हुए हैं व दादी कमला देवी गृहिणी हैं। उनका बड़ा भाई गौरव गुलेरिया एमबीए कर रहा है।

पालमपुर के हर्षुल राणा फौज में लेफ्टिनेंट

धीरा। मिलिट्री अकादमी देहरादून में पासिंग आउट परेड के दौरान कांगड़ा के पालमपुर स्थित परौर गांव के हर्षुल राणा ने लेफ्टिनेंट बन माता-पिता व क्षेत्र का नाम रोशन किया है। ज्ञात रहे कि हर वर्ष में दो बार होने बाली इस परेड से देश ही नहीं, बल्कि विदेशी सेना को भी बेहतरीन अफसर मिलते हैं। इस वर्ष की प्रथम पासिंग आउट परेड पर भी कोरोना का साया मंडरा गया और सोशल डिस्टेंसिंग नियम के चलते अकादमी के इतिहास में प्रथम बार बिना माता-पिता की मौजूदगी के यह परेड हुई। इसमें 333 भारतीय अधिकारियों व 90 मित्र देशों के सेना अधिकारियों ने प्रशिक्षण समाप्त कर देश सेवा की शपथ ली। हर्षुल राणा का माउंट कार्मल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद सैनिक स्कूल टिहरा सुजानपुर के लिए हुआ और वहां शिक्षा ग्रहण करने के बाद सेना में कमीशन प्राप्त किया। हर्षुल की माता सरिता व पिता डिंपल राणा शिक्षक हैं व दादा जनम सिंह व दादी भी अध्यापन से जुड़े हुए थे, जबकि हर्षुल के नाना वायुसेना से अधिकारी के रूप में सेवानिवृत्त हैं। हर्षुल  के पिता जी को हालाँकि रंज है की बेटे की इस उपलब्धि को कोरोना के चलते जश्न में तब्दील नहीं कर पा रहे हैं।

मंडी के दीनानाथ के कंधों पर सजे स्टार

मंडी। जिला मंडी की कोटली तहसील के तहत चलाहर गांव के दीनानाथ सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर तैनात हो गए हैं। आइएमए देहरादून में हाल ही में आयोजित हुई पासिंग आउट परेड में दीनानाथ ने लेफ्टिनेंट का रैंक हासिल किया। दीनानाथ को वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मेरठ में तैनाती मिली है। दीनानाथ की पांचवीं कक्षा की पढ़ाई चौहारघाटी, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कोटली से जमा दो व मंडी राजकीय महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। खास बात यह है कि दीनानाथ का चयन वर्ष 2011 में ही सेना में हो गया था। इस दौरान वह ईएमई के पद पर तैनात रहे। अपनी सेवाओं के साथ उन्होंने वर्ष 2016 में कमिशन टेस्ट पास किया और उनका चयन इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून में हुआ। दीनानाथ के पिता शिक्षा विभाग में लेक्चरर के पद पर तैनात हैं। दीनानाथ के पिता रमेश चंद व माता माया देवी ने बताया कि अपने बेटे की इस कामयाबी पर उन्हें गर्व है। दीनानाथ का विवाह कुछ साल पहले गीता देवी से हो चुका ह,ै अब उनका एक बेटा हिमांश भी है। दीनानाथ का छोटा भाई सोनू हिमाचल प्रदेश विवि से एमएससी केमिस्ट्री  कर रहे हैं।

अमन शर्मा आर्टिलरी रेजिमेंट में तैनात

राजा का तालाब। हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा की तहसील जवाली के अंतर्गत ग्राम पंचायत ढसोली के गांव तिहाल के अमन शर्मा भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बने हैं। आईएमए देहरादून से पासआउट हुए हैं। अमन शर्मा के पिता राजेश शर्मा शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त हैं व माता मंजू लता शर्मा गृहिणी हैं, जबकि छोटी बहन आकृति शर्मा महाविद्यालय धर्मशाला में बीएससी अंतिम वर्ष की छात्रा हैं। अमन शर्मा की प्रारंभिक शिक्षा कॉमेट मेंसा पब्लिक स्कूल देहरी से हुई। जमा दो की परीक्षा प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड, बीएससी की परीक्षा महाविद्यालय धर्मशाला से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसके बाद अमन शर्मा ने सीडीएस की परीक्षा पास कर भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में स्थायी कमीशन प्राप्त किया। कोविड-19 के चलते पासिंग आउट परेड नवनियुक्त अफसरों के अभिभावकों की गैरमौजूदगी में संपन्न हुई। वहीं अमन शर्मा को मेजर इशान और उनकी पत्नी ने बतौर अभिभावक बनकर स्टार लगाने की रस्म को पूरा किया। अमन शर्मा सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट में जम्मू-कश्मीर के द्रास सेक्टर में सेवाएं देंगे। अमन ने सेना में इस प्रतिष्ठित पद को प्राप्त करने का श्रेय अपने पूरे परिवारए अध्यापकों और अपनी कड़ी मेहनत को दिया।


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