टमाटर में लाली, मगर किसान को नहीं मिल पा रही खुशहाली

By: Jun 13th, 2020 12:20 am

नेरचौक – बल्ह घाटी में टमाटर की बेहतर फसल होने के बावजूद किसान को खुशहाली नसीब नहीं हो पाई है। युवाओं ने आत्मनिर्भर बनने के लिए सब्जी उत्पादन को प्राथमिकता देते हुए किराए पर या अपनी जमीन पर नकदी फसलों को उगाने का निर्णय लिया। मगर अपने उत्पादन के लिए सही मार्केट और सरकारी क्षेत्र में सब्जी मंडी का न हो पाना किसानों की दिन-रात की मेहनत कर आत्मनिर्भर बनने के सपने पर पानी फेर रहा है। घाटी में लगभग 800 हेक्टेयर भूमि पर किसानों द्वारा सिर्फ टमाटर ही की फसल तैयार की गई है। लेकिन इस मर्तबा वैश्विक महामारी कोविड-19 ने सब सत्यानश कर डाला है। घाटी के टमाटर उत्पाद को बाहरी प्रदेशों में न भेज पाने और व्यापारियों के न आ पाने के कारण उन्हें अपना टमाटर स्थानीय निजी मंडियों में लगे फब्बे भाव पर बेचना पड़ रहा है। फलस्वरूप घाटी के किसानों की कमर टूटने से उनमें खासा रोष व्याप्त है। वहीं उपमंडलाधिकरी बल्ह ने बताया कि प्रशासन टमाटर की फसल की बिक्री की व्यवस्था करने के लिए प्रयास कर रहा है। कुछ मल्टीनेशनल कंपनियों से बाहरी प्रदेशों से अभी वार्ता चल रही है। वार्ता होने पर मार्केटिंग विभाग की मध्यस्थता में टमाटर का एक उचित मूल्य निर्धारित कर किसानों को मार्केट उपलब्ध करवाई जा रही है। किसानों को उनकी पैदावार का उचित दाम मिले जिसके लिए प्रशासन हर संभव प्रयास कर रहा है कागजों में घूम रहा टोमेटो सॉस उद्योग बल्ह घाटी के किसान दशकों से टोमेटो सॉस उद्योग लगाने की मांग करते आ रहे हैं। वहीं अपनी सब्जी मंडी की भी मांग कर रहे हैंए लेकिन टोमेटो सॉस उद्योग स्थापित करने तथा सब्जी मंडी निर्माण में सभी सरकारें नाकाम रही हैं। बावजूद घाटी के मध्य में सरकारी जमीन उपलब्ध होने पर भी सब्जी मंडी निमार्ण न हो पाना सरकार तथा उसके नुमाइंदों की सोच और कार्यप्रणाली के ऊपर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।

लॉकडाउन और कर्फ्यू ने किसान को किया बेबस

काबिलेजिक्र है कि पिछले कई दशकों से घाटी के लोअर हिस्से में किसान अपने खेतों में टमाटर की फसल तैयार कर बाहरी प्रदेशों से आए व्यापारियों तथा उत्तरी भारत की मंडियों में व्यक्तिगत पहुंच होने के कारण अच्छा खासा मुनाफा कमा लेते थे। लेकिन लॉकडाउन एवं कर्फ्यू के चलते किसान अब बेबस लाचार हो गया है।

बिल्ट रोग से टमाटर की बंपर फसल तबाह

घाटी में टमाटर की फसल को बिल्ट रोग लगने से फसल तबाह हो रही है। जिस कारण भी किसान बेहद परेशान है। बेरोजगार युवाओं आत्मनिर्भर होने के लिए अपनी व किराए पर लेकर पांच से 10 बीघा भूमि में मंहगा बीज खरीदकर टमाटर की फसल तैयार की है। लेकिन अब फसल को इस तरह बीमारी लगने से उनके सारे सपनों पर पानी फिर गया है।

क्या कहता है कृषि विभाग

टमाटर की फसल को बिल्ट रोग लगने की शिकायतें सामने आने पर कृषि विभाग द्वारा टीम का गठन कर प्रभारी कृषि विज्ञान केंद्र डा. पंकज सूद, विषयवाद विशेषज्ञ कृषि बल्ह डाक्टर रामचंद्र चौधरी, कृषि विकास अधिकारी डा. विवेक चंदेल ने कुम्मी, टांवा, डडौर, छात्र, राकड़, नलसर, राजगढ़ सहित कई गांवों में फसलों का निरीक्षण किया गया। मौके पर पाया गया कि टमाटर में अगेती झुलसा रोग और पिछेती झुलसा रोग लगा हुआ है। यह बीमारी मौसम के उतार-चढ़ाव के कारण लग जाती है। विभागीय अधिकारियों ने किसानों को सलाह दी है कि अगेती झुलसा रोग रोकने के लिए कॉपर ऑक्सिक्लोराइड का छिड़काव करें तथा सात दिनों बाद पुनः दूसरा छिड़काव करें। पीछेती झुलसा रोग लगने के लिए रिडोमिल का छिड़काव करें।


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